
#गुमला #बिजलीसंकट – गुमला जिले के ग्रामीण प्रखंडों में अघोषित बिजली कटौती से त्रस्त लोग, पढ़ाई से लेकर व्यवसाय तक प्रभावित
- गुमला के जारी, चैनपुर और डुमरी प्रखंडों में बिना सूचना घंटों बिजली गुल
- बच्चों को मोमबत्ती और लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करने को मजबूर
- छात्रों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है बुरा असर, आंखों की रोशनी पर खतरा
- घरेलू कार्यों और छोटे व्यापारों में भी आ रही भारी परेशानी
- ग्रामीणों ने बिजली विभाग से स्थायी समाधान और शेड्यूल जारी करने की मांग की
जनजीवन पर बिजली संकट की मार
गुमला जिला के जारी, चैनपुर और डुमरी प्रखंड इन दिनों गंभीर बिजली संकट से जूझ रहे हैं। बिना किसी पूर्व सूचना के घंटों बिजली आपूर्ति ठप हो जाने के कारण आम लोगों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। यह समस्या पिछले कुछ सप्ताह से लगातार बनी हुई है।
छात्र जीवन हो रहा प्रभावित
सबसे ज्यादा दिक्कत स्कूली छात्रों को हो रही है, जिन्हें रात में मोमबत्ती या लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करनी पड़ रही है। इसके चलते न सिर्फ उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है, बल्कि आंखों पर भी नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है।
“शाम होते ही बिजली चली जाती है। बच्चों को अंधेरे में रहना पड़ता है। पढ़ाई के लिए मोमबत्ती या लालटेन का सहारा लेना पड़ता है, जिससे आंखें दुखने लगती हैं,” — एक अभिभावक ने बताया।
छोटे व्यापार और घरेलू कार्य प्रभावित
बिजली कटौती से घरेलू कामकाज से लेकर दुकानों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में भी परेशानी बढ़ गई है। फ्रीज, पंखा, वाटर पंप, इनवर्टर तक ठप हो जाते हैं, जिससे गर्मी में रहना दूभर हो गया है।
“दिन हो या रात, बिजली कब आएगी पता नहीं चलता। बिजली विभाग की मनमानी से परेशान हो चुके हैं,” — स्थानीय निवासी।
स्थायी समाधान की उठी मांग
ग्रामीणों ने बिजली विभाग से एक निर्धारित बिजली आपूर्ति कार्यक्रम लागू करने और अघोषित कटौती को रोकने की मांग की है। लोग चाहते हैं कि अगर लाइन मेंटेनेंस या लोड शेडिंग की जरूरत हो, तो कम से कम पूर्व सूचना जरूर दी जाए ताकि वे अपनी दिनचर्या को उसी अनुसार ढाल सकें।
न्यूज़ देखो – आपके सवाल, हमारी जिम्मेदारी
न्यूज़ देखो ने हमेशा जनता की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया है। गुमला जैसे जिलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव चिंताजनक है। हम इस मुद्दे को आगे भी उठाते रहेंगे, ताकि प्रशासन की नजर जन पीड़ा पर पड़े।
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अब बदलाव की जरूरत है
गांव हो या शहर, बिजली अब एक बुनियादी अधिकार बन चुकी है। प्रशासन को चाहिए कि वह ग्रामीण इलाकों के नागरिकों को भी उतनी ही प्राथमिकता दे जितनी शहरी इलाकों को दी जाती है। बच्चों की पढ़ाई और व्यवसायों का भविष्य बिजली पर निर्भर है — इस समस्या का स्थायी समाधान जरूरी है।