Palamau

महिला शिक्षिकाओं की सुदूरवर्ती पदस्थापना पर फूटा सियासी गुस्सा, सुधीर चंद्रवंशी ने दी कड़े आंदोलन की चेतावनी

Join News देखो WhatsApp Channel
#विश्रामपुर #शिक्षा_प्रशासन : महिला सहायक आचार्यों को दूरस्थ और असुरक्षित क्षेत्रों में भेजे जाने पर कांग्रेस नेता ने उठाए गंभीर सवाल
  • महिला सहायक आचार्यों की पदस्थापना को बताया अन्यायपूर्ण और असंवेदनशील
  • पुरुष शिक्षकों को निकटवर्ती प्रखंड, महिलाओं को 60–70 किमी दूर तैनाती का आरोप।
  • पांकी, मनातू, छतरपुर, हरिहरगंज, पिपरा जैसे क्षेत्रों का उल्लेख।
  • सुधीर चंद्रवंशी ने प्रशासनिक जांच और सुधार की मांग की।
  • समाधान नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री तक मामला ले जाने की चेतावनी।

पलामू जिले में हाल ही में नियुक्त महिला सहायक आचार्यों की पदस्थापना को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। प्रदेश कांग्रेस नेता एवं विश्रामपुर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी सुधीर कुमार चंद्रवंशी ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए प्रशासनिक व्यवस्था पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि महिला शिक्षिकाओं को उनके गृह क्षेत्र से दूर, सुदूरवर्ती और कई मामलों में संवेदनशील इलाकों में भेजना न केवल असंवेदनशील निर्णय है, बल्कि यह महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ सीधा अन्याय है।

सुधीर चंद्रवंशी ने कहा कि महिलाओं को शिक्षा व्यवस्था में सशक्त भूमिका देने की बात तो सरकार करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर लिए जा रहे ऐसे फैसले उस सोच को कमजोर करते हैं। उन्होंने इसे प्रशासनिक दोहरे मापदंड का उदाहरण बताया।

पदस्थापना में दोहरा मापदंड का आरोप

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि एक ही चयन प्रक्रिया के तहत नियुक्त पुरुष सहायक आचार्यों को उनके गृह प्रखंड या महज दो से चार किलोमीटर की दूरी पर विद्यालय आवंटित किए गए, जबकि चयनित महिला सहायक आचार्यों को 60 से 70 किलोमीटर दूर ऐसे इलाकों में भेज दिया गया, जहाँ पहुँचने के लिए कच्ची सड़कों और पगडंडियों से होकर गुजरना पड़ता है।

उन्होंने विशेष रूप से पांकी, मनातू, छतरपुर, हरिहरगंज और पिपरा जैसे क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये इलाके भौगोलिक रूप से कठिन होने के साथ-साथ कई बार सुरक्षा की दृष्टि से भी चुनौतीपूर्ण हैं। ऐसे में महिलाओं को वहाँ भेजना प्रशासनिक संवेदनशीलता की कमी को दर्शाता है।

महिला अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद सवाल

सुधीर चंद्रवंशी ने आश्चर्य जताया कि यह पूरा मामला ऐसे जिले में सामने आ रहा है, जहाँ प्रशासन के शीर्ष पदों पर महिलाएँ स्वयं कार्यरत हैं। इसके बावजूद मेदिनीनगर, विश्रामपुर और ऊटारी रोड क्षेत्र की चयनित महिला सहायक आचार्यों को उनके गृह प्रखंड या समीपवर्ती सुरक्षित क्षेत्रों में पदस्थापित नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि यह न केवल नियमों की भावना के खिलाफ है, बल्कि महिला सशक्तिकरण की सरकारी सोच पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। यदि महिलाएँ स्वयं प्रशासन में निर्णयकारी भूमिका में हैं, तो फिर ऐसी असंतुलित पदस्थापना कैसे स्वीकार की जा सकती है, यह बड़ा सवाल है।

