
रांची: रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) ने हाल ही में Reagent Rental Tender से संबंधित समाचार को पूरी तरह गलत और भ्रामक बताया है। संस्थान ने स्पष्ट किया है कि निविदा प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और नियमों के अनुसार की गई है।
L-1 चयन प्रक्रिया पर स्पष्टीकरण
रिम्स ने बताया कि निविदा प्रक्रिया के तहत L-1 बोलीदाता का चयन 70 उद्धृत मापदंडों के लिए समग्र न्यूनतम मूल्य के आधार पर किया गया।
- तकनीकी समिति ने विभिन्न परीक्षणों की मात्रा और खपत को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया।
- सामान्य तौर पर अधिक मात्रा में किए जाने वाले परीक्षणों, जैसे लिवर फंक्शन टेस्ट, रीनल फंक्शन टेस्ट, इलेक्ट्रोलाइट्स और ग्लूकोज, को प्राथमिकता दी गई।
- वैल्प्रोइक एसिड जैसे कम मात्रा में किए जाने वाले परीक्षणों की कम प्राथमिकता दी गई।
कीमत का तुलनात्मक विश्लेषण
- ROCHE डायग्नोस्टिक्स ने ₹82,294,655 की कुल कीमत उद्धृत की है, जबकि ऑर्थो डायग्नोस्टिक्स की कीमत ₹115,882,500 थी।
- उदाहरण के लिए, इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट (Na, K, Cl) की कीमत ROCHE ने ₹3 प्रति टेस्ट, जबकि ऑर्थो डायग्नोस्टिक्स ने ₹25 प्रति टेस्ट उद्धृत की।
यह निर्णय संस्थान के वित्तीय हित में लिया गया।
विशेषज्ञों की मंजूरी
इस प्रक्रिया को एम्स, नई दिल्ली और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के तकनीकी विशेषज्ञों की सलाह और अनुमोदन के बाद लागू किया गया।
गलत खबरों पर नाराजगी
रिम्स ने कहा कि निविदा प्रक्रिया पर सवाल उठाने वाली खबरें पूरी तरह से असत्य हैं और संस्थान की छवि को नुकसान पहुंचाने के इरादे से प्रकाशित की गई हैं।
रिम्स के बयान में कहा गया:
“संस्थान की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और नियम-संगत है। इस तरह की झूठी खबरें केवल संस्थान की छवि खराब करने के उद्देश्य से फैलाई जा रही हैं।”
‘News देखो’ के साथ जुड़े रहें, सही और सटीक खबरों के लिए।