
#गुमला #मकानक्षति — डुमरी प्रखंड के बेरी गांव में भारी बारिश से कच्चा घर ढहा, पीड़ित परिवार कर रहा प्रशासनिक सहायता की मांग
- लगातार तीन दिन की बारिश से बेरी गांव का जनजीवन अस्त-व्यस्त
- लक्ष्मण शाह का कच्चा मकान बारिश में गिरा, परिवार हुआ बेघर
- घर का सारा सामान मलबे में दबा, खाने-पीने की स्थिति संकट में
- प्रशासन से राहत व मुआवजा दिलाने की उठी मांग
- अन्य कई घरों में भी आई दरारें, भविष्य में बड़ा खतरा
भारी बारिश ने उजाड़ा आशियाना
डुमरी प्रखंड के नवाडीह पंचायत स्थित बेरी गांव में लगातार तीन दिनों से हो रही बारिश ने ग्रामीणों के जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। बारिश के चलते जहां खेत जलमग्न हो चुके हैं, वहीं कई कच्चे मकानों में दरारें और गिरावट जैसी घटनाएं सामने आई हैं।
सबसे बड़ा नुकसान गांव निवासी लक्ष्मण शाह को हुआ, जिनका कच्चा मकान बारिश और मिट्टी धंसने से अचानक ढह गया। गनीमत रही कि हादसे के वक्त परिवार के सभी सदस्य घर से बाहर निकलने में सफल रहे और कोई जानमाल की हानि नहीं हुई। मगर घर के भीतर रखा सारा सामान मलबे में दब गया है।
पीड़ित परिवार ने मांगी तत्काल सहायता
लक्ष्मण शाह फिलहाल अपने परिवार के साथ पड़ोसियों के घर में शरण लिए हुए हैं, लेकिन भोजन, वस्त्र और रहने की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। उन्होंने प्रशासन से मुआवजे और त्वरित पुनर्वास की गुहार लगाई है।
लक्ष्मण शाह ने कहा: “बारिश ने सब कुछ छीन लिया है। अब न रहने की जगह है, न खाने का साधन। सरकार से अपील है कि हमें तत्काल सहायता दी जाए।”
पूरे इलाके में संकट की स्थिति
बेरी गांव के अन्य ग्रामीणों ने भी बताया कि गांव में कई और कच्चे घरों की दीवारें दरकने लगी हैं और अगर बारिश इसी तरह जारी रही तो अगले कुछ दिनों में बड़े हादसे हो सकते हैं। लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि गांव का निरीक्षण कर सभी प्रभावित परिवारों को राहत दी जाए।
प्रशासन से की गई मांगें
ग्रामीणों ने पंचायत प्रतिनिधियों और प्रखंड प्रशासन से निम्नलिखित मांगें की हैं:
- बेरी गांव का तत्काल निरीक्षण किया जाए।
- प्रभावित परिवारों को रहने के लिए तिरपाल, भोजन, कपड़े एवं अन्य राहत सामग्री उपलब्ध कराई जाए।
- स्थायी आवास निर्माण के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना या आपदा राहत योजना के तहत लाभ दिया जाए।


न्यूज़ देखो: बारिश में उजड़ते गांवों की आवाज़ बने प्रशासन
बेरी गांव में लगातार हो रही बारिश से उजड़ा लक्ष्मण शाह का घर सिर्फ एक उदाहरण है, ऐसी घटनाएं पूरे राज्य में आपदा प्रबंधन की तैयारी पर सवाल खड़े करती हैं। न्यूज़ देखो का मानना है कि आपदा के समय में प्रशासन की संवेदनशीलता और त्वरित कार्यवाही ही असली राहत होती है। यदि समय पर कार्रवाई न हो, तो छोटे गांवों में मानव संकट और गहराता चला जाएगा।
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