#शराबनीतिविवाद #रघुवरदास — पूर्व मुख्यमंत्री ने पूछा- कैबिनेट बड़ी या टीएसी? कौन था होटल खर्च का जिम्मेदार?
- रघुवर दास ने झारखंड की शराब नीति में गड़बड़ी का आरोप लगाया
- 2022 में लागू हुई छत्तीसगढ़ मॉडल की शराब नीति को बताया घोटाले का केंद्र
- CBI से जांच की मांग, होटल में रुके विधायकों के खर्च पर उठाए सवाल
- कैबिनेट बनाम TAC की भूमिका को लेकर सरकार की मंशा पर उठाया प्रश्न
- पूर्व सीएम ने अपने कार्यकाल की शराब नीति को बताया पारदर्शी और लाभकारी
पलामू में पूर्व मुख्यमंत्री का बड़ा बयान
पलामू दौरे पर आए पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मंगलवार को पलामू परिसदन में प्रेस वार्ता के दौरान झारखंड की वर्तमान शराब नीति को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि 2022 में लागू की गई छत्तीसगढ़ मॉडल की शराब नीति में भारी अनियमितताएं हुई हैं और इसकी जांच CBI से कराई जानी चाहिए।
कैबिनेट बड़ी या TAC?
रघुवर दास ने सरकार की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा:
“क्या झारखंड में कैबिनेट बड़ी है या ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी (TAC)? सरकार पहले कैबिनेट से आदिवासी इलाकों में शराब दुकान खोलने का फैसला करती है, फिर उसे TAC को भेजती है। ये संविधान और नियमों के खिलाफ है।”
अपने कार्यकाल की नीति को बताया लाभकारी
पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि:
“मेरे कार्यकाल में बनाई गई शराब नीति से राज्य को 1000 करोड़ के बदले 2000 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था।”
जबकि मौजूदा सरकार ने छत्तीसगढ़ की शराब नीति अपनाकर राज्य को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है।
विधायकों के होटल ठहराव पर भी सवाल
रघुवर दास ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि 21 से 31 अगस्त 2022 के बीच सत्तारूढ़ दल के 22 विधायक छत्तीसगढ़ के एक होटल में ठहरे थे, जिसकी पूरी व्यवस्था किसने कराई, इसकी CBI से जांच होनी चाहिए। उन्होंने आशंका जताई कि ये पूरा प्रकरण शराब नीति से जुड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है।
ACB और CBI जांचों का जिक्र
रघुवर दास ने बताया कि झारखंड में एसीबी और छत्तीसगढ़ में सीबीआई शराब नीति से जुड़े मामलों की जांच पहले से कर रही हैं। उन्होंने इन जांचों में झारखंड सरकार की भूमिका की गहराई से जांच की मांग की।
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