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- रेयर डिजीज इंडिया फाउंडेशन और रिम्स रांची के जीन एंड जीनोमिक्स विभाग ने मिलकर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।
- कार्यक्रम की शुरुआत डीन प्रो. शशि बाला सिंह द्वारा वॉकथॉन को झंडी दिखाकर की गई।
- वॉकथॉन के बाद विशेषज्ञों द्वारा जागरूकता सत्र आयोजित किया गया, जिसमें दुर्लभ बीमारियों की जानकारी दी गई।
कार्यक्रम का विवरण
रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के जीन एंड जीनोमिक्स विभाग और रेयर डिजीज इंडिया फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से वॉकथॉन और जागरूकता सत्र का आयोजन किया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य दुर्लभ बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाना और उनके सही समय पर इलाज को बढ़ावा देना था।
वॉकथॉन का आयोजन
कार्यक्रम की शुरुआत डीन प्रो. शशि बाला सिंह ने वॉकथॉन को हरी झंडी दिखाकर की। इस वॉकथॉन में डॉक्टर, छात्र, शोधकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए, जिन्होंने दुर्लभ बीमारियों के प्रति जागरूकता संदेश फैलाए। वॉकथॉन के दौरान प्रतिभागियों ने पोस्टर और बैनर के माध्यम से लोगों को जागरूक किया।
जागरूकता सत्र में विशेषज्ञों के विचार
वॉकथॉन के बाद आयोजित जागरूकता सत्र में मेडिकल एक्सपर्ट्स और रिसर्च स्कॉलर्स ने दुर्लभ बीमारियों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में लाखों लोग जेनेटिक और दुर्लभ बीमारियों से प्रभावित होते हैं, लेकिन सही जानकारी और जागरूकता की कमी के कारण इनका निदान और इलाज समय पर नहीं हो पाता।
रेयर डिजीज क्या हैं?
विशेषज्ञों ने बताया कि दुर्लभ बीमारियां वे होती हैं, जो बहुत ही कम लोगों में पाई जाती हैं। इनमें गॉशे डिजीज, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, फैब्री डिजीज, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी, थैलेसीमिया जैसी बीमारियां शामिल हैं। ऐसी बीमारियों के लिए जागरूकता बढ़ाने और शोध कार्यों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
रेयर डिजीज के इलाज में चुनौतियां
- जागरूकता की कमी – लोग दुर्लभ बीमारियों के बारे में बहुत कम जानते हैं, जिससे समय पर पहचान और इलाज नहीं हो पाता।
- महंगे इलाज – इन बीमारियों के इलाज की लागत बहुत अधिक होती है, जिससे सामान्य परिवारों के लिए इनका उपचार कराना कठिन हो जाता है।
- लिमिटेड रिसर्च – दुर्लभ बीमारियों पर सीमित शोध होने के कारण नए इलाज और दवाओं की उपलब्धता कम होती है।
रेयर डिजीज से बचाव और समाधान
- समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराना चाहिए ताकि शुरुआती लक्षणों को पहचाना जा सके।
- सरकार द्वारा रेयर डिजीज के लिए जारी योजनाओं और सहायता कार्यक्रमों की जानकारी लेनी चाहिए।
- दुर्लभ बीमारियों के लिए ज्यादा शोध और नई दवाओं के विकास को बढ़ावा देने की जरूरत है।
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