#विश्रामपुर #सेवा_कार्य : एकादशी के पावन अवसर पर निमियाटिकर शिव मंदिर परिसर में ठंड से जूझ रहे जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने का मानवीय प्रयास
- तोलरा गांव में निमियाटिकर शिव मंदिर प्रांगण में कंबल व बिस्कुट वितरण।
- आयोजनकर्ता सेवानिवृत शिक्षक सूर्यदेव तिवारी।
- एकादशी तिथि को बताया सनातन परंपरा में विशेष महत्व का दिन।
- कड़ाके की ठंड में जरूरतमंदों को ठंड से राहत पहुंचाने का उद्देश्य।
- कार्यक्रम में शिक्षाविद, समाजसेवी और सेवानिवृत अधिकारी रहे उपस्थित।
- ग्रामीणों में दिखी आभार और संतोष की भावना।
विश्रामपुर प्रखंड क्षेत्र के तोलरा गांव में मानवीय संवेदना और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रेरक उदाहरण सामने आया, जब सेवानिवृत शिक्षक सूर्यदेव तिवारी ने जरूरतमंदों के बीच कंबल और बिस्कुट का वितरण किया। यह सेवा कार्य निमियाटिकर शिव मंदिर के प्रांगण में आयोजित किया गया, जहां बड़ी संख्या में जरूरतमंद लोग पहुंचे। कड़ाके की ठंड के बीच इस पहल ने न केवल शारीरिक राहत प्रदान की, बल्कि समाज में सेवा और करुणा का संदेश भी दिया। कार्यक्रम का आयोजन धार्मिक आस्था और सामाजिक दायित्व के समन्वय का सशक्त उदाहरण बना।
एकादशी के पावन अवसर पर सेवा का संकल्प
सेवानिवृत शिक्षक सूर्यदेव तिवारी ने बताया कि आज एकादशी तिथि है, जिसका सनातन धर्म में विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि इस पावन तिथि पर भगवान भोलेनाथ के दरबार में जरूरतमंदों की सेवा करने का अवसर मिलना उनके लिए सौभाग्य की बात है। धार्मिक अवसर को सेवा से जोड़ते हुए उन्होंने यह संदेश दिया कि आस्था का वास्तविक स्वरूप मानव सेवा में निहित है।
सूर्यदेव तिवारी ने कहा: “आज एकादशी तिथि है, जो सनातन परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। भगवान भोलेनाथ के दरबार में यह पुनीत कार्य करने का अवसर मिला, यह मेरे लिए सौभाग्य है।”
कड़ाके की ठंड में राहत पहुंचाने की पहल
इन दिनों क्षेत्र में ठंड अपने चरम पर है। विशेषकर गरीब, वृद्ध और असहाय लोगों के लिए यह मौसम अत्यंत कठिन साबित हो रहा है। ऐसे में कंबल जैसी बुनियादी जरूरत का मिलना उनके लिए बड़ी राहत बनता है। सूर्यदेव तिवारी ने बताया कि समय रहते यदि जरूरतमंदों को कंबल मिल जाए, तो ठंड से होने वाली परेशानियों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
उन्होंने कहा: “कड़ाके की ठंड है। ऐसे समय में अगर जरूरतमंद को कंबल मिल जाए, तो उसे ठंड से काफी राहत मिलती है। बाद में मदद करने से उसका वही लाभ नहीं रह जाता।”
उनकी यह सोच इस बात को रेखांकित करती है कि सेवा कार्य केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि समय और परिस्थिति के अनुरूप होना चाहिए।
शिव मंदिर परिसर बना सेवा का केंद्र
कार्यक्रम के लिए निमियाटिकर शिव मंदिर परिसर का चयन अपने आप में प्रतीकात्मक रहा। मंदिर परिसर में आयोजित इस सेवा कार्य ने धार्मिक स्थल को सामाजिक सहयोग और करुणा का केंद्र बना दिया। मंदिर में पहुंचे जरूरतमंदों को कंबल के साथ-साथ बिस्कुट भी वितरित किए गए, जिससे बच्चों और बुजुर्गों को अतिरिक्त सहारा मिला। वातावरण में श्रद्धा, संतोष और मानवता की भावना स्पष्ट रूप से देखने को मिली।
गणमान्य लोगों की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर क्षेत्र के कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे, जिनकी मौजूदगी ने कार्यक्रम को और भी गरिमा प्रदान की। इनमें चर्चित कवि सह तोलरा हाई स्कूल के सेवानिवृत प्रधानाध्यापक प्रयाग तिवारी, वरिष्ठ समाजसेवी अनिल तिवारी, अटरिया निवासी सेवानिवृत पुलिस सब-इंस्पेक्टर देवनारायण तिवारी, धर्मराज तिवारी, राजा तिवारी सहित अन्य सम्मानित लोग शामिल थे। सभी ने सूर्यदेव तिवारी की इस पहल की सराहना की और इसे समाज के लिए प्रेरणादायक बताया।
सेवा से समाज में सकारात्मक संदेश
कार्यक्रम के दौरान मौजूद लोगों का मानना था कि सेवानिवृत होने के बाद भी समाज के प्रति सक्रिय भूमिका निभाना एक आदर्श उदाहरण है। सूर्यदेव तिवारी की यह पहल यह दर्शाती है कि शिक्षा और सेवा का रिश्ता जीवन भर बना रह सकता है। शिक्षक के रूप में उन्होंने जिस तरह ज्ञान बांटा, उसी तरह अब सेवा के माध्यम से समाज को संबल दे रहे हैं।
ग्रामीणों में दिखा संतोष और आभार
कंबल और बिस्कुट प्राप्त करने वाले जरूरतमंदों के चेहरों पर संतोष साफ झलक रहा था। ग्रामीणों ने इस पहल के लिए सूर्यदेव तिवारी के प्रति आभार व्यक्त किया। उनका कहना था कि ठंड के इस मौसम में ऐसी मदद किसी वरदान से कम नहीं है। यह पहल अन्य सक्षम लोगों को भी प्रेरित करेगी कि वे आगे आकर जरूरतमंदों की सहायता करें।
सामाजिक जिम्मेदारी की मिसाल
विश्रामपुर और तोलरा क्षेत्र में यह कार्यक्रम सामाजिक जिम्मेदारी की एक सशक्त मिसाल के रूप में देखा जा रहा है। निजी पहल पर आयोजित इस सेवा कार्य ने यह साबित किया कि समाज की बेहतरी के लिए किसी बड़े मंच या पद की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि संवेदनशील सोच और सेवा भाव ही पर्याप्त है।
न्यूज़ देखो: सेवा ही सच्ची सामाजिक विरासत
तोलरा में सेवानिवृत शिक्षक सूर्यदेव तिवारी द्वारा किया गया कंबल वितरण यह दिखाता है कि समाज की असली ताकत संवेदनशील नागरिकों में होती है। एकादशी जैसे पावन अवसर को मानव सेवा से जोड़ना सनातन मूल्यों की जीवंत मिसाल है। ठंड के समय सही वक्त पर की गई मदद जरूरतमंदों के लिए जीवनदायी बन जाती है। ऐसे प्रयास समाज को न केवल राहत देते हैं, बल्कि नैतिक दिशा भी दिखाते हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जब सेवा बन जाए जीवन का संस्कार
सेवानिवृति किसी की सामाजिक भूमिका का अंत नहीं, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है। सूर्यदेव तिवारी की पहल यह सिखाती है कि सेवा का कोई उम्र बंधन नहीं होता।





