
#रांची #शोक_समाचार — चिकित्सा जगत को अपूरणीय क्षति, समाजसेवा में भी रखती थीं विशेष रुचि
- रांची की प्रख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शोभा चक्रवर्ती का हुआ निधन
- चिकित्सा जगत और समाजसेवा दोनों में था उनका उल्लेखनीय योगदान
- उनके निधन से स्वास्थ्य क्षेत्र में शोक की लहर
- सामाजिक संगठनों से भी जुड़ी रहती थीं सक्रिय रूप से
- लोगों ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और परिवार के संबल की कामना की
चिकित्सा और समाज सेवा की प्रेरणास्रोत थीं डॉ. शोभा
रांची की सुप्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शोभा चक्रवर्ती के निधन की सूचना से चिकित्सा और सामाजिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। वे न केवल एक कुशल चिकित्सक थीं बल्कि सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं। उनके निधन को चिकित्सा जगत में एक अपूरणीय क्षति के रूप में देखा जा रहा है।
स्वास्थ्य सेवाओं में रहा अतुलनीय योगदान
डॉ. चक्रवर्ती ने अपने करियर में हज़ारों महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने में सहयोग किया। उनका व्यवहारिक दृष्टिकोण और मरीजों के प्रति संवेदनशीलता उन्हें एक आदर्श चिकित्सक बनाता था। उनकी सेवाएं विशेषकर ग्रामीण और जरूरतमंद तबकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रही हैं।
स्थानीय नागरिकों ने कहा: “डॉ. शोभा चक्रवर्ती सिर्फ एक डॉक्टर नहीं थीं, वे एक मार्गदर्शक और ममता की प्रतिमूर्ति थीं। उनका निधन समाज के लिए एक बड़ा नुकसान है।”
समाज सेवा के क्षेत्र में भी निभाई अग्रणी भूमिका
चिकित्सा सेवा के साथ-साथ डॉ. चक्रवर्ती विभिन्न सामाजिक संगठनों और महिला सशक्तिकरण अभियानों से जुड़ी रहीं। कई स्वास्थ्य शिविरों में उनकी भागीदारी और नि:शुल्क सेवाएं उनके मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।
अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब
उनके निधन की सूचना मिलते ही रांची के चिकित्सकों, समाजसेवियों, और आम नागरिकों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने गहरी संवेदना प्रकट की और ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और परिजनों को संबल देने की प्रार्थना की।
न्यूज़ देखो: सेवाभाव से सजी थी डॉ. शोभा की पहचान
न्यूज़ देखो परिवार डॉ. शोभा चक्रवर्ती को श्रद्धासुमन अर्पित करता है। वे सिर्फ एक डॉक्टर नहीं थीं, बल्कि एक संवेदनशील समाजसेविका थीं जिनकी सोच और सेवाभाव आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
मानवीय सेवा ही सच्चा धर्म है
ऐसे व्यक्तित्व विरले होते हैं जो अपने कार्यक्षेत्र से बाहर जाकर समाज को दिशा देते हैं। हमें चाहिए कि हम भी उनके आदर्शों से प्रेरणा लें और समाज के प्रति अपने दायित्वों को समझें।
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