
#गढ़वा #सामाजिक_पहल : सदर एसडीएम की पहल पर महादलित बस्तियों में लगातार 14वें दिन भी चला राहत वितरण अभियान
- सदर एसडीएम संजय कुमार की पहल से संचालित अभियान।
- कल्याणपुर और धरमडीहा मुसहर टोला में राहत सामग्री वितरण।
- जरूरतमंदों को गर्म कपड़े और चप्पल उपलब्ध कराए गए।
- बच्चों को पेन कॉपी देकर पढ़ाई के लिए प्रेरित किया गया।
- ठंड से राहत पाकर ग्रामीणों में संतोष और खुशी।
गढ़वा जिले में सामाजिक संवेदना और प्रशासनिक जिम्मेदारी का अनूठा उदाहरण बनता जा रहा “आइये खुशियाँ बाँटें” अभियान लगातार जनसेवा के नए आयाम स्थापित कर रहा है। सदर अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार की पहल पर सामाजिक एवं प्रशासनिक सहयोग से संचालित यह अभियान शनिवार को लगातार 14वें दिन भी जारी रहा। इस क्रम में जिले की दो महादलित और अत्यंत वंचित मुसहर बसावटों में जरूरतमंद परिवारों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया गया।
शनिवार को यह अभियान समाहरणालय के पीछे स्थित कल्याणपुर और धरमडीहा मुसहर टोला में संचालित किया गया। ठंड के इस मौसम में जहां गरीब और वंचित परिवार सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, वहीं इस अभियान के माध्यम से उन्हें तत्काल राहत पहुंचाने का प्रयास किया गया। बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को उनकी आवश्यकता के अनुसार गर्म कपड़े, ऊनी वस्त्र और चप्पलें वितरित की गईं।
ठंड में राहत बना अभियान
मुसहर समुदाय लंबे समय से सामाजिक और आर्थिक रूप से उपेक्षित रहा है। ठंड के मौसम में इनके लिए गर्म कपड़ों की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती होती है। “आइये खुशियाँ बाँटें” अभियान ने इस चुनौती को समझते हुए जरूरतमंदों तक सीधे राहत पहुंचाई। गर्म कपड़े और चप्पल पाकर बुजुर्गों के चेहरों पर संतोष और बच्चों के चेहरों पर मुस्कान साफ दिखाई दी।
ग्रामीणों ने बताया कि ठंड के दिनों में कई बार बच्चों और बुजुर्गों को बिना पर्याप्त कपड़ों के ही रातें गुजारनी पड़ती हैं। ऐसे में यह पहल उनके लिए किसी सहारे से कम नहीं है।
बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान
इस अभियान की खास बात यह रही कि राहत वितरण के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा को लेकर भी जागरूकता फैलाई गई। टीम द्वारा कुछ बच्चों को पेन और कॉपी दी गई और उनसे बातचीत कर उन्हें नियमित रूप से विद्यालय जाने के लिए प्रेरित किया गया। अधिकारियों और अभियान से जुड़े लोगों ने बच्चों को समझाया कि शिक्षा ही वह माध्यम है, जिससे वे अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं।
बच्चों के साथ हुए संवाद में यह भी देखा गया कि कई बच्चे पढ़ने के इच्छुक हैं, लेकिन संसाधनों की कमी उनके रास्ते में बाधा बनती है। ऐसे में लेखन सामग्री पाकर बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिला।
प्रशासन और समाज का साझा प्रयास
“आइये खुशियाँ बाँटें” अभियान प्रशासन और समाज के सहयोग से संचालित एक ऐसा प्रयास है, जो यह साबित करता है कि यदि इच्छाशक्ति हो तो व्यवस्था के भीतर रहकर भी बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। सदर एसडीएम संजय कुमार के नेतृत्व में यह अभियान न केवल राहत वितरण तक सीमित है, बल्कि सामाजिक सरोकार, मानवीय संवेदना और भविष्य निर्माण की सोच को भी आगे बढ़ा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि आमतौर पर महादलित बस्तियों तक इस तरह की सीधी प्रशासनिक पहुंच कम ही देखने को मिलती है। ऐसे में अधिकारियों और टीम के सदस्यों का खुद बस्ती में पहुंचकर जरूरतमंदों से संवाद करना अपने आप में एक सकारात्मक संदेश देता है।
जरूरतमंदों ने जताया आभार
राहत सामग्री मिलने के बाद मुसहर टोला के लोगों ने प्रशासन और इस अभियान से जुड़े सभी सहयोगी नागरिकों के प्रति आभार व्यक्त किया। बुजुर्गों ने कहा कि ठंड के समय मिला यह सहयोग उनके लिए बहुत बड़ी मदद है। वहीं बच्चों ने भी खुशी-खुशी पेन और कॉपी थामते हुए पढ़ाई जारी रखने की बात कही।
ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि इस तरह की पहल से उन्हें यह भरोसा मिलता है कि सरकार और प्रशासन उनकी समस्याओं को समझता है और जरूरत पड़ने पर उनके साथ खड़ा है।



न्यूज़ देखो: मानवीय पहल की मिसाल
“आइये खुशियाँ बाँटें” अभियान गढ़वा जिले में मानवीय प्रशासन का उदाहरण बनकर उभरा है। महादलित और वंचित समुदाय तक सीधे पहुंचकर राहत देना सामाजिक न्याय की दिशा में एक सार्थक कदम है। ऐसे प्रयास न केवल ठंड से राहत देते हैं, बल्कि भरोसे और आत्मसम्मान को भी मजबूत करते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सहयोग से बदलती ज़िंदगी
छोटी-छोटी मदद किसी के लिए बड़ी राहत बन सकती है।
जरूरतमंदों के चेहरे की मुस्कान ही इस अभियान की सबसे बड़ी सफलता है।
आप भी ऐसे प्रयासों से जुड़ें और इस खबर को साझा कर समाज में सकारात्मक संदेश फैलाएं।





