गिरिडीह में सड़क हादसा: ट्रैक्टर की चपेट में आने से महिला की मौत, तीन घायल

#गिरिडीह #बिरनी — ट्रैक्टर चालक ने खोया नियंत्रण, सड़क किनारे जा रही महिलाएं चपेट में आईं

ट्रैक्टर ने रौंदी चार महिलाएं, एक की मौत

गिरिडीह जिला के बिरनी प्रखंड अंतर्गत खरखरी पंचायत के करमाटांड गांव में शुक्रवार को एक दर्दनाक सड़क हादसा हुआ, जिसमें एक महिला की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गईं
मृतका की पहचान संगीता देवी (45 वर्ष), पति सुनील पंडित, निवासी करमाटांड के रूप में हुई है।

तीन महिलाओं की हालत गंभीर, गिरिडीह रेफर

घटना में सविता देवी (ग्राम: खरखरी), कौशल्या देवी (55 वर्ष, ग्राम: मरगोड़ा) और भिखनी देवी (50 वर्ष, ग्राम: खरखरी) घायल हो गईं।
सभी को पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिरनी में भर्ती कराया गया, जहां से सदर अस्पताल गिरिडीह रेफर कर दिया गया है।

दुर्घटना की वजह और हालात

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ट्रैक्टर चालक ने सामने से आ रहे वाहन को बचाने के प्रयास में वाहन से नियंत्रण खो दिया, जिससे सड़क किनारे जा रही महिलाएं उसकी चपेट में आ गईं।
हादसा इतना भीषण था कि संगीता देवी की घटनास्थल पर ही मौत हो गई।

ग्रामीणों का आक्रोश और सड़क जाम

घटना के बाद गुस्साए सैकड़ों ग्रामीणों ने कोवाड-कोडरमा मुख्य पथ को जाम कर दिया।
ग्रामीण प्रशासन से ट्रैक्टर चालक की गिरफ्तारी और मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि दुर्घटनाग्रस्त ट्रैक्टर स्थानीय मुखिया अभय कुमार राय का है।

पुलिस जांच में जुटी

घटना की सूचना मिलते ही भरकट्टा थाना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी है।
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है और ट्रैक्टर व चालक की पहचान व जांच की जा रही है।

न्यूज़ देखो: हादसों से सबक लेने का समय

यह हादसा झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में वाहनों की लापरवाही से हो रहे जानलेवा दुर्घटनाओं की गंभीर तस्वीर पेश करता है।
न्यूज़ देखो अपील करता है कि प्रशासन जवाबदेही तय करे, दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे, और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू किया जाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सड़क सुरक्षा की अनदेखी बन सकती है जानलेवा

सड़क किनारे चलने वाले पैदल यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना वक्त की मांग है।
ग्रामीण क्षेत्रों में अनट्रेंड चालक, ओवरलोडेड वाहन, और प्रशासनिक लापरवाही से हर वर्ष सैकड़ों लोग जान गंवाते हैं।
अब वक्त है बदलाव का – कानून का पालन और जागरूकता ही असली समाधान है।

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