
#गिरिडीह #छात्रा_आंदोलन : इंटर की पढ़ाई बंद करने के फैसले से नाराज छात्राएं झंडा मैदान में उतरीं — कॉलेज से हटाकर अन्य स्कूलों में नामांकन के निर्देश पर जताई नाराजगी
- आरके महिला कॉलेज की छात्राओं ने झंडा मैदान में जोरदार प्रदर्शन किया
- डिग्री कॉलेजों से इंटर की पढ़ाई हटाने के सरकारी फैसले पर जताया विरोध
- छात्राओं ने कहा- नया स्कूल, नई ड्रेस और नामांकन खर्च उठा पाना संभव नहीं
- +2 हाई स्कूल गिरिडीह के प्रिंसिपल पर ‘2 हफ्ते आंदोलन करो’ कहने का आरोप
- प्राचार्य दयानंद कुमार ने सभी आरोपों को बताया निराधार
झंडा मैदान में गूंजा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा
शनिवार को दोपहर 12 बजे झंडा मैदान, गिरिडीह में छात्राओं ने हाथों में पोस्टर, बैनर और नारों के साथ विरोध मार्च निकाला। ये सभी छात्राएं आरके महिला कॉलेज की हैं, जिन्होंने सरकार के हालिया निर्णय पर खुलकर विरोध जताया। छात्राओं ने कहा कि उन्होंने इंटर की पढ़ाई इस कॉलेज से शुरू की थी और अब अचानक सरकार की ओर से इसे बंद कर अन्य स्कूलों में भेजने का फरमान उनके भविष्य से खिलवाड़ है।
प्रदर्शन कर रही छात्रा रेखा कुमारी ने कहा: “हम एक सामान्य परिवार से हैं। नया स्कूल, नई ड्रेस और किताब-कॉपी खरीदना मुश्किल है। हम अपने कॉलेज से ही पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं।”
छात्राओं का आरोप: कॉलेज प्रशासन ने दिया असमंजस में डालने वाला आदेश
प्रदर्शन में शामिल छात्राओं ने बताया कि कॉलेज प्रशासन ने उन्हें स्पष्ट रूप से कहा है कि अब इंटर की पढ़ाई जारी नहीं रह सकती, और सभी छात्राएं किसी नजदीकी प्लस टू स्कूल में नामांकन लें। छात्राओं का कहना है कि यह निर्णय उनके लिए न केवल शैक्षणिक अस्थिरता लाया है, बल्कि आर्थिक रूप से भी उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है।
उन्होंने बताया कि कुछ शिक्षकों और स्कूलों ने उन्हें “आंदोलन करो, फिर नामांकन मिलेगा” जैसी बातें कही हैं, जो उनके मन में संशय और भय पैदा कर रही हैं।
प्रशासनिक पक्ष: नामांकन की प्रक्रिया समय ले रही है
छात्राओं द्वारा लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए +2 हाई स्कूल गिरिडीह के प्राचार्य दयानंद कुमार ने कहा कि छात्राओं की चिंता को समझा जा रहा है, लेकिन प्रक्रिया में थोड़ा समय लगना स्वाभाविक है।
प्राचार्य दयानंद कुमार ने कहा: “हम सभी छात्राओं का नामांकन सुनिश्चित करेंगे। किसी को भी शिक्षा से वंचित नहीं किया जाएगा। छात्रों के भविष्य के साथ कोई समझौता नहीं होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत यह बदलाव लागू किया जा रहा है, जिससे डिग्री कॉलेजों को उच्च शिक्षा पर केंद्रित किया जा सके।
स्थानीय छात्राओं की आर्थिक चुनौती और असमंजस
कई छात्राओं ने बताया कि उनके घर की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वे दोबारा से नई स्कूल यूनिफॉर्म, किताबें, और शुल्क का वहन कर सकें। इनमें से कुछ छात्राएं अल्पसंख्यक और अनुसूचित समुदाय से आती हैं, जिनके लिए इस प्रकार का बदलाव बड़ा आर्थिक बोझ बन रहा है।
छात्राओं ने सरकार से पुनर्विचार की अपील की है और कहा कि कम से कम मौजूदा सत्र तक पढ़ाई पूर्ववत जारी रखी जाए, ताकि वे अपनी शिक्षा पूरी कर सकें।

न्यूज़ देखो: शिक्षा नीति में बदलाव से उपजा असंतोष
डिग्री कॉलेजों से इंटर की पढ़ाई हटाने का फैसला नीति-निर्माताओं के नज़रिए से दूरदर्शिता हो सकता है, लेकिन विद्यार्थियों के जीवन में तुरंत प्रभाव डालने वाला यह कदम यथार्थ के साथ समन्वय नहीं दिखा रहा। छात्राओं की चिंताएं स्पष्ट हैं — शिक्षा का अधिकार केवल नीति नहीं, व्यवहारिकता भी मांगता है।
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शिक्षा की चुनौती के बीच सामूहिक चेतना की जरूरत
बेटियों की पढ़ाई और उनके सपनों को पंख देने के लिए समाज, प्रशासन और नीति-निर्माताओं को संवेदनशील और समन्वित दृष्टिकोण अपनाना होगा। इस खबर को शेयर करें, कमेंट करें और अपने विचार साझा करें।
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