
#गोड्डा #एनकाउंटर : राजनीतिक बवाल के बीच सूर्या हांसदा की मौत पर गरमााी
- पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा 17 अगस्त को सूर्या हांसदा के घर जाएंगे।
- एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए सीबीआई जांच की मांग।
- बाबूलाल मरांडी ने कहा— यह मर्डर है, पुलिस और माफियाओं की मिलीभगत।
- जयराम महतो ने भी एनकाउंटर पर सवाल उठाए, सीबीआई जांच की मांग।
- परिजनों के मुताबिक, सूर्या हांसदा बीमार हालत में गिरफ्तार हुए थे।
- पुलिस का दावा— रास्ते में मुठभेड़ में मारा गया सूर्या।
गोड्डा में सूर्या हांसदा की कथित मुठभेड़ में मौत ने झारखंड की राजनीति को हिला दिया है। विपक्षी दल इसे फर्जी एनकाउंटर और मर्डर बता रहे हैं। पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और जेएलकेएम विधायक जयराम महतो ने सरकार और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं, परिजन और स्थानीय लोग सूर्या की बीमारी और गिरफ्तारी के हालात पर सवाल खड़े कर रहे हैं, जबकि पुलिस इसे समर्थकों की गोलीबारी के दौरान हुई मुठभेड़ बता रही है।
अर्जुन मुंडा का आरोप— पुलिस और माफियाओं की मिलीभगत
पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सूर्या हांसदा समाज की बुराइयों और खनन माफियाओं के खिलाफ लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे। वे विस्थापन, कोयला माफिया, बालू खनन, बजरी चोरी और राज्य के खनिज संसाधनों की अवैध बिक्री का विरोध करते थे। अर्जुन मुंडा का दावा है कि सूर्या की हत्या गहरी साजिश का हिस्सा है, जिसमें पुलिस और माफियाओं की मिलीभगत है। उन्होंने इस एनकाउंटर को फर्जी बताया और कहा कि बीमारी के बावजूद सूर्या को गिरफ्तार कर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया।
अर्जुन मुंडा ने कहा: “सूर्या की तबीयत खराब थी, उनकी पत्नी ने पुलिस को सूचना भी दी थी, फिर भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और मार दिया गया।”
बाबूलाल मरांडी का हमला— “यह एनकाउंटर नहीं, मर्डर है”
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सूर्या हांसदा की मौत को लेकर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि झारखंड में कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के पुलिसकर्मी अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं, जिससे नेताओं और आम नागरिकों की सुरक्षा खतरे में है। मरांडी के अनुसार, यह मामला किसी अपराधी का नहीं बल्कि वर्दीधारी लोगों का है, जिन्हें डर था कि आदिवासी नेता अपने अधिकारों और संसाधनों की लड़ाई को तेज कर देंगे।
बाबूलाल मरांडी ने कहा: “अगर सरकार सीबीआई जांच से डरती है, तो हाईकोर्ट के किसी सिटिंग जज की अध्यक्षता में जांच करवाएं, क्योंकि पुलिस का यह कृत्य जनता को हजम नहीं हो रहा।”
जयराम महतो का सवाल— आदिवासी राज्य में आदिवासी की हत्या क्यों?
जेएलकेएम प्रमुख और डुमरी विधायक जयराम महतो ने भी सूर्या हांसदा के एनकाउंटर पर सवाल उठाए और सीबीआई जांच की मांग की। उन्होंने याद दिलाया कि सूर्या पहले भाजपा में थे और 2019 के चुनाव में उन्हें 45 हजार वोट मिले थे। 2024 में जेएलकेएम ने उन्हें उम्मीदवार बनाया था। महतो का कहना है कि यह चिंतन का विषय है कि एक आदिवासी नेता को अपने ही राज्य में मुठभेड़ का सामना क्यों करना पड़ा, खासकर जब राज्य और देश के शीर्ष पदों पर आदिवासी नेता हैं।
जयराम महतो ने कहा: “अगर गिरफ्तारी हुई और फिर मुठभेड़ हुई, तो इसकी जांच जरूरी है। आदिवासी की हत्या पर सवाल तो उठेंगे ही।”
गिरफ्तारी से मुठभेड़ तक— पुलिस और परिजनों के अलग-अलग दावे
पुलिस के मुताबिक, सूर्या हांसदा को देवघर जिले के मोहनपुर प्रखंड के नावाडीह गांव से गिरफ्तार किया गया। वे अपने मामा अनिल हेम्ब्रम के घर रह रहे थे। सूर्या पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे और पुलिस को उनके वहां छिपे होने की जानकारी मिली थी। पुलिस ने घर को चारों ओर से घेरकर उन्हें गिरफ्तार किया और गोड्डा ले जाने लगी।
परिजनों और स्थानीय लोगों का दावा है कि गिरफ्तारी के समय सूर्या हांसदा बीमार हालत में बिस्तर पर लेटे थे और चलने की स्थिति में भी नहीं थे। पुलिस ने उन्हें बिस्तर से उठाकर ले जाया।
पुलिस का कहना है कि गोड्डा ले जाते समय सूर्या के समर्थकों ने उन पर गोली चलाई, जिसके जवाब में पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई और इस दौरान सूर्या मारा गया।
कई बार चुनाव लड़ चुके थे सूर्या हांसदा
सूर्या हांसदा एक सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता थे और उन्होंने भाजपा, झाविमो तथा जेएलकेएम से विधानसभा चुनाव लड़ा था। उनका राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा, लेकिन वे लगातार सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखर रहे। उनकी मौत के बाद न केवल पुलिस की कार्यशैली बल्कि कई सफेदपोश नेताओं पर भी सवाल उठ रहे हैं।
न्यूज़ देखो: एनकाउंटर पर उठते सवाल और जिम्मेदार जांच की जरूरत
सूर्या हांसदा का मामला झारखंड में पुलिस कार्रवाई, राजनीतिक दखल और आदिवासी अधिकारों के सवाल को केंद्र में ले आया है। विपक्ष की सीबीआई जांच की मांग और परिजनों के आरोप इस घटना को और गंभीर बना रहे हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसी मौतें न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं, बल्कि न्याय और पारदर्शिता की आवश्यकता को भी रेखांकित करती हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सजग नागरिक बनें, सच्चाई की आवाज बुलंद करें
एक सजग नागरिक के रूप में हमें हर घटना की सच्चाई जानने का प्रयास करना चाहिए। सूर्या हांसदा का मामला यह सिखाता है कि सवाल उठाना और जवाब मांगना लोकतंत्र की आत्मा है। इस खबर को पढ़कर अपने विचार साझा करें, इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा करें, ताकि जागरूकता बढ़े और न्याय की आवाज और बुलंद हो।