Jharkhand

नगर निकाय चुनाव में प्रत्याशियों को राहत, निकाय मतदाता सूची में है नाम तो किसी भी वार्ड से लड़ सकेंगे चुनाव

#झारखंड #नगरनिकायचुनाव : राज्य निर्वाचन आयोग ने पात्रता को लेकर स्पष्ट किए नियम।

झारखंड में प्रस्तावित नगर निकाय चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों को बड़ी राहत दी है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि आरक्षण के कारण यदि कोई प्रत्याशी अपने वार्ड से चुनाव नहीं लड़ पा रहा है, तो वह उसी नगर निकाय के किसी अन्य वार्ड से चुनाव लड़ सकता है। यह निर्देश वार्ड आरक्षण के बाद मिल रही शिकायतों को देखते हुए जारी किया गया है। आयोग ने पात्रता और आरक्षण अनुपालन को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।

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  • राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव को लेकर नई गाइडलाइन जारी की।
  • प्रत्याशी को संबंधित नगर निकाय का मतदाता होना अनिवार्य।
  • नगर निकाय का कोई भी मतदाता किसी भी वार्ड से चुनाव लड़ सकता है।
  • संबंधित वार्ड में लागू आरक्षण नियमों का पालन जरूरी।
  • वार्ड आरक्षण को लेकर मिल रही शिकायतों के बाद लिया गया निर्णय।
  • फरवरी में नगर निकाय चुनाव कराने की तैयारी अंतिम चरण में।

झारखंड में नगर निकाय चुनाव की तैयारियों के बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों की पात्रता और आरक्षण को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी है। वार्ड आरक्षण के बाद कई इच्छुक प्रत्याशियों ने शिकायत की थी कि वे अपने ही वार्ड से चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं। ऐसे में आयोग ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी कर यह भ्रम दूर करने का प्रयास किया है।

आरक्षण के कारण चुनाव से बाहर होने की जरूरत नहीं

राज्य निर्वाचन आयोग ने साफ किया है कि यदि किसी वार्ड में आरक्षण लागू होने के कारण कोई व्यक्ति उस वार्ड से चुनाव लड़ने में अक्षम हो जाता है, तो उसे घबराने की आवश्यकता नहीं है। ऐसा प्रत्याशी उसी नगर निकाय के किसी अन्य वार्ड से चुनाव लड़ सकता है।
इस निर्णय से उन प्रत्याशियों को राहत मिलेगी, जो लंबे समय से स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं लेकिन आरक्षण के कारण अपने क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ पा रहे थे।

प्रत्याशियों की योग्यता को लेकर स्पष्ट निर्देश

राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राधेश्याम प्रसाद ने बताया कि महापौर, नगर परिषद अध्यक्ष और वार्ड सदस्य पद के लिए चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थियों की योग्यता को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रत्याशी का संबंधित नगर निकाय का मतदाता होना अनिवार्य है। यानी जिस नगर निगम, नगर परिषद या नगर पंचायत से चुनाव लड़ना है, उस निकाय की मतदाता सूची में नाम होना जरूरी होगा।

किसी भी वार्ड से चुनाव की अनुमति

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति नगर निकाय की मतदाता सूची में शामिल है, तो वह उस नगर निकाय के किसी भी वार्ड से चुनाव लड़ सकता है
हालांकि, इसके साथ यह शर्त भी जोड़ी गई है कि जिस वार्ड से प्रत्याशी चुनाव लड़ रहा है, वहां लागू आरक्षण नियमों का पूरी तरह पालन करना होगा।
उदाहरण के तौर पर यदि कोई वार्ड अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग या महिला के लिए आरक्षित है, तो उसी श्रेणी का प्रत्याशी वहां से चुनाव लड़ सकेगा।

शिकायतों के बाद आयोग का हस्तक्षेप

वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग को विभिन्न जिलों से कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं।
इन शिकायतों में कहा गया था कि आरक्षण के कारण कई इच्छुक और अनुभवी प्रत्याशी चुनावी प्रक्रिया से बाहर हो रहे हैं। इसी को देखते हुए आयोग ने सभी जिलों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि किसी भी प्रकार की गलतफहमी या अनावश्यक विवाद की स्थिति न बने।

चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप

राज्य निर्वाचन आयोग ने यह भी संकेत दिया है कि नगर निकाय चुनाव की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। आयोग का लक्ष्य है कि फरवरी माह में चुनाव संपन्न कराए जाएं।
इसके लिए मतदाता सूची, आरक्षण, नामांकन प्रक्रिया और चुनाव कार्यक्रम को लेकर सभी आवश्यक तैयारियां की जा रही हैं। आयोग जिलों के साथ लगातार समन्वय बनाकर काम कर रहा है।

स्थानीय राजनीति में बढ़ेगी भागीदारी

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस निर्णय से नगर निकाय चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या बढ़ेगी और स्थानीय राजनीति में सक्रिय लोगों को नया अवसर मिलेगा।
आरक्षण व्यवस्था जहां सामाजिक न्याय सुनिश्चित करती है, वहीं आयोग का यह निर्देश लोकतांत्रिक भागीदारी को भी मजबूत करेगा।

मतदाताओं के लिए भी स्पष्ट संदेश

इस दिशा-निर्देश के बाद मतदाताओं के लिए भी स्थिति स्पष्ट हो गई है कि प्रत्याशी किसी भी वार्ड से चुनाव लड़ सकता है, बशर्ते वह नगर निकाय का मतदाता हो और आरक्षण नियमों का पालन करता हो।
इससे चुनाव के दौरान फैलने वाली अफवाहों और भ्रम की स्थिति पर भी रोक लगेगी।

न्यूज़ देखो: आयोग का फैसला क्यों है अहम

नगर निकाय चुनाव लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने का माध्यम हैं। राज्य निर्वाचन आयोग का यह निर्देश स्पष्ट करता है कि आरक्षण के साथ-साथ निष्पक्ष अवसर भी सुनिश्चित किया जाएगा। इससे योग्य और अनुभवी प्रत्याशियों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर होने से बचाया जा सकेगा। अब निगाहें इस बात पर होंगी कि चुनाव प्रक्रिया कितनी पारदर्शी और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होती है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

लोकतंत्र में भागीदारी का अवसर न चूकें

नगर निकाय चुनाव आपके शहर और कस्बे के विकास की दिशा तय करते हैं। सही जानकारी के साथ चुनाव में भाग लेना और योग्य प्रत्याशी चुनना हम सभी की जिम्मेदारी है।
आप इस फैसले को कैसे देखते हैं? अपनी राय कमेंट में साझा करें, खबर को आगे बढ़ाएं और लोकतांत्रिक जागरूकता को मजबूत करें।

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