
#रांची #अस्पताल_विवाद : पारस अस्पताल में मरीज की मौत के बाद भी घंटों तक इलाज का बिल बनाए जाने का आरोप, परिजनों में भारी आक्रोश
- रांची के पारस अस्पताल में उपचार के दौरान मरीज की मौत का आरोप।
- परिजनों का दावा—मौत होने के बाद भी 4 घंटे तक इलाज का बिल बनता रहा।
- कुल बिल की राशि लगभग 3.5 लाख रुपये तक पहुंची।
- परिवार ने अस्पताल पर ओवरचार्जिंग और लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए।
- घटना के बाद अस्पताल प्रशासन और परिजनों के बीच तनाव व तीखी नोकझोंक।
रांची स्थित पारस अस्पताल में शुक्रवार को एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया, जब एक मरीज के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही और भारी-भरकम बिल वसूलने का आरोप लगाया। परिजनों के अनुसार, मरीज की मौत इलाज के दौरान ही हो गई थी, लेकिन अस्पताल ने यह बात छिपाते हुए करीब चार घंटे तक लगातार उपचार जारी बताकर बिल तैयार किया। इसी दौरान बिल की राशि बढ़कर लगभग 3.5 लाख रुपये तक पहुंच गई, जिससे परिवार आक्रोशित हो गया।
परिजनों ने लगाया गंभीर आरोप
परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों ने उन्हें समय पर मरीज की स्थिति की सही जानकारी नहीं दी। परिवार के अनुसार, मरीज की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी, लेकिन स्टाफ ने उन्हें यह बताने के बजाय मॉनिटरिंग और अन्य प्रक्रियाओं का हवाला देते हुए लगातार शुल्क जोड़ते रहे। उनके अनुसार, “जब हम बार-बार मरीज की स्थिति पूछते रहे, तब भी अस्पताल ने स्पष्ट जानकारी नहीं दी। बाद में जब हमें सच्चाई का पता चला, तब तक बिल लाखों में बन चुका था।”
ओवरचार्जिंग और लापरवाही पर सवाल
परिवार ने अस्पताल प्रशासन पर ओवरचार्जिंग, अनैतिक प्रथाओं और चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि यह घटना सिस्टम की कमियों और निजी अस्पतालों की मनमानी को उजागर करती है।
मामले को लेकर अस्पताल परिसर में काफी देर तक हंगामा होता रहा। मौके पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए और परिवार के समर्थन में आवाज उठाई। परिजनों ने मांग की कि अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो।
अस्पताल की प्रतिक्रिया—मामले की आंतरिक जांच शुरू
घटना के बाद दबाव बढ़ने पर अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि वे मामले की आंतरिक जांच करेंगे। हालांकि इस बयान से परिजन संतुष्ट नहीं दिखे और उन्होंने प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की।
पुलिस को भी स्थिति को सामान्य करने के लिए अस्पताल बुलाया गया। परिजन चाहते हैं कि मामले की जांच किसी स्वतंत्र चिकित्सकीय समिति से कराई जाए और अस्पताल के बिलिंग सिस्टम की भी समीक्षा हो।
लापरवाही के आरोप क्यों गंभीर हैं?
सवाल यह है कि यदि परिजनों का दावा सही पाया जाता है, तो यह न केवल लापरवाही बल्कि निजी अस्पतालों में पारदर्शिता पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न है।
मरीज की स्थिति की जानकारी को छुपाना और उपचार का झांसा देकर बिल बढ़ाना एक गंभीर अनैतिक चिकित्सकीय आचरण माना जाता है।
न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य व्यवस्था में पारदर्शिता अनिवार्य
यह मामला बताता है कि निजी अस्पतालों में मॉनिटरिंग और पारदर्शिता की कितनी जरूरत है। मरीज के परिजनों को समय पर सही जानकारी मिलनी चाहिए, ताकि ऐसे विवाद और अविश्वास की स्थिति पैदा न हो। स्वास्थ्य विभाग को ऐसे मामलों पर सख्ती दिखानी चाहिए ताकि भविष्य में ओवरचार्जिंग जैसी घटनाओं पर रोक लग सके। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
स्वास्थ्य सेवाएं तभी सार्थक—जब विश्वास और जवाबदेही दोनों हों
आप भी अपने इलाके के अस्पतालों में होने वाली अनियमितताओं पर नजर रखें। किसी तरह की समस्या मिले तो आवाज उठाएं, शिकायत दर्ज करें और दूसरों को भी जागरूक करें। इस खबर को शेयर करें और कमेंट में बताएं—क्या आपके शहर में भी निजी अस्पतालों में ओवरचार्जिंग की शिकायतें होती हैं?





