- बांग्ला पंचांग की पहली माघ को रानीश्वर में धूमधाम से आख्येन पूजा आयोजित।
- पारंपरिक पूजा में बकरा, मुर्गा, कबूतर की बलि, खीर खिचड़ी का भोग।
- गांवों में भंडारा का आयोजन, तीन दिवसीय मेला भी होगा।
- स्वास्थ्य शिविर और फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा।
कार्यक्रम का विवरण
रानीश्वर प्रखंड के विभिन्न गांवों में बांग्ला पंचांग की पहली माघ को पारंपरिक तरीके से आख्येन पूजा का आयोजन किया गया। यह पूजा विभिन्न देवी-देवताओं के थान पर धूमधाम से की गई। पूजा के दौरान कई स्थानों पर बलि दी गई, जिसमें बकरा, मुर्गा, कबूतर जैसे पशुओं की बलि चढ़ाई गई। वहीं, कुछ स्थानों पर खीर और खिचड़ी का भोग भी अर्पित किया गया। पूजा के इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य धार्मिक आस्था और समृद्धि की कामना करना था।
गांवों में उत्सव का माहौल
रानीश्वर के कई गांवों में यह पूजा बड़े धूमधाम से हुई। निचिनतला, सादीपुर चकेरदाना, आसनबनी देवानबाबा थान, रघुनाथपुर देवानबाबा थान, चोपाबाथान, गोविंदपुर जैसे गांवों में भी पूजा अर्चना की गई। इन गांवों में लोगों का उत्साह देखने लायक था और कई जगहों पर सामूहिक पूजा का आयोजन हुआ।
मेला का आयोजन
इस विशेष मौके पर बांसकुली पंचायत के मुरजोड़ा में नदी किनारे स्थित भुमका बूढ़ी थान में भी पूजा की गई। ग्राम प्रधान शिवशंकर टुडू ने जानकारी दी कि इस आयोजन के उपलक्ष्य में यहां तीन दिवसीय मेला भी लगेगा। मेला के दौरान स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाएगा, जिससे स्थानीय लोग अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान पा सकेंगे। इसके अलावा, मेला में फुटबॉल प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी, जिसमें क्षेत्र के युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
समुदाय की प्रतिक्रिया
स्थानीय ग्रामीणों ने इस पूजा और मेला आयोजन को अत्यंत सराहा। लोगों का कहना है कि इस प्रकार के आयोजन समाज की एकता को बढ़ावा देते हैं और सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखते हैं।
आगे की योजनाएं
ग्राम प्रधान शिवशंकर टुडू ने बताया कि आने वाले समय में इस प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन और भी बढ़ाया जाएगा, ताकि स्थानीय समुदाय को आपस में जोड़ने और समाज के विकास में योगदान दिया जा सके।
“हमारा उद्देश्य इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देना है, बल्कि समाज के हर वर्ग को एक साथ जोड़ना भी है।” – शिवशंकर टुडू, ग्राम प्रधान।
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