#जारी #बरसात : भारी बारिश से क्षतिग्रस्त हुए कई मकान — गोविंदपुर की पीड़ित महिला ज्योति पन्ना ने उठाई मुआवजे की मांग
- लगातार बारिश से जारी प्रखंड में जनजीवन अस्त-व्यस्त
- गोविंदपुर पंचायत के बड़काडीह गांव में ज्योति पन्ना का घर ध्वस्त
- मिट्टी धंसने से रात के समय ढहा घर, अलमारी-बर्तन सहित कई सामान क्षतिग्रस्त
- परिवार फिलहाल शरण में, खाने-पीने को भी गंभीर संकट
- ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल मुआवजा और पुनर्वास की मांग की
लगातार बारिश से उजड़े कई आशियाने
जारी प्रखंड में बीते कई दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण गरीब और किसान परिवारों के घर बुरी तरह प्रभावित हो चुके हैं। कई कच्चे मकान या तो ढह गए हैं या गिरने की कगार पर हैं। खेतों में पानी भरने से फसलें डूबने लगी हैं, वहीं जमीन भी दलदल में बदल चुकी है। ग्रामीणों का सामान्य जनजीवन ठप हो गया है।
ज्योति पन्ना के घर का मलबा बनी जिंदगी
गोविंदपुर पंचायत के बड़काडीह गांव निवासी ज्योति पन्ना ने बताया कि 8 दिन पहले रात लगभग 8 बजे, जब तेज बारिश हो रही थी, तभी मिट्टी खिसकने से उनका कच्चा मकान अचानक भरभराकर ढह गया। घर के अंदर मौजूद परिवार के सदस्य किसी तरह भागकर बाहर निकले, जिससे जानमाल की हानि नहीं हुई, लेकिन अलमारी, बक्सा, बर्तन, राशन व कपड़े सब मलबे में दब गए।
ज्योति पन्ना ने बताया: “अब हमारे पास न रहने को घर है और न खाने को राशन। किसी तरह दूसरे के घर में शरण लिए हैं। प्रशासन से उम्मीद है कि जल्दी मदद मिले।”
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से लगाई गुहार
ज्योति पन्ना और उनके परिजनों ने पंचायत प्रतिनिधियों व प्रखंड प्रशासन से तत्काल राहत और मुआवजे की मांग की है। उनका कहना है कि अब रहने का कोई ठिकाना नहीं बचा और अगर जल्द सहायता नहीं मिली तो परिवार भुखमरी का शिकार हो सकता है।
ग्रामीणों का आक्रोश और चेतावनी
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि जारी प्रखंड में ऐसे कई अन्य परिवार हैं जिनके मकान बारिश से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। यदि प्रशासन तुरंत सर्वे और मदद की पहल नहीं करता, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। बच्चों और बुजुर्गों की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है।
प्रशासन से अपेक्षा: राहत शिविर और पुनर्वास की व्यवस्था
ग्रामीणों ने प्रखंड स्तर पर निरीक्षण दल भेजने, क्षति का आकलन करने और प्रभावित परिवारों के लिए राहत शिविर, खाद्यान्न किट और आवास योजना के तहत पुनर्वास की मांग की है।



न्यूज़ देखो: टूटी छतों के नीचे उजड़ते सपने
जारी प्रखंड की इस स्थिति ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि आपदा आने पर सबसे अधिक नुकसान गरीबों को होता है, और यदि प्रशासन सजग न हो तो यह संकट त्रासदी में बदल सकता है।
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