गढ़वा: गढ़वा की प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने पूर्व भाकपा माओवादी सदस्य टुनेश उर्फ टुनेश उरांव को हत्या के मामले में आजीवन कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। यह मामला 2008 का है, जब भंडरिया थाना क्षेत्र में उसके खिलाफ हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
मामले का विवरण
2008 में भाकपा माओवादियों ने भंडरिया थाना क्षेत्र के बरकोल गांव में अशर्फी यादव, विष्णु पानिक, और रमेश पानिक को अगवा कर लिया था। इसके बाद रमेश और विष्णु को छोड़ दिया गया, लेकिन अशर्फी यादव की हत्या कर दी गई। मृतक पर लेवी के तीन लाख रुपये और हथियार लेकर भागने का आरोप था। घटना के बाद मृतक के शव को छोड़कर माओवादी फरार हो गए थे।
इस संबंध में भंडरिया थाना कांड संख्या 36/2008 के तहत मृतक के परिजन चंद्रदेव यादव के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अभियोजन और सजा
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक जगदेव साहू, जबकि बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अशोक पांडेय ने पैरवी की। अदालत ने अपराध के गंभीरता को देखते हुए टुनेश उरांव को हत्या का दोषी मानते हुए यह सजा सुनाई।
नक्सली गतिविधियों में सक्रियता
टुनेश उरांव पहले भाकपा माओवादी संगठन से जुड़ा था और बाद में नक्सली संगठन जेजेएमपी (झारखंड जनमुक्ति परिषद) का कमांडर बन गया। पिछले साल 2023 में वह रंका थाना क्षेत्र के ढेंगुरा जंगल में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में अपने दस्ते का नेतृत्व कर रहा था। इस मुठभेड़ में रंका थाना प्रभारी शंकर कुशवाहा को गोली लगी थी।
गिरफ्तारी और कारावास
पुलिस ने अभियान चलाकर टुनेश को गिरफ्तार किया और उसे गढ़वा मंडल कारा में रखा गया। उस पर अन्य कई आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। अदालत के फैसले के बाद टुनेश उरांव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
न्यायालय का यह फैसला नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।