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रांची में बालू माफिया बेलगाम: पुलों और अफसरों पर संकट, संजय सेठ ने टास्क फोर्स की मांग की

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#रांची #बालूमाफिया — एसडीओ पर हमले के बाद भी शासन मौन, रक्षा राज्य मंत्री ने उठाई बड़ी मांग

  • रांची में बालू माफियाओं का आतंक चरम पर, एसडीओ को कुचलने की कोशिश
  • अवैध कारोबार के चलते नदियाँ और पुल खतरे में, पर्यावरणीय संकट गहराया
  • संजय सेठ ने झारखंड के मुख्य सचिव को लिखा पत्र, टास्क फोर्स गठन की मांग
  • अधिकारी निशाने पर होने के बावजूद प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
  • जनता बालू के लिए तरस रही, महंगे दामों पर खरीदने को मजबूर

बालू माफिया के आगे बेबस प्रशासन, नदियाँ और पुल हो रहे तबाह

रांची समेत पूरे झारखंड में अवैध बालू कारोबार अब केवल आर्थिक या प्रशासनिक मुद्दा नहीं रह गया है। यह अब एक गंभीर पारिस्थितिकीय संकट और कानून-व्यवस्था की चुनौती बन चुका है। कई नदियाँ अवैध खनन से अपना अस्तित्व खो रही हैं, और पुलों की नींव भी अब कमजोर पड़ने लगी है।

बालू माफिया इतने हावी हैं कि अब अधिकारियों पर भी जानलेवा हमले कर रहे हैं। कुछ दिन पहले रांची के एसडीओ उत्कर्ष कुमार और जिला खनन पदाधिकारी पर अवैध कारोबारियों द्वारा कुचलने का प्रयास किया गया। इसके बावजूद न तो सरकार और न ही प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई की गई है।

रक्षा राज्य मंत्री ने दिखाई गंभीरता, लिखा मुख्य सचिव को पत्र

भारत सरकार के रक्षा राज्य मंत्री और रांची से सांसद संजय सेठ ने इस गंभीर विषय पर कड़ा रुख अपनाते हुए झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में रांची लोकसभा क्षेत्र सहित पूरे झारखंड में बालू के अवैध कारोबार को लेकर राज्य स्तरीय विशेष टास्क फोर्स के गठन की मांग की है।

“अवैध बालू कारोबार से जुड़े लोग अब अधिकारियों को भी निशाना बना रहे हैं। यह शासन-प्रशासन के लिए सीधी चुनौती है।”
संजय सेठ

पत्र संख्या RRM/RNC/25147/2025 दिनांक 21 अप्रैल 2025 को भेजे गए पत्र में उन्होंने पूरे प्रकरण की जांच और कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

जब जनता को नहीं मिल पा रहा बालू, माफिया बना रहे करोड़ों

अवैध खनन का सीधा असर आम जनजीवन पर भी देखने को मिल रहा है। लोगों को घर बनाने और अन्य जरूरी कार्यों के लिए बालू नहीं मिल पा रही, या फिर उन्हें तीन से चार गुना कीमत चुकानी पड़ रही है। ये माफिया सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहे हैं, और आम जनता की जेब भी खाली कर रहे हैं।

मौन व्यवस्था और कानून का मज़ाक

जब अधिकारी ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों की सुरक्षा और न्याय की उम्मीद कैसे की जाए? यही सवाल आज हर झारखंडवासी के मन में है

“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकारियों पर जानलेवा हमलों के बावजूद व्यवस्था खामोश बनी हुई है।”
संजय सेठ

संजय सेठ का पत्र न केवल अवैध कारोबार पर रोक की अपील है, बल्कि यह भी चेतावनी है कि अगर अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए तो शासन के प्रति जनता का विश्वास डगमगा सकता है

न्यूज़ देखो : प्रशासनिक चुप्पी पर जनता की आवाज़

‘न्यूज़ देखो’ हर उस आवाज़ को बुलंद करता है जो न्याय, पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करता है। चाहे बालू माफिया का आतंक हो या अफसरों पर हमला — हम हर मोर्चे पर जनता के साथ खड़े हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बालू नहीं, ये सवालों का पुल है

रांची के बालू घाटों से उठती धूल अब केवल पर्यावरण को नहीं, बल्कि शासन की साख को भी ढँक रही है। जब अफसर तक सुरक्षित नहीं हैं, तब टास्क फोर्स बनाना केवल मांग नहीं, समय की ज़रूरत है
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