
#सिमडेगा #मकर_संक्रांति : भैरव बाबा धाम में 13 और 14 जनवरी को पूजा, मेला व सांस्कृतिक आयोजन होंगे।
सिमडेगा में मकर संक्रांति के अवसर पर भैरव बाबा धाम में आयोजित होने वाले दो दिवसीय पूजा मेला को लेकर समिति की बैठक संपन्न हुई। बैठक में 13 और 14 जनवरी को होने वाले धार्मिक अनुष्ठान, मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई। समिति ने आयोजन को भव्य और व्यवस्थित बनाने के लिए सदस्यों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपीं। इस आयोजन में आसपास के गांवों के बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।
- भैरव बाबा धाम में 13-14 जनवरी को दो दिवसीय पूजा और मेला।
- 13 जनवरी को प्रातः 9 बजे अधिवास पूजा और राम नाम का शुभारंभ।
- 14 जनवरी को राम नाम समापन, दधि भंजन और पूर्णाहुति।
- 14 जनवरी दोपहर 2 बजे से महाप्रसाद वितरण।
- रात्रि 9 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन।
- बैठक में समिति के संरक्षक, पदाधिकारी, वरिष्ठ कार्यकर्ता और ग्रामीणों की सहभागिता।
सिमडेगा जिले में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मकर संक्रांति का पर्व धार्मिक श्रद्धा और सामाजिक सहभागिता के साथ मनाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसी क्रम में भैरव बाबा धाम में आयोजित होने वाले दो दिवसीय पूजा और मेला कार्यक्रम को लेकर एक महत्वपूर्ण समिति बैठक आयोजित की गई। बैठक का उद्देश्य कार्यक्रम की रूपरेखा तय करना और आयोजन को सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के लिए जिम्मेदारियों का वितरण करना रहा।
बैठक में तय हुई आयोजन की रूपरेखा
समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मकर संक्रांति के अवसर पर 13 और 14 जनवरी को पूजा, मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रम पूरे धार्मिक विधि-विधान के साथ आयोजित किए जाएंगे। बैठक में उपस्थित समिति सदस्यों ने आयोजन को भव्य और अनुशासित ढंग से संपन्न कराने पर सहमति जताई।
बैठक के दौरान पूजा-अर्चना, श्रद्धालुओं की सुविधा, मेला क्षेत्र की व्यवस्था, प्रसाद वितरण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के संचालन को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। समिति ने कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाने के लिए कार्यों का स्पष्ट विभाजन किया, ताकि किसी भी स्तर पर अव्यवस्था न हो।
पूजा एवं धार्मिक अनुष्ठानों का कार्यक्रम
बैठक में तय कार्यक्रम के अनुसार, 13 जनवरी को प्रातः 9 बजे से अधिवास पूजा का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे परिसर में राम नाम का शुभारंभ होगा, जो भक्तिमय वातावरण का निर्माण करेगा। इस दिन श्रद्धालु बड़ी संख्या में भैरव बाबा धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना करेंगे।
14 जनवरी को प्रातः 9 बजे राम नाम का समापन होगा। इसके बाद धार्मिक परंपराओं के अनुसार दधि भंजन एवं पूर्णाहुति संपन्न कराई जाएगी। समिति ने बताया कि सभी धार्मिक अनुष्ठान परंपरागत विधि-विधान के अनुसार किए जाएंगे, जिससे श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास और अधिक मजबूत हो।
महाप्रसाद और सांस्कृतिक कार्यक्रम
धार्मिक अनुष्ठानों के उपरांत 14 जनवरी को दोपहर 2 बजे से श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद वितरण किया जाएगा। समिति ने यह भी सुनिश्चित किया है कि प्रसाद वितरण व्यवस्थित ढंग से हो, ताकि सभी श्रद्धालु सहज रूप से इसमें शामिल हो सकें।
इसी दिन रात्रि 9 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुति दिए जाने की योजना है, जिससे मेले का माहौल और भी उल्लासपूर्ण बनेगा। समिति का मानना है कि सांस्कृतिक कार्यक्रम से युवाओं और ग्रामीणों की भागीदारी और अधिक बढ़ेगी।
समिति और ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी
इस बैठक में समिति के संरक्षक गण, वरिष्ठ कार्यकर्ता, पदाधिकारी, साथ ही फुलवा टांगर एवं आसपास के गांवों के महिला और पुरुष बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। बैठक में सभी ने आयोजन को सफल बनाने के लिए सहयोग और सक्रिय भागीदारी का आश्वासन दिया।
ग्रामीणों ने मेले के दौरान साफ-सफाई, श्रद्धालुओं की सहायता और सुरक्षा व्यवस्था में सहयोग करने की बात कही। समिति ने भी सभी उपस्थित लोगों से अपील की कि वे आयोजन के दौरान अनुशासन बनाए रखें और अतिथियों व श्रद्धालुओं का स्वागत सहयोगात्मक भावना के साथ करें।
धार्मिक और सामाजिक महत्व
भैरव बाबा धाम में आयोजित होने वाला मकर संक्रांति मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक परंपरा को भी मजबूत करता है। हर वर्ष इस मेले में दूर-दराज के गांवों से श्रद्धालु पहुंचते हैं और आपसी मेलजोल के माध्यम से सामाजिक सौहार्द का संदेश देते हैं।
समिति के अनुसार, मकर संक्रांति का यह आयोजन क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है, जिसे आने वाली पीढ़ियों तक संरक्षित रखना आवश्यक है।
न्यूज़ देखो: आस्था और व्यवस्था का संतुलन जरूरी
भैरव बाबा धाम में आयोजित होने वाला यह दो दिवसीय मेला स्थानीय धार्मिक परंपरा की मजबूत कड़ी को दर्शाता है। समिति द्वारा पहले से बैठक कर रूपरेखा तय करना प्रशासनिक और सामाजिक जिम्मेदारी का सकारात्मक उदाहरण है। हालांकि, बढ़ती भीड़ को देखते हुए सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना आवश्यक होगा। आने वाले दिनों में प्रशासन और समिति किस तरह समन्वय बनाती है, इस पर सभी की नजर रहेगी। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
आस्था के साथ जिम्मेदारी भी निभाएं
मकर संक्रांति का पर्व हमें एकता, सेवा और अनुशासन का संदेश देता है। धार्मिक आयोजनों की सफलता तभी संभव है, जब श्रद्धालु और आयोजक मिलकर जिम्मेदारी निभाएं। स्वच्छता बनाए रखना, नियमों का पालन करना और दूसरों की सुविधा का ध्यान रखना हम सभी का कर्तव्य है।





