
#नईदिल्ली #सरकारीनिर्णय : केंद्र सरकार मनरेगा का नाम बदलकर पूज्या बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी विधेयक 2025 करने के प्रस्ताव पर आज कैबिनेट में कर सकती है चर्चा
- मनरेगा का नाम बदलने पर कैबिनेट में विचार।
- नया प्रस्ताव: पूज्या बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी विधेयक 2025।
- बैठक 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में।
- योजना 2005 में पारित, 2006 में लागू—अब तक करोड़ों को रोजगार।
- कोविड-19 के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए साबित हुई जीवनदायिनी।
केंद्र सरकार देश की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा को एक नई पहचान देने की तैयारी में है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, आज होने वाली कैबिनेट बैठक में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम बदलकर पूज्या बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी विधेयक 2025 किए जाने पर फैसला संभव है। यह बैठक 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हो रही है। प्रस्ताव का उद्देश्य योजना के नाम को अधिक व्यापक और प्रतीकात्मक रूप देना बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, नए नाम से योजना की वैचारिक भावभूमि और ग्रामीण विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और स्पष्ट रूप से सामने आएगी।
मनरेगा की पृष्ठभूमि और महत्व
मनरेगा देश में ग्रामीण रोजगार की सबसे महत्वपूर्ण योजना है, जिसे 2005 में कानून के रूप में पारित किया गया था। यह उस समय की यूपीए सरकार के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लागू हुई। इस अधिनियम को 7 सितंबर 2005 को संसद ने पारित किया और 2 अक्टूबर 2006 को महात्मा गांधी की जयंती पर आधिकारिक रूप से लागू किया गया।
देशभर में रोजगार की गारंटी वाला कानून
मनरेगा के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन का अकुशल मजदूरी रोजगार देने की गारंटी है। इसमें सड़क निर्माण, तालाबों की खुदाई, नहरों का निर्माण जैसे श्रम आधारित कार्य शामिल हैं। यदि आवेदन देने के 15 दिनों के भीतर रोजगार नहीं दिया जाता, तो आवेदक को बेरोजगारी भत्ता मिलता है।
कोविड-19 में सहारा बनी योजना
कोविड-19 महामारी के दौरान मनरेगा ग्रामीण भारत के लिए सबसे बड़ा आर्थिक सहारा बनी। लाखों प्रवासी मजदूर जब शहरों से गांव लौटे, तब इसी योजना ने उन्हें तुरंत रोजगार उपलब्ध कराया। मनरेगा महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभाती रही है, क्योंकि यह घर के आसपास ही काम उपलब्ध कराती है।
योजना का नाम बदलने का इतिहास
मनरेगा का असली नाम शुरू में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) था। बाद में इसमें महात्मा गांधी के नाम को जोड़ा गया और इसका नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) कर दिया गया। यह नाम पूरे देश में मनरेगा के रूप में चर्चित रहा है। अब एक बार फिर इस योजना को नया नाम मिलने की संभावना है, जो इसे एक व्यापक और “राष्ट्रीय प्रेरणा” से जोड़ने का प्रयास माना जा रहा है।
शिक्षा क्षेत्र में भी बड़ा फैसला संभव
सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया है कि कैबिनेट बैठक में विकास भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक 2025 को भी मंजूरी दी जा सकती है। यह कानून शिक्षा क्षेत्र में व्यापक सुधार और संरचनात्मक बदलावों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
न्यूज़ देखो: मनरेगा का नया नाम—क्या बदलेगा भविष्य?
मनरेगा की पहचान देश के ग्रामीण ढांचे में गहराई से जुड़ी है। ऐसे में इसका नाम बदलने का कदम राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। हालांकि नाम बदलने से ज़मीनी कामकाज पर कितना असर होगा, यह भविष्य में ही पता चलेगा। ग्रामीण भारत के लिए आवश्यक है कि योजना की पारदर्शिता, भुगतान की समयबद्धता और रोजगार उपलब्धता मजबूत रहे। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
बदलाव की दिशा में आपकी भागीदारी भी जरूरी
किसी भी बड़ी सरकारी योजना में सुधार तभी सार्थक होते हैं जब जनता उसकी प्रगति पर पैनी नजर रखे। मनरेगा जैसे कार्यक्रम ग्रामीण भारत की रीढ़ हैं, इसलिए इसके भविष्य को लेकर आपकी राय भी महत्त्वपूर्ण है। आप क्या सोचते हैं—क्या नाम बदलने से फर्क पड़ेगा या नीतियों में सुधार अधिक जरूरी है? अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और जागरूकता फैलाएँ ताकि हर ग्रामीण परिवार तक सही जानकारी पहुंचे।





