#चंदवा #स्वास्थ्य_सतर्कता : बाजार में बिक रहे आलुओं पर रासायनिक खाद के दुष्प्रभाव की चर्चा, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
- चंदवा प्रखंड क्षेत्र के स्थानीय बाजारों में बिक रहे आलुओं को लेकर लोगों में चिंता बढ़ी है।
- बरसाती मौसम में उगाए गए आलुओं में रासायनिक खाद और तत्वों का अत्यधिक उपयोग किया गया है।
- विशेषज्ञों ने चेताया कि ऐसे आलू स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं।
- कुछ व्यापारी पुराने आलू को नया दिखाने के लिए सफाई, पॉलिश और नई पैकिंग का सहारा ले रहे हैं।
- स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नागरिकों ने अपील की है कि आलू खरीदते समय रंग, आकार और स्वाद पर ध्यान दें।
चंदवा, लातेहार। बरसात के मौसम में तैयार किए गए आलू अब बाजार में पहुंच चुके हैं, लेकिन इनके साथ बढ़ती चिंताएं भी सामने आ रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन आलुओं में रासायनिक खाद और तत्वों का अत्यधिक प्रयोग किया गया था, जिससे यह सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, रासायनिक अवशेष शरीर में जाकर पाचन तंत्र, यकृत और गुर्दे पर बुरा असर डाल सकते हैं।
नया आलू सीजन और पुराने स्टॉक का खेल
वर्तमान में नया आलू सीजन शुरू हो चुका है, जो ठंड के मौसम में प्राकृतिक रूप से तैयार होता है। यह आलू स्वाद में ताज़ा और पौष्टिक होता है। वहीं, बरसाती आलू कृत्रिम स्वाद और हल्के कड़वेपन के साथ बाजार में उतारा जा रहा है। कई व्यापारी पुराने आलू को नया बताकर बेचने के लिए सफाई, पॉलिश या नई पैकिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे ग्राहक भ्रमित हो जाते हैं।
एक स्थानीय दुकानदार ने बताया: “नया आलू अभी सीमित मात्रा में आ रहा है, इसलिए व्यापारी पुराने आलू को नया बताकर बेच रहे हैं। ग्राहक को पहचानना मुश्किल हो जाता है।”
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि रासायनिक खाद से तैयार आलू का बार-बार सेवन शरीर में विषैले तत्वों के जमाव का कारण बन सकता है। ऐसे आलू बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से हानिकारक साबित हो सकते हैं। उन्होंने उपभोक्ताओं से अपील की है कि आलू खरीदते समय उसके रंग, आकार और बनावट का ध्यान रखें, और संभव हो तो स्थानीय किसानों से सीधे ताज़ा उपज खरीदें।
जागरूकता ही सुरक्षा की कुंजी
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्यकर्मियों ने लोगों से आग्रह किया है कि वे बाजार में आलू खरीदते समय सतर्क रहें और सस्ती कीमत देखकर गुणवत्ता से समझौता न करें। उन्होंने कहा कि सेहत के साथ खिलवाड़ करने वाली ऐसी प्रवृत्तियों पर प्रशासन को भी नजर रखनी चाहिए।
न्यूज़ देखो: रासायनिक खेती से उपभोक्ता की थाली तक खतरे की लहर
यह स्थिति सिर्फ एक खाद्य पदार्थ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस पूरी खेती प्रणाली पर सवाल उठाती है जो उत्पादन बढ़ाने की दौड़ में सेहत और प्राकृतिक संतुलन को दांव पर लगा रही है। अब समय है कि प्रशासन और उपभोक्ता दोनों सजग होकर खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
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सुरक्षित भोजन ही सच्ची संपत्ति
अब समय है कि हम सब मिलकर प्राकृतिक खेती और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दें। जागरूक उपभोक्ता ही स्वच्छ बाजार की नींव रख सकता है। इस खबर को शेयर करें और दूसरों को भी बताएं कि सेहत बचाने का पहला कदम है – सही भोजन का चयन।