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रांची की बेकन फैक्ट्री फिर से होगी चालू, मिलेट और मछलीपालन में भी तेजी लाएगी सरकार

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#रांची #कृषिविकास मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की की प्रेस कांफ्रेंस में कई योजनाओं की घोषणा

  • बंद पड़ी बेकन फैक्ट्री को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया तेज़
  • नेशनल मांस अनुसंधान केंद्र बनेगा नॉलेज पार्टनर, जल्द होगा MoU
  • मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा, 3000 रुपये प्रति एकड़ मिल रहा प्रोत्साहन
  • हजारीबाग में पर्ल कल्चर और मत्स्य पालन के लिए किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण
  • मिलेट आधारित उत्पादों के लिए महिला समूहों को इंडियन इंस्टिट्यूट से जोड़ा जाएगा
  • तेलंगाना दौरे से प्रेरित होकर राज्य में नए मॉडल को अपनाने की तैयारी

बेकन फैक्ट्री की वापसी : रोजगार और उत्पादन दोनों को मिलेगा नया जीवन

रांची के बेकन फैक्ट्री को लेकर वर्षों से लंबित पुनरुद्धार योजना अब ज़मीन पर उतरती दिख रही है। राज्य की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने नेपाल हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि फैक्ट्री को दोबारा शुरू करने के लिए MoU की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। उन्होंने यह भी कहा कि नेशनल मांस अनुसंधान केंद्र इस परियोजना में तकनीकी मार्गदर्शन देगा।

“इस फैक्ट्री से कभी कर्मी प्रशिक्षण के लिए डेनमार्क तक गए थे। हम फिर से उस गौरव को वापस लाना चाहते हैं,” — शिल्पी नेहा तिर्की

जर्जर मशीनों को बदला जाएगा, उत्पादन क्षमता होगी दोगुनी

मंत्री ने बताया कि फैक्ट्री में लगी पुरानी और अनुपयोगी मशीनों को बदला जाएगा, जिससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।

मत्स्य पालन और पर्ल कल्चर : नए मॉडल से होगा ग्रामीण आर्थिक सशक्तिकरण

राज्य सरकार मत्स्य पालन को नई दिशा देने के लिए नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड से सहयोग ले रही है। मंत्री तिर्की ने बताया कि हजारीबाग ज़िले को पर्ल कल्चर के लिए चुना गया है, और इस योजना के तहत 100 किसानों को सीआईएफए भुवनेश्वर में प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

“हमारा लक्ष्य किसानों की आय को दोगुना करना है और इसके लिए वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाना ज़रूरी है,” — शिल्पी नेहा तिर्की

मोटे अनाज की खेती को मिल रहा प्रोत्साहन, जल्द खुलेगा ‘मिलेट कैफेटेरिया’

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च की मदद से झारखंड में मिलेट आधारित खेती को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि प्रति एकड़ 3000 रुपये की प्रोत्साहन राशि देने से उत्पादन में दो गुना वृद्धि दर्ज हुई है। इसके अतिरिक्त, राज्य में मिलेट कैफेटेरिया खोलने की भी योजना है।

मिलेट प्रोसेसिंग यूनिट और 40 प्रकार के उत्पादों पर काम जारी

राज्य सरकार मोटे अनाज से जुड़े 40 प्रकार के उत्पाद विकसित कर रही है, जिनमें बिस्किट, कुकीज़, नमकीन आदि शामिल हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे प्रोसेसिंग यूनिट खोलने की तैयारी भी चल रही है।

महिला समूहों और एफपीओ को मिलेगा व्यवसायिक प्रशिक्षण

सी पार्क से जुड़े महिला समूहों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को मिलेट आधारित खाद्य उत्पादों का निर्माण और विपणन सिखाया जाएगा। इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च से एक विस्तृत प्रशिक्षण प्रस्ताव मांगा गया है।

तेलंगाना दौरे से मिली प्रेरणा : प्रशासनिक प्रतिबद्धता पर ज़ोर

अपने 28 से 30 अप्रैल तक के तेलंगाना दौरे का ज़िक्र करते हुए मंत्री तिर्की ने बताया कि वहां की प्रशासनिक कार्यशैली और विकासशील योजनाओं से झारखंड को सीखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य के अधिकारी यदि जवाबदेही के साथ काम करें, तो झारखंड भी देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो सकता है।

“झारखंड के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को समझें और किसान केंद्रित योजनाओं को धरातल पर उतारें,” — शिल्पी नेहा तिर्की

न्यूज़ देखो : झारखंड की खेती और किसान योजनाओं का विश्वसनीय स्रोत

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