
#सिमडेगा #रामरेखा_महोत्सव : उपायुक्त की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में व्यवस्थागत चुनौतियों और समाधान पर विस्तृत चर्चा—पर्यटन विकास को बढ़ावा देने की तैयारियां तेज
- उपायुक्त सिमडेगा कंचन सिंह की अध्यक्षता में प्रथम राजकीय रामरेखा महोत्सव-सह-मेला की समीक्षा बैठक आयोजित।
- समिति ने तीन नए वैकल्पिक मार्ग विकसित करने का प्रस्ताव रखा—जाम की समस्या दूर करने पर जोर।
- पार्किंग, विद्युत, नेटवर्क और पेयजल व्यवस्था को मजबूत करने का निर्देश।
- अगले वर्ष मेला परिसर में थर्माकोल और प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करने की तैयारी।
- मेला क्षेत्र को सुव्यवस्थित बनाने हेतु दुकानों की श्रेणीवार व्यवस्था और परिसर का विस्तार प्रस्तावित।
- बैठक में उप विकास आयुक्त दीपांकर चौधरी, अपर समाहर्ता ज्ञानेन्द्र, एसडीओ प्रभात रंजन ज्ञानी सहित कई पदाधिकारी और समिति सदस्य उपस्थित।
पहले राजकीय रामरेखा महोत्सव के सफल आयोजन के बाद सिमडेगा उपायुक्त कंचन सिंह ने समिति सदस्यों के साथ विस्तृत समीक्षा बैठक की। इस महोत्सव में अपेक्षा से अधिक भीड़ आने के कारण कई व्यवस्थागत चुनौतियां सामने आईं, जिन पर आगामी वर्ष के लिए ठोस समाधान तैयार किए जा रहे हैं। बैठक में पर्यटन की दृष्टि से रमणीय रामरेखा धाम क्षेत्र को विकसित करने की संभावनाओं पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
आयोजन की समीक्षा और अगले वर्ष को लेकर रणनीति
बैठक में उपायुक्त ने बताया कि पहली बार इतने बड़े स्तर पर आयोजित महोत्सव में श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे भीड़ प्रबंधन, पार्किंग और आवाजाही में कुछ चुनौतियाँ आईं। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रशासन इन अनुभवों के आधार पर अगले वर्ष महोत्सव को अधिक व्यवस्थित, सुरक्षित और सुचारू बनाने की तैयारी में जुटा है।
पार्किंग, मार्ग निर्माण और सुविधाओं के विस्तार पर जोर
बैठक में पार्किंग की कमी और यातायात जाम को मुख्य समस्या माना गया। इसे दूर करने के लिए समिति ने तीन नए वैकल्पिक मार्गों का प्रस्ताव रखा:
- कैरबेड़ा चौक से भूम्भू
- बानाबिरा से कोण्डरा
- शहीद स्थल से रामरेखा मंदिर के नीचे बेस गांव
इन मार्गों के विकसित होने से आने-जाने के लिए अलग रास्ते उपलब्ध होंगे और भीड़ विभाजित होकर जाम की स्थिति कम होगी।
साथ ही घाटी क्षेत्र के चौड़ीकरण के लिए फॉरेस्ट क्लीयरेंस हेतु प्रस्ताव पथ निर्माण विभाग से भेजने की बात पर सहमति बनी।
मूलभूत सुविधाओं को सुदृढ़ करने की तैयारी
महोत्सव के दौरान विद्युत, नेटवर्क, संचार और पेयजल आपूर्ति में आई चुनौतियों को देखते हुए उपायुक्त ने इन सभी व्यवस्थाओं को अगले वर्ष अपग्रेड करने का निर्देश दिया।
मेला क्षेत्र के विस्तार, साफ-सफाई व्यवस्था को मजबूत बनाने और दुकानों को श्रेणीवार लगाने का निर्णय लिया गया, ताकि श्रद्धालुओं को सुविधा मिले और भीड़ का दबाव नियंत्रित रहे।
पर्यावरण संरक्षण पर विशेष निर्देश
अगले वर्ष मेला परिसर में थर्माकोल और प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय हुआ। उपायुक्त ने कहा कि ऐसे आयोजन पर्यावरण संरक्षण के लिए उदाहरण बनें और स्वच्छ पर्यटन को बढ़ावा दें।
समिति ने प्रशासन के प्रति जताया आभार
बैठक के अंत में समिति ने सफल आयोजन में प्रशासन की सक्रिय भूमिका के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि संयुक्त प्रयासों से यह महोत्सव आने वाले वर्षों में राज्य का प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र बन सकता है।
बैठक में उपस्थित अधिकारी
इस समीक्षा बैठक में
उप विकास आयुक्त दीपांकर चौधरी,
अपर समाहर्ता ज्ञानेन्द्र,
अनुमंडल पदाधिकारी प्रभात रंजन ज्ञानी,
जिला खेल पदाधिकारी मनोज कुमार,
नजारा उप समाहर्ता-सह-प्रखंड विकास पदाधिकारी समीर रेनियर खालखो,
प्रखंड विकास पदाधिकारी पाकरटांड़,
तथा कई समिति सदस्य उपस्थित रहे।

न्यूज़ देखो: पर्यटन विकास की दिशा में बड़ा अवसर
रामरेखा महोत्सव की समीक्षा से स्पष्ट है कि प्रशासन इस आयोजन को न सिर्फ धार्मिक उत्सव बल्कि पर्यटन विकास के बड़े अवसर के रूप में देख रहा है। भीड़ प्रबंधन, बुनियादी सुविधाओं और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस पहलें स्वागत योग्य हैं। यदि प्रस्तावित मार्ग और व्यवस्थाएं समय पर बनती हैं तो रामरेखा धाम आने वाले समय में राज्य का प्रमुख आकर्षण बनने की क्षमता रखता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
बेहतर आयोजन, सुरक्षित यात्रा—हमारी जिम्मेदारी
रामरेखा धाम प्राकृतिक सुंदरता और आस्था का संगम है, और इसे सुरक्षित व व्यवस्थित रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। प्रशासन ने जिस दूरदर्शिता के साथ अगला कदम तैयार किया है, वह पूरे जिले के लिए प्रेरणादायक है। आने वाले वर्षों में यह महोत्सव सिमडेगा की पहचान बने—इसके लिए जनसहयोग और सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
आप बताएं—क्या आपको लगता है कि नए मार्ग और बेहतर व्यवस्थाएं रामरेखा महोत्सव को और सफल बना सकेंगी? अपनी राय कमेंट करें, खबर को साझा करें और जागरूकता बढ़ाएं ताकि इस ऐतिहासिक स्थल को विश्वस्तरीय पहचान मिल सके।





