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आर शरण संस्था द्वारा परहैया टोला में नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित

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#लातेहार #स्वास्थ्य_सेवा : पीवीटीजी समुदाय के 110 ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच, दवाइयों और कंबल का वितरण किया गया
  • आर शरण संस्था ने चटुआग गांव के परहैया टोला में नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया।
  • 110 ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच कर टीबी, कुष्ठ, लिवर रोग, कुपोषण जैसी बीमारियों की पहचान की गई।
  • उपाधीक्षक डॉ. अखिलेश्वर प्रसाद ने परिवार सहित एक किलोमीटर पैदल चलकर गांव पहुंचकर सेवा दी।
  • शिविर में चिकित्सकों ने दवाइयां, ग्लूकोज, आयरन सप्लीमेंट और कंबल वितरित किए।
  • आयोजन में जनसहभागिता और सेवा भावना का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत हुआ।

लातेहार जिले के चटुआग पंचायत के परहैया टोला में सोमवार को आर शरण संस्था द्वारा आयोजित नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर ने सेवा और समर्पण की मिसाल पेश की। स्वर्गीय डॉ. रमेश शरण, पूर्व कुलपति (विनोबा भावे विश्वविद्यालय) की स्मृति में आयोजित इस शिविर में 110 से अधिक ग्रामीणों, जिनमें अधिकांश पीवीटीजी समुदाय के सदस्य थे, की स्वास्थ्य जांच की गई। शिविर में चिकित्सकों की टीम ने कुपोषण, एनीमिया, त्वचा रोग और मलेरिया जैसी बीमारियों की पहचान की और आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराईं।

चिकित्सकों ने परिवार सहित किया सेवा कार्य

शिविर की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसमें चिकित्सकों ने परिवार सहित भाग लेकर सेवा दी। डॉ. अखिलेश्वर प्रसाद, उपाधीक्षक (सदर अस्पताल लातेहार) अपनी पत्नी पुष्पा देवी के साथ लगभग एक किलोमीटर पैदल चलकर गांव पहुंचे, क्योंकि वहां तक सड़क की सुविधा उपलब्ध नहीं है। उनके साथ डॉ. अलीशा टोप्पो (बालूमाथ स्वास्थ्य केंद्र), उनके पति आलोक टोप्पो, डॉ. अमरनाथ प्रसाद (सेवानिवृत्त चिकित्सा पदाधिकारी) और उनकी पत्नी रीना देवी ने भी सेवा दी।

डॉ. अखिलेश्वर प्रसाद ने कहा: “जहां सड़क नहीं पहुंची, वहां भी सेवा पहुंचनी चाहिए — यही असली चिकित्सा धर्म है।”

चिकित्सा सहायक चंदन कुमार, मुजाहिद खान (डीएमएलटी), नागेंद्र (ईसीजी तकनीशियन) और अर्मान (एक्स-रे तकनीशियन) ने भी शिविर में सक्रिय सहयोग दिया।

ग्रामीणों की स्थिति ने झकझोरा – गंभीर बीमारियां और कुपोषण

जांच के दौरान पाया गया कि पीवीटीजी समुदाय में कुपोषण और एनीमिया की समस्या अत्यधिक है। कई वृद्ध हड्डियों की कमजोरी और त्वचा रोगों से ग्रसित पाए गए। संस्था द्वारा सभी को ग्लूकोज, आयरन सप्लीमेंट, हेल्थ टॉनिक और आवश्यक दवाएं दी गईं। इस मौके पर वृद्ध पीवीटीजी लोगों को कंबल और बच्चों को चॉकलेट वितरित किए गए।

सेवा और संवेदना का अद्भुत संगम

इस शिविर में डॉ. प्रसाद के पुत्र अभिषेक कुमार, पुत्रवधू प्रियंका देवी, पोती शिवांशी और पोते श्रेष्ठ कुमार ने भी भाग लिया। श्रेष्ठ के चौथे जन्मदिन के अवसर पर उन्हें उपहार देने के बजाय पीवीटीजी समुदाय की सेवा में यह दिन समर्पित किया गया — जो समाज में एक प्रेरक उदाहरण बना।

डॉ. अमरनाथ प्रसाद ने कहा: “हमारे बच्चे जब सेवा को उत्सव की तरह मनाना सीखेंगे, तभी समाज बदल पाएगा।”

संस्था की प्रबंधक ने कही बड़ी बात

आर शरण संस्था की प्रबंधक सुश्री नेहा प्रसाद ने बताया कि यह आयोजन केवल चिकित्सा सेवा नहीं बल्कि जनभागीदारी, सहयोग और संवेदना की एक यात्रा है। उन्होंने कहा कि संस्था का उद्देश्य उन इलाकों तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाना है, जहां अब तक शासन की पहुँच सीमित है।

नेहा प्रसाद ने कहा: “डॉ. रमेश शरण हमें हमेशा याद दिलाते थे कि शिक्षा और सेवा तभी सार्थक है, जब वह सबसे जरूरतमंद तक पहुंचे।”

उन्होंने सभी चिकित्सकों और सहयोगियों के प्रति आभार जताते हुए कहा कि संस्था शीघ्र ही जिले के अन्य पीवीटीजी टोलों और दुर्गम क्षेत्रों में भी इसी तरह के स्वास्थ्य शिविर आयोजित करेगी। साथ ही, 6 से 18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की शैक्षणिक स्थिति के मूल्यांकन की योजना भी बनाई जा रही है।

सामुदायिक सहयोग से बना प्रेरक आयोजन

इस शिविर को सफल बनाने में पंचायत समिति सदस्य अयूब खान, मुखिया नरेश भगत, ममता देवी, वार्ड सदस्य सावन परहैया, समाजसेवी सुधीर प्रसाद, मुकेश साव, स्वास्थ्य सहिया सोमरमनी देवी और मुनीता देवी समेत कई ग्रामीणों का योगदान रहा।

अयूब खान ने कहा: “आर शरण संस्था और चिकित्सकों ने जो कार्य किया है, वह सच्ची सेवा भावना का उदाहरण है। ऐसे आयोजन से समाज में मानवता की नई चेतना जागेगी।”

न्यूज़ देखो: सेवा की सच्ची परिभाषा

चिकित्सकों द्वारा दुर्गम क्षेत्र में जाकर सेवा देना इस बात का संकेत है कि जनहित की भावना जब समाज के हर वर्ग में फैलती है, तो बदलाव असंभव नहीं रहता। लातेहार का यह आयोजन दिखाता है कि संवेदना और सहभागिता से कितनी बड़ी सामाजिक क्रांति संभव है।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सेवा का जश्न, संवेदना का संदेश

जब स्वास्थ्य, शिक्षा और सेवा मिलकर एक साथ चलें, तो समाज न केवल स्वस्थ बल्कि सशक्त बनता है। चटुआग का यह शिविर हमें याद दिलाता है कि छोटी पहलें भी बड़ा बदलाव ला सकती हैं।

सेवा की इस मिसाल को साझा करें, अपनी राय कमेंट में दें और दूसरों को प्रेरित करें कि वे भी समाज की भलाई के लिए एक कदम आगे बढ़ाएं। संवेदनशील बनें, सहभागी बनें, और बदलाव की इस लौ को जलाए रखें।

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