
#गढ़वा #धार्मिक_आयोजन : डंडई के रारो ग्राम में 20 नवंबर को होगी बाबा वीर कुंवर की प्रतिमा स्थापना
- डंडई प्रखंड के रारो ग्राम में बाबा वीर कुंवर की भव्य प्रतिमा स्थापना की तैयारी जारी।
- धार्मिक आयोजन 20 नवंबर को, वहीं 21 नवंबर को विशेष पूजा-अर्चना होगी।
- यदुवंशी समाज और स्थानीय ग्रामीणों में कार्यक्रम को लेकर भारी उत्साह।
- देव स्थल परिसर में समतलीकरण, पंडाल और सजावट का कार्य अंतिम चरण में।
- समाज के प्रमुख सदस्य बिगन यादव, शिव प्रसाद यादव, कमलेश यादव, पप्पू यादव सहित कई लोगों की सक्रिय भूमिका।
गढ़वा जिले के डंडई प्रखंड के रारो ग्राम स्थित निमियादमर टोला में यदुवंशी समाज के कुलदेवता बाबा वीर कुंवर की भव्य प्रतिमा स्थापित करने की तैयारी पूरे जोश और श्रद्धा के साथ चल रही है। यह आयोजन 20 नवंबर को आयोजित किया जाएगा, जिसमें पूरे इलाके के श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल होंगे।
यदुवंशी समाज में उमंग और श्रद्धा का माहौल
प्रतिमा प्रतिष्ठापन का कार्य बाबा वीर कुंवर देव स्थल के समीप किया जाएगा। इस आयोजन को लेकर पूरे यदुवंशी समाज और ग्रामीणों में गहरी आस्था और उमंग देखी जा रही है। समाज के प्रमुख सदस्यों ने इसे ऐतिहासिक बनाने के लिए सामुदायिक सहयोग से व्यापक तैयारियाँ शुरू की हैं। बिगन यादव, शिव प्रसाद यादव, कमलेश यादव, पप्पू यादव, चंद्रिका यादव, प्रताप यादव और विनोद यादव जैसे समाजसेवी सदस्य लगातार स्थल पर मौजूद रहकर व्यवस्थाओं का नेतृत्व कर रहे हैं।
तैयारियाँ अंतिम चरण में, हर हाथ बना योगदान
देव स्थल परिसर के समतलीकरण, पंडाल सजावट, विद्युत व्यवस्था और साफ-सफाई का कार्य तेजी से पूरा किया जा रहा है। ग्रामीणों ने मिलकर स्थल को सुंदर और आकर्षक रूप देने में योगदान दिया है। आयोजकों के अनुसार, मूर्ति स्थापना के अगले दिन यानी 21 नवंबर को पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाएगा।
श्रद्धालुओं से अपील, शामिल हों इस ऐतिहासिक आयोजन में
समाज के सदस्यों ने क्षेत्र के सभी श्रद्धालुओं और यदुवंशी बंधुओं से इस पवित्र अवसर पर उपस्थित होकर बाबा वीर कुंवर का आशीर्वाद प्राप्त करने की अपील की है। उनका कहना है कि यह आयोजन न केवल धार्मिक एकता का प्रतीक होगा, बल्कि समाज में सामूहिक सहयोग और आस्था की मिसाल भी पेश करेगा।

न्यूज़ देखो: आस्था और एकता का संगम बनेगा बाबा वीर कुंवर प्रतिमा प्रतिष्ठापन
डंडई में होने वाला यह आयोजन समाज की सांस्कृतिक धरोहर और परंपरा को जीवंत रखने का अद्भुत उदाहरण है। इस तरह के आयोजनों से न केवल धार्मिक भावना प्रबल होती है, बल्कि सामुदायिक एकता और सहयोग की भावना भी मजबूत होती है।
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आस्था से एकता तक – यदुवंशी समाज का गौरवपूर्ण क्षण
यह आयोजन पूरे समाज के लिए गर्व और प्रेरणा का क्षण है। अब समय है कि हम सब मिलकर अपनी संस्कृति, परंपरा और सामाजिक एकजुटता को और सशक्त बनाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि इस पावन आयोजन की भावना हर हृदय तक पहुँचे।




