पटना: जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने केंद्र सरकार द्वारा “वन नेशन, वन इलेक्शन” को मंजूरी दिए जाने का समर्थन करते हुए इसे देशहित में एक सकारात्मक कदम बताया। उनका मानना है कि यह नीति देश की प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाएगी।
प्रशांत किशोर के मुख्य तर्क:
- समय और खर्च की बचत:
उन्होंने कहा कि हर साल देश की एक चौथाई जनता चुनाव प्रक्रिया में शामिल होती है, जिससे सरकार का बड़ा समय और खर्च होता है। अगर चुनाव एक साथ हों, तो यह समय और संसाधन दोनों को बचाएगा। - चुनाव चक्र से मुक्ति:
प्रशांत किशोर ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि सरकारें बार-बार चुनाव मोड में फंसती हैं, जिससे दीर्घकालिक योजनाओं और नीतियों पर ध्यान नहीं दिया जा पाता। - धीरे-धीरे बदलाव की सलाह:
प्रशांत किशोर ने सुझाव दिया कि इतने बड़े बदलाव को एक दिन में लागू करना संभव नहीं है। इसके लिए 4-5 साल की योजना और समय दिया जाना चाहिए।
सफलता की शर्तें
उन्होंने स्पष्ट किया कि “वन नेशन, वन इलेक्शन” की सफलता सरकार की नीयत और उद्देश्य पर निर्भर करेगी। यदि इसे सही मंशा से लागू किया जाए, तो यह कदम स्वागत योग्य होगा। लेकिन यदि इसका उपयोग किसी वर्ग या समाज को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया, तो यह देशहित में नहीं होगा।
“यदि इसे सही नीयत से लागू किया जाता है, तो यह देश के लिए लाभकारी साबित होगा।” – प्रशांत किशोर
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