सरकार की मंशा के विपरीत निर्णय

प्रदेश कांग्रेस नेता ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार ने महिलाओं को सम्मानजनक रोजगार देकर एक सकारात्मक इतिहास रचा है। नियुक्ति पत्र वितरण के दौरान स्वयं मुख्यमंत्री ने महिलाओं के योगदान और सम्मान को लेकर स्पष्ट संदेश दिया था।

सुधीर चंद्रवंशी के अनुसार, जमीनी स्तर पर पदाधिकारियों द्वारा लिया गया यह निर्णय सरकार की मंशा के विपरीत है और इससे सरकार की छवि को नुकसान पहुँच सकता है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा मामला है, जिसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।

दिल्ली से भी उठाई आवाज

दिल्ली में रहते हुए भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए सुधीर चंद्रवंशी ने कहा:

सुधीर चंद्रवंशी ने कहा: “मैं इस समय दिल्ली में हूँ, लेकिन महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा का सवाल मेरे लिए सर्वोपरि है। यदि महिला सहायक आचार्यों की सम्मानजनक और न्यायसंगत पदस्थापना शीघ्र नहीं की गई, तो मैं कड़ा रुख अपनाने से पीछे नहीं हटूँगा।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि महिलाओं को उनका अधिकार और सम्मान दिलाने के लिए वे हर संभव कदम उठाने को तैयार हैं।

मुख्यमंत्री तक मामला ले जाने की चेतावनी

सुधीर चंद्रवंशी ने दो टूक शब्दों में चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने इस विषय में शीघ्र सकारात्मक कदम नहीं उठाया, तो वे स्वयं यह मामला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक ले जाएंगे।

उन्होंने कहा: “मुख्यमंत्री जी ने बड़ी संख्या में युवाओं, विशेषकर महिलाओं, को रोजगार देकर एक नया अध्याय लिखा है। यदि उन्हीं महिलाओं के साथ अन्याय होगा, तो मैं चुप नहीं बैठूँगा।”

उनका कहना है कि यह केवल पदस्थापना का मामला नहीं, बल्कि महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा से जुड़ा प्रश्न है।

प्रशासनिक जांच और सुधार की मांग

अपने बयान के अंत में सुधीर चंद्रवंशी ने इस पूरे प्रकरण की तत्काल प्रशासनिक जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि दोषी पदाधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए और महिला सहायक आचार्यों को उनके गृह या समीपवर्ती सुरक्षित क्षेत्रों में पदस्थापित किया जाना चाहिए, ताकि वे निडर होकर शिक्षा के माध्यम से समाज निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकें।

उनके इस बयान के बाद पलामू जिले में यह मुद्दा चर्चा का केंद्र बन गया है और आने वाले दिनों में इस पर राजनीतिक हलचल तेज होने की संभावना है।

न्यूज़ देखो: महिला सम्मान बनाम प्रशासनिक संवेदनशीलता

महिला सहायक आचार्यों की पदस्थापना को लेकर उठा यह मामला प्रशासनिक फैसलों की संवेदनशीलता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। सरकार की नीतियों और जमीनी अमल के बीच के अंतर को उजागर करता यह मुद्दा त्वरित सुधार की मांग करता है। यदि समय रहते समाधान नहीं हुआ, तो यह विवाद और गहराने की आशंका है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सम्मान, सुरक्षा और समानता की लड़ाई

महिलाओं को रोजगार देना ही नहीं, उन्हें सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यस्थल देना भी उतना ही जरूरी है।
प्रशासनिक फैसलों में संवेदनशीलता और समानता होनी चाहिए।
आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं, अपनी राय साझा करें, खबर को आगे बढ़ाएं और महिला अधिकारों की इस आवाज को मजबूती दें।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

1000264265
IMG-20250723-WA0070
IMG-20250925-WA0154
IMG-20250610-WA0011
IMG-20251017-WA0018
20251209_155512
IMG-20250604-WA0023 (1)
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Samim Ansari

उंटारी रोड, पलामू

Related News

ये खबर आपको कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया दें

Back to top button