
#गिरिडीह : ग्रामीणों ने ली शपथ – सिंगल यूज़ प्लास्टिक का बहिष्कार कर जूट के थैलों का करेंगे इस्तेमाल
- जिला उपायुक्त श्री रामनिवास यादव के मार्गदर्शन में बिरनी प्रखंड के पेशम पंचायत में प्लास्टिक मुक्त पेशम पहल की शुरुआत हुई।
- उप विकास आयुक्त के निर्देश पर पंचायती राज प्रतिनिधियों ने अभियान का नेतृत्व किया।
- प्रतिनिधियों ने दुकानदारों और आम नागरिकों से सिंगल यूज़ प्लास्टिक का प्रयोग बंद करने की अपील की।
- लोगों को जूट के थैलों का उपयोग बढ़ाने के लिए प्रेरित किया गया।
- उद्देश्य: स्वच्छ, सुंदर और सस्टेनेबल पंचायत का निर्माण।
जिला प्रशासन के सहयोग से आज बिरनी प्रखंड के पेशम पंचायत में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय पहल शुरू हुई। “प्लास्टिक मुक्त पेशम” अभियान का शुभारंभ पंचायती राज प्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया गया। इस अभियान का लक्ष्य है कि पंचायत को पूर्ण रूप से सिंगल यूज़ प्लास्टिक मुक्त बनाया जाए ताकि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण मिल सके।
पंचायत प्रतिनिधियों ने दिखाई जिम्मेदारी
कार्यक्रम के दौरान पंचायत के प्रतिनिधियों ने गांव के विभिन्न दुकानों का भ्रमण कर दुकानदारों से प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग बंद करने की अपील की। दुकानदारों और स्थानीय नागरिकों को जूट, कपड़े या अन्य पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों के उपयोग के लिए प्रेरित किया गया। प्रतिनिधियों ने कहा कि यदि हर व्यक्ति अपनी आदतों में थोड़ा बदलाव लाए, तो पूरा गांव प्लास्टिक मुक्त बन सकता है।
एक पंचायत प्रतिनिधि ने कहा: “प्लास्टिक हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है, लेकिन यह हमारे पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा है। हमें इसे छोड़कर प्राकृतिक विकल्प अपनाने होंगे ताकि धरती को सुरक्षित रखा जा सके।”
अभियान में ग्रामीणों को समझाया गया कि प्लास्टिक न केवल नदियों और तालाबों को प्रदूषित करता है, बल्कि यह मानव और पशु स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। पंचायत स्तर पर इस अभियान का उद्देश्य ग्रामीणों को जागरूक करना और उन्हें ऐसे व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित करना है जिससे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
प्लास्टिक के दुष्प्रभाव और समाधान
प्लास्टिक कचरे के कारण मिट्टी की उर्वरता घटती है, जलस्त्रोत दूषित होते हैं और वन्यजीवों को भी खतरा बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, एक प्लास्टिक बैग को नष्ट होने में सैकड़ों वर्ष लग जाते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए जूट, बांस, कपड़ा और पत्तों से बने थैलों का उपयोग एक बेहतर विकल्प है। पंचायत ने इस दिशा में एक प्रेरक कदम बढ़ाते हुए स्थानीय दुकानदारों को जूट के थैले मुफ्त वितरण करने की योजना भी बनाई है।
ग्रामीणों ने भी इस अभियान में उत्साहपूर्वक भाग लिया और संकल्प लिया कि वे अपने गांव को पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त बनाने में सहयोग करेंगे। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता मिशन को नई दिशा दे सकती है।

न्यूज़ देखो: गांवों से उठी हरित क्रांति की शुरुआत
पेशम पंचायत का यह कदम दर्शाता है कि परिवर्तन की शुरुआत जमीनी स्तर से भी हो सकती है। जिला प्रशासन और पंचायती राज प्रतिनिधियों की यह पहल आने वाले समय में पूरे गिरिडीह जिले के लिए एक उदाहरण बन सकती है। यदि हर पंचायत इसी तरह जिम्मेदारी दिखाए, तो झारखंड जल्द ही प्लास्टिक मुक्त राज्य बन सकता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
धरती को बचाने का यह संकल्प अब सबका हो
अब समय आ गया है कि हम सब अपने जीवन में प्लास्टिक को अलविदा कहें। छोटे-छोटे कदम जैसे कपड़े के थैले का उपयोग, प्लास्टिक की बोतलों का पुनः उपयोग और कचरे का सही निपटान—ये सब मिलकर बड़े बदलाव का कारण बन सकते हैं।
आइए, पेशम पंचायत से प्रेरणा लें और अपने गांव, मोहल्ले को भी प्लास्टिक मुक्त बनाने का संकल्प लें।
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