Latehar

बरवाडीह में पीटीजी डाकिया योजना बनी मजाक: आदिम जनजाति लाभुकों को घर नहीं सड़क पर दिया जा रहा राशन

Join News देखो WhatsApp Channel
#बरवाडीह #पीटीजी_डाकिया_योजना : लाभुक बोले – डीलर घर तक नहीं पहुंचाता राशन, सड़क किनारे बुलाकर करवाता वितरण
  • पीटीजी डाकिया योजना के तहत घर-घर खाद्यान्न पहुंचाने का दावा बेअसर।
  • बरवाडीह प्रखंड में डीलर मुकेश भुईया पर लापरवाही का आरोप।
  • लाभुक बोले – “घर से 2 किलोमीटर दूर सड़क किनारे बुलाकर दिया जाता है राशन।”
  • आदिम जनजाति परिवारों में नाराजगी, उठाई उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता से जांच की मांग।
  • डीलर द्वारा सड़क किनारे राशन गिराकर चले जाने की शिकायतें बढ़ीं।

बरवाडीह प्रखंड में चल रही पीटीजी डाकिया योजना (Particularly Vulnerable Tribal Group Postal Scheme) अपने मूल उद्देश्य से भटक गई है। आदिम जनजाति परिवारों तक खाद्यान्न पहुंचाने की यह योजना अब कागजों में ही घर-घर वितरण दिखा रही है, जबकि हकीकत में लाभुकों को सड़कों पर बुलाकर राशन दिया जा रहा है।

सड़क किनारे बंट रहा है आदिवासियों का राशन

जानकारी के अनुसार, इस योजना की जिम्मेदारी डीलर मुकेश भुईया को दी गई है। उन्हें प्रत्येक पीटीजी लाभुक के घर तक खाद्यान्न पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि डीलर घर तक नहीं पहुंचकर एक से दो किलोमीटर दूर सड़क किनारे लाभुकों को बुलाकर खाद्यान्न का वितरण करता है।

लाभुकों ने बताया कि इस कारण उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बुजुर्ग और महिलाएं दूर सड़क तक पैदल राशन लेने आती हैं, फिर अपने घर तक उसे ढोकर ले जाती हैं। इससे योजना का मकसद — “खाद्यान्न घर-घर पहुंचाना” — पूरी तरह विफल होता दिख रहा है।

लाभुकों ने जताया रोष और की शिकायत

आदिम जनजाति समुदाय के लाभुक प्रसाद परहिया (राशन कार्ड संख्या 202002802709) और राजनाथ परहिया (राशन कार्ड संख्या 202002802708) समेत कई अन्य ने बताया कि गुरुवार को डीलर मुकेश भुईया ने बरवाडीह–डालटनगंज मुख्य सड़क के केचकी बारह माइल के पास सड़क किनारे कई लाभुकों का राशन फेंक दिया और वापस चला गया।

एक लाभुक ने कहा: “हमने डीलर से कहा कि घर तक राशन पहुंचाइए, लेकिन उसने उल्टा डांट-फटकार लगाई। हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि भाड़ा देकर सड़क से घर तक राशन ढो सकें।”

लाभुकों ने उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता से तत्काल कार्रवाई और योजना की पुनर्समीक्षा की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार की इस योजना से आदिम जनजाति परिवारों को राहत मिलनी चाहिए थी, लेकिन डीलरों की लापरवाही से यह बोझ बन गई है।

योजना के उद्देश्य पर उठे सवाल

पीटीजी डाकिया योजना का उद्देश्य आदिम जनजाति परिवारों को सुदूर क्षेत्रों में न्यायोचित और सुलभ खाद्यान्न वितरण सुनिश्चित करना था। लेकिन अगर वितरण सड़क किनारे किया जा रहा है, तो इससे योजना की पारदर्शिता और मानवीय संवेदना दोनों पर सवाल उठ रहे हैं। सामाजिक संगठनों ने भी इसे गंभीर मामला बताते हुए प्रशासन से तत्काल जांच और सुधारात्मक कार्रवाई की मांग की है।

न्यूज़ देखो: संवेदनशील योजनाओं में जिम्मेदारी की कमी

बरवाडीह की यह स्थिति बताती है कि योजनाओं की ज़मीनी निगरानी कितनी आवश्यक है। जब गरीब और आदिम जनजाति परिवार अपने अधिकार के लिए परेशान हों, तो यह प्रशासनिक व्यवस्था पर गहरी चोट है। ऐसी योजनाओं को केवल कागजी उपलब्धि न बनाकर, वास्तविक लाभ पहुंचाना ही शासन की असली सफलता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

आदिम जनजाति की आवाज़ को मिले न्याय

अब समय है कि जिम्मेदार अधिकारी तुरंत जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करें, ताकि योजनाओं का असली लाभ ज़रूरतमंदों तक पहुंचे। समाज को भी ऐसी अन्यायपूर्ण स्थितियों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को शेयर करें और प्रशासन तक यह संदेश पहुंचाएं कि जनता अब जाग चुकी है।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250723-WA0070
IMG-20250610-WA0011
IMG-20251017-WA0018
20251209_155512
IMG-20250604-WA0023 (1)
1000264265
IMG-20250925-WA0154
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Akram Ansari

बरवाडीह, लातेहार

Related News

Back to top button
error: