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पलामू में ‘रिवाइव द रिवर’ अभियान की शुरुआत : कोयल-औरंगा समेत 500 सहायक नदियों को फिर से मिलेगा जीवन

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#पलामू #नदीपुनर्जीवनअभियान – कोयल और औरंगा की धारा होगी फिर से जीवंत, बांस वनों और रोजगार योजनाओं का भी हुआ शुभारंभ
  • पर्यावरण दिवस पर पलामू टाइगर रिजर्व में शुरू हुआ ‘रिवाइव द रिवर’ अभियान
  • कोयल-औरंगा की 500 सहायक नदियों की चरणबद्ध पुनर्जीवन योजना
  • बेतला नेशनल पार्क में 10 एकड़ में बांस वन का होगा विकास
  • ‘हुनर से रोजगार’ योजना के तहत युवाओं को मिला नियुक्ति पत्र
  • स्थानीय जनभागीदारी से जल संरक्षण और आजीविका दोनों का होगा समाधान

कोयल और औरंगा के लिए जलजीवन अभियान

पलामू। पर्यावरण दिवस के अवसर पर झारखंड सरकार ने कोयल और औरंगा नदियों को फिर से जीवन देने के उद्देश्य से एक बड़ी पहल की है।
‘रिवाइव द रिवर’ अभियान की शुरुआत पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क परिसर से की गई।
इसका उद्घाटन झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर और विधायक रामचंद्र सिंह ने किया।

सहायक नदियों की होगी पुनर्स्थापना

इस अभियान के तहत लगभग 500 सहायक नदियों की पहचान की गई है।
इन नदियों में जलधारण क्षमता को बढ़ाने, गाद हटाने और प्रवाह पुनर्स्थापित करने का कार्य किया जाएगा।
पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने बताया कि नदी सर्वेक्षण कार्य आरंभ कर दिया गया है।

बेतला में बांस के जंगल की नींव

बेतला राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में 10 एकड़ भूमि पर बांस वन विकसित करने की योजना की भी शुरुआत की गई।
इससे वन्यजीव संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन और स्थानीय लोगों को आजीविका में मदद मिलेगी।
यह परियोजना जनभागीदारी आधारित मॉडल पर कार्य करेगी।

युवाओं को मिला हुनर का लाभ

इसी अवसर पर वित्त मंत्री ने ‘हुनर से रोजगार’ योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं को नियुक्ति पत्र भी सौंपे।
इनमें कई बूढ़ा पहाड़ समिति से जुड़े युवा शामिल रहे जिन्हें निजी कंपनियों में रोजगार मिला है।

प्रशासन ने बताई जल संकट के समाधान की दिशा

कार्यक्रम में पलामू की उपायुक्त समीरा एस, एएसपी अभियान राकेश सिंह सहित अनेक प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।
सभी अधिकारियों ने इस पहल को पलामू के जल संकट से निपटने का बड़ा कदम बताया।

न्यूज़ देखो : नदी ही जीवन का स्रोत है, और यही हमारी रिपोर्टिंग का संकल्प है

नदियां सिर्फ पानी की धार नहीं, गांवों की सांस, खेतों की उपज और सभ्यताओं की पहचान होती हैं।
न्यूज़ देखो इस ऐतिहासिक ‘नदी पुनर्जीवन अभियान’ की हर पड़ाव पर जमीन से जुड़ी रिपोर्टिंग करता रहेगा,
ताकि कोयल-औरंगा का पुनर्जन्म न सिर्फ कागजों में, बल्कि धरती पर दिखे, लोगों के जीवन में बहता महसूस हो।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

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