
#झारखंड #राष्ट्रपति_दौरा : शिक्षा, आदिवासी संस्कृति और जनसांस्कृतिक चेतना को मिलेगा राष्ट्रीय मंच
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 28 दिसंबर से तीन दिवसीय झारखंड दौरे पर रहेंगी।
- 28 दिसंबर को राष्ट्रपति का रांची आगमन, लोकभवन में रात्रि विश्राम।
- 29 दिसंबर को जमशेदपुर में एनआईटी दीक्षांत समारोह में होंगी शामिल।
- ओलचिकी लिपि के 100 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति की सहभागिता।
- 30 दिसंबर को गुमला जिले के रायडीह में जनसांस्कृतिक समागम की मुख्य अतिथि होंगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का आगामी तीन दिवसीय झारखंड दौरा राज्य के लिए ऐतिहासिक और बहुआयामी महत्व का माना जा रहा है। यह दौरा शिक्षा, आदिवासी संस्कृति, भाषा संरक्षण और जनसांस्कृतिक चेतना से जुड़े कार्यक्रमों पर केंद्रित रहेगा। राष्ट्रपति के इस प्रवास को लेकर राज्य प्रशासन, सुरक्षा एजेंसियों और संबंधित जिलों में तैयारियां तेज कर दी गई हैं।
28 दिसंबर: राष्ट्रपति का रांची आगमन, लोकभवन में रात्रि विश्राम
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 28 दिसंबर को राजधानी रांची पहुंचेंगी। बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर उनका औपचारिक स्वागत किया जाएगा। इसके पश्चात वे सीधे लोकभवन जाएंगी, जहां वे रात्रि विश्राम करेंगी। राष्ट्रपति के आगमन को लेकर राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। प्रशासन की ओर से प्रोटोकॉल के तहत सभी आवश्यक तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
रांची में राष्ट्रपति का प्रवास न केवल प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राज्य के लिए गौरव का क्षण भी माना जा रहा है, क्योंकि द्रौपदी मुर्मु झारखंड से गहरा जुड़ाव रखती हैं और आदिवासी समाज से आने वाली देश की पहली राष्ट्रपति हैं।
29 दिसंबर: जमशेदपुर में एनआईटी दीक्षांत समारोह में होंगी शामिल
दौरे के दूसरे दिन 29 दिसंबर को राष्ट्रपति जमशेदपुर जाएंगी। यहां वे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), जमशेदपुर के दीक्षांत समारोह में शामिल होंगी। इस अवसर पर वे छात्रों को उपाधियां प्रदान करेंगी और उन्हें राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करेंगी।
राष्ट्रपति का एनआईटी दीक्षांत समारोह में शामिल होना विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए विशेष प्रेरणा का स्रोत माना जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता और तकनीकी विकास पर राष्ट्रपति का मार्गदर्शन युवाओं के लिए दिशा तय करने वाला होगा।
ओलचिकी लिपि के 100 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष कार्यक्रम
जमशेदपुर प्रवास के दौरान राष्ट्रपति ओलचिकी लिपि के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में भी भाग लेंगी। यह कार्यक्रम आदिवासी समाज की भाषा, संस्कृति और पहचान को समर्पित होगा। ओलचिकी लिपि संथाली भाषा की आत्मा मानी जाती है और इसके सौ वर्षों का सफर आदिवासी सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है।
इस कार्यक्रम में आदिवासी संस्कृति की समृद्ध परंपरा, भाषा संरक्षण और साहित्यिक योगदान को रेखांकित किया जाएगा। राष्ट्रपति का इस आयोजन में शामिल होना आदिवासी समाज के लिए सम्मान और स्वाभिमान का विषय है। कार्यक्रम के माध्यम से देशभर को यह संदेश जाएगा कि भारत की विविध भाषाएं और संस्कृतियां उसकी सबसे बड़ी शक्ति हैं।
जमशेदपुर से लौटने के बाद राष्ट्रपति पुनः रांची पहुंचेंगी और लोकभवन में रात्रि विश्राम करेंगी।
30 दिसंबर: गुमला के रायडीह में जनसांस्कृतिक समागम की मुख्य अतिथि
राष्ट्रपति दौरे के अंतिम दिन 30 दिसंबर को गुमला जिले के रायडीह प्रखंड में आयोजित जनसांस्कृतिक समागम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगी। यह कार्यक्रम जनजातीय समाज की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति, लोक परंपराओं और सामुदायिक एकता को समर्पित होगा।
रायडीह में आयोजित यह समागम झारखंड के जनजातीय अंचलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राष्ट्रपति की उपस्थिति से स्थानीय कलाकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्रामीण समुदाय में उत्साह का माहौल है। इस अवसर पर पारंपरिक नृत्य, संगीत और लोक कला के माध्यम से झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय मंच मिलेगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का यह दौरा न केवल औपचारिक कार्यक्रमों तक सीमित रहेगा, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता, शिक्षा और सांस्कृतिक सशक्तिकरण के संदेश को मजबूती से आगे बढ़ाएगा।
प्रशासनिक तैयारियां और सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद
राष्ट्रपति के दौरे को लेकर रांची, जमशेदपुर और गुमला जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में है। सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। कार्यक्रम स्थलों पर प्रोटोकॉल के अनुसार व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही हैं, ताकि दौरा पूरी तरह सुरक्षित और सफल हो सके।
न्यूज़ देखो: झारखंड के लिए गौरव का अवसर
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का यह तीन दिवसीय दौरा झारखंड के लिए शिक्षा, संस्कृति और जनजातीय चेतना के लिहाज से ऐतिहासिक साबित होगा। यह दौरा राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान देने का कार्य करेगा।
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संस्कृति, शिक्षा और पहचान के उत्सव में सहभागी बनें
यह दौरा झारखंड की आत्मा और अस्मिता का उत्सव है।
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