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लोहरसी में सोहराई जतरा मेला का उद्घाटन प्रतुल शाह देव ने किया, झारखंड की लोक संस्कृति को किया सम्मानित

#लातेहार #सोहराई_जतरा : भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने पारंपरिक मेला का उद्घाटन कर स्थानीय संस्कृति और कलाकारों का किया सम्मान

लातेहार जिले के लोहरसी में आज सोहराई जतरा मेला का भव्य उद्घाटन भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने किया। उन्होंने मेला का फीता काटते हुए स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को नमन किया। इस अवसर पर मुखिया जतरू मुंडा सहित सोहराई जतरा समिति के अध्यक्ष, सचिव और कई पदाधिकारी उपस्थित रहे। मेला परिसर में प्रतुल शाह देव ने ग्रामीणों, युवाओं और पारंपरिक कलाकारों से मिलकर झारखंड की सांस्कृतिक विरासत और लोक कला की महत्ता को रेखांकित किया।

जतरा में झारखंड की लोक संस्कृति का संगम

प्रतुल शाह देव ने कहा कि “जतरा केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा है, जहां लोक संस्कृति, आस्था और समुदाय की एकता एक सूत्र में बंधी है। यहाँ की मिट्टी में रची-बसी यह परंपरा हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है।” उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी समाज ने प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीवन जीने की जो परंपरा विकसित की है, वह आधुनिक समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

प्रतुल शाह देव ने कहा: “झारखंड की लोकसंस्कृति हमारी पहचान है, इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना हम सबका दायित्व है।”

कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने मेला के आयोजन की सराहना की और यह महसूस किया कि ऐसे मेलों से न केवल सांस्कृतिक विरासत जीवित रहती है, बल्कि युवाओं में लोक कला और परंपराओं के प्रति सम्मान भी बढ़ता है।

कलाकारों और ग्रामीणों से संवाद

प्रतुल शाह देव ने मेला परिसर में स्थानीय कलाकारों के प्रदर्शन का आनंद लिया और उनकी सराहना की। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपने सांस्कृतिक धरोहर को संजोएं और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने में सक्रिय योगदान दें।

आज के इस अवसर पर सोहराई जतरा समिति लोहरसी के अध्यक्ष पूरन महतो, सचिव पिंटू गिरी, लाल अजीत नाथ शाह देव, राजकुमार भगत, चंद्रदेव उरांव, सोनू भगत, रामचंद्र भगत, रति भगत, चारबा उरांव, अनिल उरांव, कृष्णा मुंडा सहित कई स्थानीय नेता और पदाधिकारी उपस्थित थे।

न्यूज़ देखो: लोहरसी सोहराई जतरा से झारखंड की लोक संस्कृति का उत्सव

इस मेला ने यह संदेश दिया कि झारखंड की पारंपरिक संस्कृति और लोक कला आज भी जीवित है और युवाओं और समाज के सभी वर्गों के बीच इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है। मेलों और सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से यह विरासत नई पीढ़ी तक सुरक्षित रूप से पहुँचाई जा सकती है।

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प्रेरक समापन और सामाजिक संदेश

सांस्कृतिक आयोजनों में भाग लेकर अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ें। सजग रहें, सक्रिय बनें। झारखंड की लोक कला और संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए समाज में जागरूकता फैलाएं। अपनी राय कमेंट करें और इस कार्यक्रम की जानकारी दूसरों तक पहुँचाएं।

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