
#रांची #छेड़खानी : जमानत पर रिहा होने के बाद युवक ने अपने घर में फांसी लगाकर दी जान
- अपर बाजार कन्या पाठशाला की छात्राओं से छेड़खानी के आरोप में भेजा गया था जेल।
- फिरोज अली को जमानत मिलने के तीन दिन बाद घर में फांसी पर लटका मिला।
- रिम्स में इलाज के दौरान रात करीब 11 बजे हुई मौत।
- आरोपी का पुराना आपराधिक इतिहास, दंगा भड़काने के मामले में भी रहा है जेल में।
- पुलिस ने विभिन्न पहलुओं से जांच शुरू की, पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा।
रांची के अपर बाजार स्थित कन्या पाठशाला की छात्राओं से छेड़खानी के आरोप में जेल भेजे गए फिरोज अली की मौत ने पूरे इलाके को हैरान कर दिया है। जमानत पर रिहा होने के मात्र तीन दिन बाद उसने अपने घर में फांसी लगाकर जान दे दी। शनिवार शाम हुई इस घटना के बाद परिजन उसे तुरंत रिम्स ले गए, जहां रात करीब 11 बजे उसकी मौत हो गई।
गिरफ्तारी का पूरा घटनाक्रम
मालूम हो कि 13 दिसंबर 2024 को छात्राओं से छेड़खानी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर 16 दिसंबर 2024 को फिरोज अली को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। उस समय यह वीडियो इलाके में तेज़ी से फैल गया था और लोगों में आक्रोश देखा गया था।
आपराधिक इतिहास भी रहा है
पुलिस जांच के दौरान पता चला कि फिरोज अली का पहले से आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। दंगा भड़काने के मामले में भी उसे पहले जेल भेजा जा चुका था। इस वजह से स्थानीय लोगों में उसके प्रति नकारात्मक धारणा बनी हुई थी।
मौत के कारण की जांच
फिरोज अली की आत्महत्या के पीछे के कारणों का अभी तक स्पष्ट खुलासा नहीं हुआ है। हिंदपीढ़ी थाना की पुलिस ने रिम्स में देर रात पहुंचकर जांच शुरू की। फिलहाल पुलिस विभिन्न पहलुओं से मामले की जांच कर रही है, जिसमें मानसिक दबाव, सामाजिक प्रतिक्रिया और कानूनी स्थिति को भी देखा जा रहा है।
अंतिम कार्रवाई
शव का पोस्टमॉर्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया गया है। परिजनों ने बताया कि घटना से वे पूरी तरह टूट चुके हैं और किसी तरह के बयान देने की स्थिति में नहीं हैं।
न्यूज़ देखो: कानून और समाज के बीच उलझी एक जिंदगी
यह मामला बताता है कि आपराधिक आरोप, सामाजिक दबाव और कानूनी लड़ाई का बोझ कभी-कभी किसी व्यक्ति को असहनीय मानसिक स्थिति तक ले जा सकता है। कानून को जहां अपना काम करना चाहिए, वहीं समाज को भी संवेदनशीलता नहीं खोनी चाहिए।
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समाज में संवेदनशीलता ही असली ताकत
हम सभी को चाहिए कि किसी भी मामले में आरोप और सजा के बीच संतुलन बनाए रखें। बिना पुष्टि के अफवाहें फैलाने से बचें और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीरता से ध्यान दें। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि जागरूकता फैल सके।