#चाईबासा #राहुलगांधी_मानहानि_मामला – 2018 के भाषण पर भाजपा नेता की याचिका, 5 साल बाद कोर्ट की सख्ती से फिर गरमाया मामला
- चाईबासा एमपी-एमएलए कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया
- 26 जून को अदालत में व्यक्तिगत पेशी का आदेश, छूट की अर्जी खारिज
- मामला 2018 में कांग्रेस अधिवेशन के भाषण से जुड़ा, भाजपा नेता प्रताप कुमार ने दर्ज की थी याचिका
- पहले समन और जमानती वारंट के बावजूद कोर्ट में पेश नहीं हुए राहुल गांधी
- वकील की ओर से हाईकोर्ट में वारंट रद्द करने की याचिका भी हो चुकी है खारिज
- अब कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया : राहुल गांधी को खुद उपस्थित होना होगा
2018 के भाषण से उपजा विवाद अब पहुंचा गिरफ्तारी की दहलीज़ तक
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की परेशानियां एक बार फिर बढ़ती नज़र आ रही हैं। झारखंड के चाईबासा स्थित एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। अदालत ने उन्हें 26 जून 2025 को कोर्ट में स्वयं उपस्थित होने का आदेश भी जारी किया है।
अधिवक्ता केशव प्रसाद ने बताया कि यह मामला 28 मार्च 2018 को राहुल गांधी द्वारा दिए गए भाषण से जुड़ा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में भाजपा पर टिप्पणी करते हुए राहुल गांधी के बयान को भाजपा नेता प्रताप कुमार ने आपत्तिजनक और मानहानिपूर्ण मानते हुए 9 जुलाई 2018 को चाईबासा सीजेएम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट से भी नहीं मिली राहत, कोर्ट ने दिखाया सख्त रुख
यह केस शुरू में सीजेएम कोर्ट में चल रहा था, लेकिन 20 फरवरी 2020 को झारखंड हाईकोर्ट के निर्देश पर इसे रांची स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित किया गया। वहां से यह चाईबासा कोर्ट भेजा गया। मामले की लगातार सुनवाई और समन जारी होने के बावजूद राहुल गांधी कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हुए।
उनके वकील द्वारा शारीरिक पेशी से छूट के लिए दी गई अर्जी को कोर्ट ने गंभीरता से खारिज कर दिया। साथ ही, हाईकोर्ट में दायर की गई वारंट रोकने की याचिका भी पहले ही खारिज हो चुकी है। अब कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए सीधा आदेश दिया है कि राहुल गांधी को 26 जून को पेश होना ही होगा।
सियासी हलकों में हलचल, विपक्षी प्रतिक्रिया का इंतजार
इस मामले को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल शुरू हो गई है। हालांकि अब तक कांग्रेस पार्टी की ओर से कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन भाजपा नेता इसे न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान और सच्चाई की जीत बता रहे हैं। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होना लोकतांत्रिक व्यवस्था में बड़ी बात है, जिससे आगे की राजनीति प्रभावित हो सकती है।
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