#रांची #शिक्षा : रांची में छात्रों ने स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगनाओं और शिक्षा की यात्रा को नाटक के माध्यम से जीवंत किया, जिससे दर्शक भावुक और प्रेरित हुए।
- छात्रों ने नाटक के जरिए कल्पना और हकीकत का अद्भुत संगम पेश किया।
- स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगनाओं की गाथा को मंच पर सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया गया।
- शिक्षा की यात्रा को गुरुकुल से आधुनिक प्रणाली तक दर्शाया गया।
- कार्यक्रम का आयोजन झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद और पिरामल फाउंडेशन ने किया।
- छात्रों को प्रेरणा मिली कि शिक्षा और स्वतंत्रता समाज की अमूल्य धरोहर है।
इस नाट्य आयोजन ने न केवल बच्चों की प्रतिभा को मंच दिया, बल्कि दर्शकों को भी स्वतंत्रता और शिक्षा की वास्तविक अहमियत से अवगत कराया। छात्रों ने दर्शाया कि नाटक केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज के लिए गहरे संदेश देने का सशक्त माध्यम है।
स्वतंत्रता की वीरांगनाओं को रंगमंच पर मिली नई पहचान
पहली प्रस्तुति स्वतंत्रता संग्राम की उन वीरांगनाओं पर केंद्रित रही, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और संकल्प से देश को आजादी की राह दिखाई। छात्राओं ने इन निडर महिलाओं की गाथाओं को इस तरह मंचित किया कि दर्शक भावुक हो उठे। बच्चों ने महसूस किया कि इन वीरांगनाओं ने राष्ट्र के लिए प्राणों की आहुति दी, लेकिन उनके नाम इतिहास में उतने गौरव से अंकित नहीं हुए जितने वे वास्तव में हकदार थीं।
शिक्षा की बदलती धारा का सजीव चित्रण
दूसरी प्रस्तुति शिक्षा की ऐतिहासिक यात्रा को केंद्र में रखकर तैयार की गई थी। इसमें पारंपरिक गुरुकुल पद्धति से लेकर आधुनिक और अनुभवात्मक शिक्षा प्रणाली तक के बदलावों को मंच पर प्रभावशाली अंदाज में प्रस्तुत किया गया। छात्रों ने यह स्पष्ट किया कि समय और परिस्थितियाँ चाहे बदलती रहें, लेकिन शिक्षा का मूल उद्देश्य हमेशा बच्चों को वर्तमान और भविष्य के लिए तैयार करना ही रहा है।
बच्चों के लिए प्रेरणा और समाज के लिए संदेश
इस कार्यक्रम ने छात्रों में आत्मविश्वास जगाया और उन्हें यह एहसास कराया कि स्वतंत्रता और शिक्षा की धरोहर को संजोना और आगे बढ़ाना उनकी जिम्मेदारी भी है। शिक्षकों और आयोजकों का कहना था कि ऐसे आयोजन बच्चों को न केवल इतिहास और शिक्षा से जोड़ते हैं, बल्कि उन्हें समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा भी देते हैं।
न्यूज़ देखो: संस्कृति और शिक्षा का संगम बना रंगमंच
यह नाट्य आयोजन इस बात का प्रमाण है कि जब बच्चे मंच पर इतिहास और शिक्षा जैसे विषयों को जीते हैं, तो यह केवल एक प्रस्तुति नहीं बल्कि समाज के लिए एक गहरा संदेश बन जाता है। ऐसे प्रयास युवाओं में रचनात्मकता, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी को मजबूत करते हैं।
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अब समय है शिक्षा और संस्कृति को जोड़ने का
नाटक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का माध्यम हैं। हमें चाहिए कि ऐसे आयोजनों को और बढ़ावा दें ताकि हर बच्चा अपनी रचनात्मकता और सोच को समाज तक पहुँचा सके। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि जागरूकता फैले और शिक्षा-संस्कृति का यह संगम और मजबूत हो।