#गढ़देवी #रामकथा_समापन — पूर्व मंत्री की मौजूदगी में रामराज्य की दिव्य अनुभूति, भक्त हुए भाव-विभोर
- रामकथा के अंतिम दिन उमड़ी श्रद्धालुओं की विशाल भीड़
- अयोध्या से पधारे पूज्य प्रपन्नाचार्य जी ने सुनाई रावण वध व रामराज्य की कथा
- शबरी संवाद और नवधा भक्ति का भावुक चित्रण रहा आकर्षण का केंद्र
- पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने किया रामराज्याभिषेक का मंचन
- श्रद्धालुओं को मिला सत्य, धर्म, प्रेम और त्याग का संदेश
- आयोजकों ने आभार जताकर अगले वर्ष के आयोजन की घोषणा की
कथावाचक की जीवंत प्रस्तुति और रामायण के प्रसंगों की मार्मिक व्याख्या
गढ़देवी मोहल्ला स्थित नरगिर आश्रम में चल रही श्रीमद रामकथा के अंतिम दिन श्रद्धा की लहर उमड़ पड़ी। अयोध्या से पधारे पूज्य बालस्वामी प्रपन्नाचार्य जी ने रामायण के प्रमुख प्रसंगों को इतनी भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया कि पूरा वातावरण भक्तिरस से सराबोर हो गया।
“रामकथा केवल कथा नहीं, आत्मशुद्धि का माध्यम है जो हर श्रोता को भीतर तक झकझोर देती है,”
— पूज्य प्रपन्नाचार्य जी
उन्होंने वनगमन, चित्रकूट प्रवास, अगस्त्य मुनि की कथा, अनुसूया से संवाद, शबरी भेंट और अंत में रावण वध व रामराज्याभिषेक जैसे प्रसंगों को इस तरह प्रस्तुत किया कि भक्तों की आंखें नम हो गईं। राम का चित्रकूट में घास-फूस की कुटिया में 11 वर्षों का तपस्वी जीवन, शबरी की भक्ति और नवधा भक्ति के सिद्धांतों ने कथा को नई ऊंचाई दी।
पूर्व मंत्री की गरिमामयी उपस्थिति और रामराज्याभिषेक का मंचन
कार्यक्रम के अंतिम चरण में पूर्व मंत्री श्री मिथिलेश ठाकुर का आगमन हुआ, जिन्हें आयोजकों ने रामनामी पट्टा ओढ़ाकर सम्मानित किया। उन्होंने रामकथा को जीवन का दर्शन बताते हुए कहा:
“रामायण जीवन की सबसे बड़ी पाठशाला है, जो हमें कर्तव्य, धर्म और प्रेम के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देती है।”
— श्री मिथिलेश ठाकुर
उनके करकमलों से जब रामराज्याभिषेक का मंचन हुआ, तो श्रद्धालुओं में उत्साह की लहर दौड़ गई और पूरा परिसर जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा।
सामाजिक सहभागिता और आयोजन समिति का योगदान
रामकथा के सफल आयोजन में समिति के सभी सदस्यों ने दिन-रात मेहनत की। चन्दन जायसवाल ने अध्यक्ष के रूप में सभी सहयोगियों का नाम लेकर आभार जताया और घोषणा की कि अगले वर्ष भी कथा का आयोजन भव्य रूप में किया जाएगा।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जगजीवन बघेल, दीनानाथ बघेल, जयशंकर बघेल, गुड्डू हरि, विकास ठाकुर, भरत केशरी, गौतम शर्मा, धर्मनाथ झा, दिलीप पाठक, राजन पाण्डेय, अमित पाठक, अजय राम, गौतम चंद्रवंशी, सोनू बघेल, पवन बघेल, सुमित लाल, अजय सिंह, राकेश चंद्रा, सूरज सिंह, शांतनु केशरी, शुभम् चंद्रवंशी, सोनू, सुन्दरम्, शिवा सहित अनेकों का योगदान रहा।



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गढ़देवी में हुई इस रामकथा ने सामाजिक समरसता, आस्था और परंपरा को नई ऊर्जा दी। न्यूज़ देखो आपको इसी तरह हर आयोजन, श्रद्धा और संस्कृति की गहराई तक पहुंचाता रहेगा — हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
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