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बानो प्रखंड परिसर में प्लास दीदी कैफे का शुभारंभ महिला स्वयं सहायता समूह को मिला नया मंच

#बानो #आजीविका_सशक्तिकरण : प्रखंड परिसर में उद्घाटित दीदी कैफे से महिलाओं को रोजगार और स्थानीय सेवाओं को बढ़ावा मिला।

बानो प्रखंड परिसर में शुक्रवार को प्लास दीदी कैफे का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम में प्रखंड प्रमुख सुधीर डांग, प्रखंड विकास पदाधिकारी नैमुदिन अंसारी और बानो मुखिया विश्वनाथ बड़ाईक ने संयुक्त रूप से फीता काटकर कैफे की शुरुआत की। कैफे का संचालन सोनी आजीविका महिला स्वयं सहायता समूह, जराकेल की दीदियों द्वारा किया जा रहा है। यह पहल महिलाओं की आजीविका सशक्तिकरण और स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के विस्तार की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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  • बानो प्रखंड परिसर में प्लास दीदी कैफे का औपचारिक उद्घाटन।
  • सुधीर डांग, नैमुदिन अंसारी और विश्वनाथ बड़ाईक ने संयुक्त रूप से फीता काटा।
  • कैफे का संचालन सोनी आजीविका महिला स्वयं सहायता समूह, जराकेल द्वारा।
  • भोजन की गुणवत्ता और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की अपील।
  • जेएसएलपीएस के पदाधिकारियों और महिला समूह की सक्रिय उपस्थिति।

बानो प्रखंड परिसर में शुरू हुआ प्लास दीदी कैफे न केवल एक नई सेवा की शुरुआत है, बल्कि यह ग्रामीण महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक ठोस कदम भी है। शुक्रवार को आयोजित उद्घाटन समारोह में प्रशासनिक, जनप्रतिनिधि और जेएसएलपीएस से जुड़े अधिकारियों की मौजूदगी ने इस पहल को मजबूती दी। कैफे के शुरू होने से प्रखंड परिसर में आने वाले आम लोगों और कर्मियों को स्वच्छ व गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध होने की उम्मीद है। साथ ही, महिला स्वयं सहायता समूह को स्थायी आय का अवसर भी मिलेगा।

संयुक्त रूप से हुआ उद्घाटन, दिखी सहभागिता

प्लास दीदी कैफे का उद्घाटन प्रखंड प्रमुख सुधीर डांग, प्रखंड विकास पदाधिकारी नैमुदिन अंसारी और बानो मुखिया विश्वनाथ बड़ाईक ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। उद्घाटन के दौरान सभी अतिथियों ने महिला समूह की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी पहलें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देती हैं और महिलाओं में नेतृत्व क्षमता विकसित करती हैं। प्रखंड परिसर जैसे सार्वजनिक स्थान पर कैफे की शुरुआत को स्थानीय जरूरतों के अनुरूप कदम माना गया।

महिला स्वयं सहायता समूह को मिला संचालन का अवसर

इस कैफे का संचालन सोनी आजीविका महिला स्वयं सहायता समूह, जराकेल की दीदियों द्वारा किया जा रहा है। समूह से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि वे सामूहिक रूप से कैफे के संचालन, भोजन की तैयारी, साफ-सफाई और ग्राहकों की सेवा की जिम्मेदारी निभाएंगी। इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि कार्य प्रबंधन और उद्यमिता का अनुभव भी मिलेगा।

गुणवत्ता और स्वच्छता पर दिया गया जोर

उद्घाटन समारोह के दौरान प्रखंड विकास पदाधिकारी नैमुदिन अंसारी ने महिला समूह को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने प्रतिस्पर्धा के दौर में गुणवत्ता को सबसे अहम बताते हुए नियमित निगरानी की बात कही।

प्रखंड विकास पदाधिकारी नैमुदिन अंसारी ने कहा: “भोजन की गुणवत्ता और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। आज हर क्षेत्र में प्रतियोगिता है, यदि बाजार से गुणवत्तापूर्ण सेवा मिलेगी तो ग्राहक बार-बार आएंगे। प्रखंड परिसर में कैफे खुलने से हमें खुशी है।”

उनके इस संदेश को महिला समूह ने गंभीरता से लेते हुए उच्च मानकों पर काम करने का भरोसा दिलाया।

जेएसएलपीएस और प्रशासनिक टीम की मौजूदगी

कार्यक्रम में जेएसएलपीएस से जुड़े कई पदाधिकारी और कर्मी उपस्थित रहे। इनमें बीपीएम कुंदन भगत, बीपीओ शैलेश कुमार संयोग, एडमिन बालमुकुंद सिंह, एफटीआई रूपा कुजूर, डीईओ सोशान्त लुगुन, पास्कल जड़िया और दीपक महतो शामिल थे। इन सभी ने महिला समूह को मार्गदर्शन और सहयोग का आश्वासन दिया, ताकि कैफे का संचालन सुचारू रूप से हो सके।

स्थानीय स्तर पर सेवा और रोजगार का विस्तार

प्लास दीदी कैफे की शुरुआत से बानो प्रखंड परिसर में आने वाले लोगों को सुलभ और स्वच्छ भोजन मिलने की सुविधा होगी। साथ ही, यह मॉडल अन्य स्थानों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकता है। महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से संचालित ऐसे उपक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और सेवा विस्तार का प्रभावी जरिया बन रहे हैं।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम

यह पहल दर्शाती है कि यदि प्रशासन, आजीविका मिशन और स्थानीय प्रतिनिधि मिलकर काम करें, तो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के ठोस अवसर पैदा किए जा सकते हैं। दीदी कैफे जैसी योजनाएं महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाती हैं।

न्यूज़ देखो: आजीविका से आत्मनिर्भरता तक का मजबूत मॉडल

प्लास दीदी कैफे का उद्घाटन बताता है कि सरकारी परिसरों में महिला समूहों को अवसर देकर स्थानीय सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। यह मॉडल रोजगार, स्वच्छता और सेवा तीनों को एक साथ जोड़ता है। अब देखना होगा कि गुणवत्ता और प्रबंधन के मानकों को किस तरह बनाए रखा जाता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जब अवसर मिलते हैं तो महिलाएं मिसाल बनती हैं

बानो की दीदियों ने यह साबित किया है कि सही मंच और सहयोग मिलने पर महिलाएं सफल उद्यम चला सकती हैं। ऐसे प्रयासों से गांव और प्रखंड स्तर पर सकारात्मक बदलाव आता है। समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि इन पहलों को निरंतर समर्थन मिले।

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Shivnandan Baraik

बानो, सिमडेगा

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