
#रांची – सरहुल पर्व में कांग्रेस नेताओं का प्रकृति संरक्षण पर जोर:
- झारखंड कांग्रेस प्रभारी के. राजू ने सरहुल पर्व पर दी शुभकामनाएं।
- कहा- यह पर्व पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति से प्रेम का संदेश देता है।
- झारखंड के जंगल, पहाड़ और जलस्रोत बचाने में आदिवासी समाज का अहम योगदान।
- कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश सहित कई नेता शामिल।
सरहुल पर्व: प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक
कांग्रेस के झारखंड प्रभारी के. राजू ने कहा कि सरहुल का पर्व हमें प्रकृति से प्रेम करना सिखाता है।
उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज का यह पर्व पूरे भारत में पर्यावरण, जंगल, पहाड़ और जल संरक्षण का संदेश देता है।
वे रविवार को रांची के बनहौरा में आयोजित सरहुल उत्सव में बोल रहे थे।
“संवेदनशील समाज का प्रतीक है प्रकृति पूजा”
के. राजू ने कहा कि जिस समाज में प्रकृति की पूजा होती है, वह निश्चित रूप से संवेदनशील समाज होता है।
आदिवासी समाज वनों की रक्षा और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए सदैव कृतसंकल्पित रहा है।
उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व वनों को बचाने और उनके क्षेत्रफल को बढ़ाने पर चर्चा कर रहा है, जबकि झारखंड में आदिवासी समुदाय सदियों से इसे संरक्षित करता आ रहा है।
“आदिवासी संस्कृति का संरक्षण जरूरी”
उन्होंने कहा कि झारखंड अपने प्राकृतिक परिवेश के लिए जाना जाता है और आदिवासी समुदाय का संरक्षण और विकास आज की जरूरत है।
आदिवासी समुदाय प्रकृति पूजक संस्कृति के साथ सामूहिक उत्सव का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है।
सरहुल पर्व को संवेदनशीलता, पारंपरिक ज्ञान और पर्यावरण रक्षा का संदेशवाहक बताया।
कांग्रेस नेताओं की रही उपस्थिति
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, बंधु तिर्की, सतीश पौल मुजनी, शांतनु मिश्रा, अजय नाथ सहदेव और रियाज अंसारी शामिल रहे।
नेताओं ने सरहुल पर्व की शुभकामनाएं दीं और आदिवासी संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डाला।
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सरहुल पर्व का यह संदेश हमें प्रकृति संरक्षण और सामूहिक एकता की ओर प्रेरित करता है।
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