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सम्मान और अधिकार की मांग पर एकजुट हुए आंदोलनकारी, गढ़वा में झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा का सम्मेलन सम्पन्न

#गढ़वा #आंदोलनकारी_सम्मेलन : झारखंड आंदोलनकारियों के लिए सीधी नियुक्ति, आर्थिक सहायता और राजकीय सम्मान की उठी मांग — नगर भवन में हुआ भव्य कार्यकर्ता सम्मेलन, सैकड़ों आंदोलनकारियों ने लिया भाग

नगर भवन में उमड़ा जनसैलाब, आंदोलनकारी बोले– सम्मान नहीं तो संघर्ष

गढ़वा नगर भवन में शनिवार को झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा, गढ़वा जिला इकाई की ओर से एक भव्य कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मौके पर झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता दिशुम गुरु शिबू सोरेन के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की गई। साथ ही यह मांग की गई कि उन्हें राजकीय सम्मान जल्द से जल्द गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से दिया जाए।

आंदोलनकारियों के अधिकारों को लेकर उठी पुरजोर आवाज

सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि झारखंड आंदोलन में भाग लेने वाले प्रत्येक आंदोलनकारी को राजकीय मान-सम्मान, विशेष पहचान, और उनके पुत्र-पुत्रियों को बिना परीक्षा सीधी सरकारी नियुक्ति की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने जेल जाने की बाध्यता खत्म करने और प्रत्येक आंदोलनकारी को ₹50,000 की सहायता राशि देने की भी मांग रखी।

पुष्कर महतो, संस्थापक प्रधान सचिव ने कहा: “अब समय आ गया है कि हम अपने बाल-बच्चों के भविष्य और अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट हों। यदि सरकार ने उपेक्षा की तो बड़ा जनांदोलन खड़ा होगा।”

बीरेंद्र ठाकुर, पलामू प्रमंडल उपाध्यक्ष ने कहा: “हमने झारखंड राज्य की लड़ाई लड़ी है, अब इस राज्य में हमें अपनी अस्मिता की रक्षा करनी है।”

महिला नेतृत्व को बढ़ावा, कबूतरी देवी बनीं केंद्रीय उपाध्यक्ष

इस मौके पर कबूतरी देवी को सर्वसम्मति से संघर्ष मोर्चा की केंद्रीय उपाध्यक्ष चुना गया। उन्होंने पदग्रहण के बाद सरकार से आंदोलनकारियों के पुत्र–पुत्रियों को बिना परीक्षा सरकारी नियुक्ति की वकालत की और कहा कि यह उनका संवैधानिक अधिकार है।

डॉ. रामनाथ मेहता, केंद्रीय महासचिव ने कहा: “आंदोलनकारियों के सम्मान से ही सरकार की गरिमा है। यह सम्मान देना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है।”

सैकड़ों आंदोलनकारियों ने लिया संकल्प

सम्मेलन में मूंग बिहारी, सुदर्शन सिंह, सुखनंदन सिंह, कमेश्वर चौधरी, लल्लू राम, मुरली श्याम सोनी सहित सैकड़ों आंदोलनकारी मौजूद रहे। सभी ने सम्मान और अधिकार की लड़ाई को एकजुट होकर आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।

न्यूज़ देखो: इतिहास रचने वालों को इतिहास में न छोड़ा जाए

झारखंड आंदोलन ने जिस हक और पहचान की लड़ाई से राज्य को जन्म दिया, अब उन्हीं आंदोलनकारियों को उनका हक दिलाना समय की मांग है। संघर्ष मोर्चा के इस सम्मेलन ने यह स्पष्ट किया कि सम्मान और अधिकार केवल घोषणाओं से नहीं, निर्णायक कार्रवाई से सुनिश्चित होंगे।
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