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रामनवमी पर गढ़वा में गूंजा इंसानियत का जयघोष, अनाथ अतिराज की पढ़ाई का जिम्मा उठाएंगे मिथिलेश ठाकुर

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#गढ़वा #रामनवमी – झंडा चौक के मंच से उमड़ी संवेदना, पूर्व मंत्री की मदद से अनाथ बालक का जीवन बदलेगा

  • 12 वर्षीय अनाथ बालक अतिराज के जीवन में अब नई उम्मीद की किरण
  • पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने रामनवमी पर मंच से की पढ़ाई का संपूर्ण खर्च उठाने की घोषणा
  • मझिआंव मोड़ झंडा चौक पर हुए कार्यक्रम में अतिराज को सम्मानित किया गया
  • अतिराज के माता-पिता दोनों नहीं रहे, जानकारी मिलते ही ठाकुर भावुक हो उठे
  • मौके पर मौजूद महावीर मंडल, आमजन और गणमान्य लोगों ने ठाकुर के निर्णय की सराहना की
  • अतिराज की नम आंखों ने मंच पर बयां की कृतज्ञता और भावनाएं

रामनवमी पर पूर्व मंत्री ने दिखाया सच्चा धर्म, अनाथ को मिला नया सहारा

रामनवमी के शुभ अवसर पर गढ़वा शहर में एक भावुक और प्रेरणादायक क्षण सामने आया। इंदिरा गांधी रोड निवासी 12 वर्षीय अनाथ बालक अतिराज केशरी, जिनके माता-पिता – स्व. राजेश प्रसाद केशरी और स्व. जूली केशरी – अब इस दुनिया में नहीं हैं, उन्हें एक नई उम्मीद मिली है।

पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने रामनवमी के दिन, मझिआंव मोड़ झंडा चौक पर आयोजित कार्यक्रम में जब अतिराज की कहानी सुनी, तो वे गहराई से भावुक हो उठे। मंच से उन्होंने उसकी पूरी शिक्षा का खर्च वहन करने की घोषणा कर दी।

महावीर मंडल के मंच पर भावनाओं का सैलाब, हर आंख हुई नम

महावीर मंडल के संरक्षक स्व. राजेश प्रसाद केशरी की स्मृति में रामनवमी पर आयोजित कार्यक्रम में जब अतिराज को मंच पर सम्मानित करने के लिए बुलाया गया, तब मुख्य अतिथि मिथिलेश ठाकुर को उसकी पारिवारिक स्थिति की जानकारी दी गई

“मैं खुद एक पिता हूं, अतिराज की हालत ने मुझे अंदर तक हिला दिया। उसकी पढ़ाई अब मेरी जिम्मेदारी है,”मिथिलेश ठाकुर, पूर्व मंत्री

इस घोषणा के बाद मंच पर तालियों की गूंज के साथ-साथ भावनाओं की लहर दौड़ गई। अतिराज ने नम आंखों से कहा:

“कौन कहता है भगवान नहीं होते, आज रामनवमी पर भगवान खुद मेरे सामने आए हैं।”

मंच से मिली प्रेरणा, समाजसेवा की नई परिभाषा

गढ़वा वासियों ने इस निर्णय को सामाजिक समरसता और सच्ची सेवा भावना की मिसाल बताया। इस घटना ने न सिर्फ अतिराज को नया सहारा दिया, बल्कि पूरे समाज को यह संकेत भी दिया कि करुणा और संवेदना ही सच्चा धर्म है।

कार्यक्रम में शामिल लोगों ने ठाकुर के इस निर्णय को दिल से सराहा, और कहा कि यह कदम गढ़वा जिले में सामाजिक जिम्मेदारी की नई मिसाल बनेगा।

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