
#Dhanbad #IITISMConvocation : ज्ञान को समाज और देश के विकास में लगाएं — राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संदेश
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छात्रों को भविष्य निर्माता बताया।
- 75वां दीक्षांत समारोह में 100 साल के गौरवमय इतिहास का उल्लेख।
- ग्रीन इंडिया और नवाचार पर जोर, ज्ञान को समाज तक पहुंचाने की अपील।
- जनजातीय युवाओं और महिलाओं के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का जिक्र।
- भारत तकनीकी महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर, रिसर्च और पेटेंट पर बल।
धनबाद स्थित आइआइटी-आइएसएम के 75वें दीक्षांत समारोह में शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने छात्रों को संदेश देते हुए कहा कि यह आपके जीवन के नए अध्याय की शुरुआत है। यह केवल व्यक्तिगत उपलब्धि का क्षण नहीं, बल्कि शिक्षकों के प्रति सम्मान और समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाने का अवसर भी है।
ग्रीन इंडिया और सिद्धांतों पर बल
राष्ट्रपति मुर्मू ने छात्रों से कहा कि अपने ज्ञान एवं कौशल का उपयोग केवल व्यक्तिगत विकास तक सीमित न रखें। समाज और देश में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए इसका इस्तेमाल करें। उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा:
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा: “अपनी बुद्धिमत्ता से केवल नवाचार न करें, बल्कि सिद्धांतों को भी बनाए रखें। ग्रीन इंडिया के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। आप भविष्य के निर्माता हैं।”
संस्थान के गौरवशाली इतिहास पर गर्व
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने आइआइटी-आइएसएम को एक विशिष्ट संस्थान बताते हुए कहा कि इसका 100 वर्षों का गौरवमय इतिहास रहा है। समय के साथ यह संस्थान लगातार विकसित हुआ है और आज शिक्षा एवं नवाचार का अग्रणी केंद्र बन गया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि संस्थान समाज के लिए काम कर रहा है, खासकर जनजातीय युवाओं और महिलाओं के कौशल विकास के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस संचालित कर रहा है।
देश के विकास में भूमिका और डिजिटल चुनौतियां
राष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि ज्ञान और कौशल का उद्देश्य समाज और देश की उन्नति के लिए होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल युग में सामाजिक असमानता को खत्म करना एक बड़ी चुनौती है, और इस दिशा में आइआइटी-आइएसएम जैसी संस्थाओं की जिम्मेदारी और बढ़ गई है।
भारत के बढ़ते वैश्विक सम्मान और तकनीकी महाशक्ति की राह
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत का मान पूरी दुनिया में बढ़ा है। आइआइटी-आइएसएम सिर्फ इंजीनियर तैयार नहीं करता, बल्कि सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने वाले पेशेवर भी तैयार करता है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि भारत तकनीकी महाशक्ति बनने की दिशा में बढ़ रहा है, जिसके लिए रिसर्च और पेटेंट को बढ़ावा देना होगा।
उन्होंने कहा कि जटिल समस्याओं का रचनात्मक समाधान निकालने की जिम्मेदारी इन संस्थानों और इनके छात्रों पर है, ताकि भारत न केवल तकनीकी रूप से मजबूत बने, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी संतुलित प्रगति कर सके।
न्यूज़ देखो: तकनीकी शिक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी का संगम
राष्ट्रपति का यह संदेश सिर्फ छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक है। ज्ञान को समाज और पर्यावरण के हित में लगाने का आह्वान, नवाचार के साथ सिद्धांतों को बनाए रखने की बात और ग्रीन इंडिया के निर्माण में योगदान आज की सबसे बड़ी जरूरत है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
मिलकर बदलें भारत का भविष्य
शिक्षा केवल करियर का माध्यम नहीं, बल्कि समाज सुधार का सबसे प्रभावी हथियार है। आइए, इस संदेश को शेयर करें, अपनी राय दें और युवा पीढ़ी को सकारात्मक दिशा देने में सहयोगी बनें।



