- बरियातू क्षेत्र में CCL के रिटायर्ड अधिकारी से 2.27 करोड़ रुपये की ठगी।
- ठगों ने खुद को TRAI और साइबर सेल अधिकारी बताया।
- डिजिटल अरेस्ट और झूठे मामले में फंसाने का डर दिखाकर पैसे ट्रांसफर करवाए।
- CID ने FIR दर्ज कर मामले की जांच शुरू की।
कैसे हुई ठगी?
झारखंड के रांची से साइबर ठगी का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। बरियातू क्षेत्र में रहने वाले CCL के रिटायर्ड अधिकारी साइबर ठगी का शिकार हो गए। ठगों ने खुद को टेलीफोन रेगुलेटरी अथॉरिटी (TRAI) और साइबर सेल का अधिकारी बताकर 2.27 करोड़ रुपये ठग लिए।
ठगों ने रिटायर्ड अधिकारी को बताया कि उनके मोबाइल नंबर से भ्रामक विज्ञापन प्रसारित हुआ है, जिसके चलते उन पर साइबर अपराध का मामला दर्ज किया जाएगा।
इसके बाद अलग-अलग नंबरों से फर्जी अधिकारियों और एक महिला का फोन आया। ठगों ने डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाते हुए उन्हें झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दी और 10 दिसंबर से 20 दिसंबर तक डिजिटल अरेस्ट होने की बात कही।
ठगी का तरीका
ठगों ने लगातार दबाव बनाकर RTGS और NEFT के जरिए आठ अलग-अलग खातों में पैसे ट्रांसफर करवाए। रिटायर्ड अधिकारी को जब ठगी का एहसास हुआ, तब उन्होंने साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 और CID से संपर्क किया।
CID के IG असीम विक्रांत मिंज ने कहा, “ठगों ने कुल 2 करोड़ 27 लाख 50 हजार रुपये की ठगी की है। मामले की जांच जारी है।”
मामले की जांच
सीआईडी ने FIR दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में यह संभावना जताई जा रही है कि ठगी के तार महाराष्ट्र से जुड़े हो सकते हैं।
हालांकि, सवाल यह है कि ठगों को लोगों की आर्थिक और व्यक्तिगत जानकारी कैसे मिलती है। साइबर अपराध रोकने के लिए चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के बावजूद ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
सतर्कता जरूरी
साइबर अपराधों से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहना चाहिए। किसी भी अनजान कॉल पर अपनी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी साझा न करें। साइबर क्राइम की घटनाओं की सूचना तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर दें।
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