
हाइलाइट्स :
- 2015 में फर्जी दस्तावेजों से 250 एकड़ सरकारी जमीन को अवैध रूप से बेचा गया।
- मुख्य आरोपी मोहम्मद याकुब 9 साल से फरार था, रामानुजगंज पुलिस ने गढ़वा से दबोचा।
- पूछताछ में आरोपी ने संगठित गिरोह बनाकर जमीन हड़पने की साजिश कबूली।
- अदालत में पेशी के बाद आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
9 साल पुराना जालसाजी का मामला, अब हुआ खुलासा
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में फर्जी दस्तावेजों के जरिए 250 एकड़ सरकारी भूमि बेचने के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इस घोटाले के मुख्य आरोपी मोहम्मद याकुब को झारखंड के गढ़वा जिले से गिरफ्तार किया गया है।
शिकायत के बाद जांच में हुआ खुलासा
18 जुलाई 2015 को नायब तहसीलदार कुंजीलाल सिंह ने रामानुजगंज थाना में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि ग्राम इंदरपुर की सरकारी भूमि कुछ लोगों ने जालसाजी कर अपने नाम करवाई और फिर इसे कोल माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को बेच दिया।
इसके बाद अपर आयुक्त राजस्व सरगुजा अंबिकापुर एवं अपर कलेक्टर रामानुजगंज द्वारा मामले की जांच की गई। जांच में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने राजस्व अभिलेखों में हेरफेर कर सरकारी जमीन को निजी संपत्ति दिखाया और बेचा।
मुख्य आरोपी 9 साल से था फरार
इस जालसाजी में शामिल मुख्य आरोपी मोहम्मद याकुब (पिता स्व. मोहम्मद वली, उम्र 50 वर्ष, निवासी बड़ी जामा मस्जिद गली, गढ़वा, झारखंड) घटना के बाद से ही फरार था। पुलिस लगातार उसकी तलाश कर रही थी, लेकिन वह पकड़ में नहीं आ रहा था।
गढ़वा में पुलिस ने दबिश देकर किया गिरफ्तार
रामानुजगंज पुलिस को विश्वस्त सूत्रों से सूचना मिली कि याकुब अपने घर गढ़वा आया हुआ है। इस सूचना पर पुलिस ने झारखंड के गढ़वा में दबिश देकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में कबूला संगठित गिरोह का राज
रामानुजगंज थाना में पूछताछ के दौरान याकुब ने कबूल किया कि उसने व्यास मुनी यादव, लालजी यादव और अन्य साथियों के साथ मिलकर संगठित गिरोह बनाया था। इस गिरोह ने 1996-97 के राजस्व अभिलेखों में हेरफेर कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए और खुद को भूमि स्वामी दिखाकर जमीन बेच दी।
आरोपी को भेजा गया जेल
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य जुटाए और उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया। पुलिस अब मामले में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है।
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सरकारी जमीनों पर इस तरह से फर्जीवाड़ा और करोड़ों के घोटाले लगातार सामने आ रहे हैं। क्या प्रशासन इस तरह के संगठित अपराधों पर पूरी तरह से लगाम लगा पाएगा? इस केस में 9 साल बाद हुई गिरफ्तारी इस बात का संकेत है कि कानून की पकड़ मजबूत हो रही है, लेकिन सवाल यह भी है कि इतने लंबे समय तक आरोपी कैसे बचा रहा?
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