
#रांची #राजनीतिकविवाद : दरभंगा में राहुल गांधी की यात्रा के मंच से पीएम मोदी की दिवंगत मां पर की गयी अभद्र टिप्पणी के विरोध में रांची में राष्ट्रीय धर्म रक्षा मंच ने गांधी प्रतिमा के समक्ष जताया आक्रोश
- दरभंगा में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के मंच से युवक ने पीएम मोदी की दिवंगत मां पर अपशब्द कहे।
- भाजपा कार्यकर्ताओं ने पटना में कांग्रेस कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।
- रांची में राष्ट्रीय धर्म रक्षा मंच ने गांधी प्रतिमा के समक्ष कान पकड़कर मांगी माफी।
- अध्यक्ष अमृतेश पाठक ने कहा राजनीति का स्तर गिर गया है, दिवंगत आत्माओं और महिलाओं का अपमान शर्मनाक।
- कांग्रेस प्रवक्ता सोनाल शांति ने इस घटना को भाजपा का षड्यंत्र करार दिया और आरोपियों को भाजपा से जुड़ा बताया।
बिहार के दरभंगा में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के मंच से एक युवक द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत माता को लेकर कहे गए अपशब्द ने गहरी राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। इस बयान के बाद बिहार में कांग्रेस कार्यालय के बाहर भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया तो झारखंड की राजधानी रांची में भी इसका असर देखने को मिला। यहां राष्ट्रीय धर्म रक्षा मंच के कार्यकर्ताओं ने गांधी प्रतिमा के सामने कान पकड़कर माफी मांगी और राजनीति में गिरते स्तर पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। वहीं कांग्रेस ने घटना को भाजपा की साजिश बताते हुए आरोपों को पलट दिया।
दरभंगा की घटना और उसका प्रभाव
दरभंगा जिले में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के मंच से एक युवक ने पीएम नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां पर अपमानजनक टिप्पणी कर दी। घटना के सामने आते ही पूरे देश में इसकी आलोचना शुरू हो गई। बिहार की राजधानी पटना में भाजपा कार्यकर्ताओं ने सदाकत आश्रम स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया और कांग्रेस नेतृत्व से जवाब मांगा।
इस घटना के कारण कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस की यात्रा के मंच से इस तरह की टिप्पणी होना कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है। वहीं कांग्रेस इसे भाजपा का षड्यंत्र बता रही है।
रांची में राष्ट्रीय धर्म रक्षा मंच का विरोध
झारखंड की राजधानी रांची में राष्ट्रीय धर्म रक्षा मंच के बैनर तले लोगों ने बापू की प्रतिमा के समक्ष विरोध जताया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने पीएम मोदी की दिवंगत मां की तस्वीर और महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने कान पकड़कर सामूहिक रूप से माफी मांगी।
राष्ट्रीय धर्म रक्षा मंच के अध्यक्ष अमृतेश पाठक ने कहा: “हम माफी पीएम नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां की आत्मा से मांग रहे हैं क्योंकि जिस समाज का हिस्सा हम हैं, उसी समाज ने उन्हें अपशब्द कहा है। यह राजनीति किस दिशा में जा रही है, यह सोचने वाली बात है।”
अमृतेश पाठक ने आगे कहा कि भारत में दिवंगत आत्मा को परमेश्वर का दर्जा दिया गया है, ऐसे में किसी भी मृत आत्मा या माता के प्रति अभद्र भाषा का इस्तेमाल अक्षम्य है। उन्होंने कहा कि वे गांधी प्रतिमा के समक्ष विरोध इसलिए जता रहे हैं क्योंकि बापू ने ही समाज को अहिंसात्मक तरीके से विरोध करने का मार्ग दिखाया था।
टाना भगतों की भागीदारी
इस विरोध प्रदर्शन में टाना भगत समुदाय के लोग भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि किसी भी महिला पर अपमानजनक टिप्पणी करना न केवल व्यक्तिगत स्तर पर गलत है बल्कि यह महात्मा गांधी के विचारों और सिद्धांतों का भी अपमान है। टाना भगतों का मानना है कि ऐसे मामलों से समाज की नैतिकता पर प्रश्न उठते हैं और देश के राजनीतिक माहौल में और अधिक कटुता फैलती है।
कांग्रेस का पलटवार और भाजपा पर आरोप
भाजपा जहां इस घटना को लेकर कांग्रेस पर लगातार हमला कर रही है, वहीं झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सोनाल शांति उर्फ रिंकू तिवारी ने इसे भाजपा की रची साजिश बताया।
सोनाल शांति ने कहा: “जब यह घटना घटी उस समय मंच पर कोई बड़ा नेता मौजूद नहीं था। भाजपा ने कांग्रेस की यात्रा को बदनाम करने के लिए षड्यंत्र रचा है। यह उनका चाल, चरित्र और चेहरा है।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया कि आरोपी युवक की जो तस्वीरें वायरल हो रही हैं, वे इस बात का प्रमाण हैं कि वह भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा का कार्यकर्ता है। उनका कहना है कि भाजपा को राहुल गांधी की इस यात्रा से खतरा महसूस हो रहा है, इसलिए उन्होंने ऐसा कदम उठाया है।
राजनीति में भाषा का गिरता स्तर
इस घटना ने एक बार फिर राजनीति में भाषा और आचरण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अपशब्दों और व्यक्तिगत हमलों की राजनीति लोकतंत्र की आत्मा को कमजोर करती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विचारों के मतभेद को सम्मानजनक भाषा के साथ प्रकट करना लोकतांत्रिक समाज की बुनियाद है, लेकिन हाल के वर्षों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।

न्यूज़ देखो: राजनीति में गरिमा की आवश्यकता
दरभंगा की घटना और उसके बाद रांची में हुआ विरोध इस बात का संकेत है कि लोग अब राजनीति में गिरते स्तर को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह समझना होगा कि लोकतंत्र में बहस और असहमति की गुंजाइश है, लेकिन भाषा और आचरण की मर्यादा से परे जाकर समाज को बांटने का प्रयास स्वीकार्य नहीं है।
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राजनीति में शालीनता ही सच्ची ताकत
अब समय है कि हम सब राजनीति में भाषा की शालीनता और सम्मान की संस्कृति को अपनाएं। समाज में सकारात्मक संदेश तभी जाएगा जब असहमति अहिंसा और मर्यादित संवाद से प्रकट हो। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को दोस्तों तक साझा करें ताकि जागरूकता और जिम्मेदारी का संदेश आगे बढ़े।