
#लातेहार #सड़कसंकटरबदी – बरवाडी़ह प्रखंड के केड़ पंचायत के रबदी गांव में टूटी सड़क बनी ग्रामीणों की मजबूरी, जनप्रतिनिधियों से गुहार के बाद अब उठाया स्वाभिमानी कदम
- मूसलाधार बारिश में सड़क नाली में तब्दील, आवागमन हुआ बाधित
- रबदी औरंगा पुल से रबदी मेन बस्ती तक की सड़क अब तक नहीं बनी
- युवा समाजसेवी आशीष प्रसाद यादव की अगुवाई में ग्रामीणों ने स्वयं मिट्टी-मोरम डालकर की मरम्मत
- विधायक और जनप्रतिनिधियों से बार-बार गुहार, मिला सिर्फ आश्वासन
- ग्रामीणों ने चेताया — जल्द निर्माण नहीं हुआ तो होगा उग्र आंदोलन
रबदी गांव की टूटी उम्मीदें और ग्रामीणों का टूटा सब्र
लातेहार जिले के बरवाडी़ह प्रखंड अंतर्गत केड़ पंचायत के ग्राम रबदी में ग्रामीणों की वर्षों से लंबित सड़क की मांग एक बार फिर चर्चा में है। गांव की मुख्य सड़क — रबदी औरंगा पुल से रबदी मेन बस्ती तक — अब तक नहीं बन सकी है। भारी बारिश के चलते यह सड़क पूरी तरह से कीचड़ और पानी में तब्दील होकर नाली जैसी हालत में पहुंच चुकी है।
ग्रामीणों ने उठाया खुद जिम्मा, जेसीबी और ट्रैक्टर से किया मोरमती कार्य
स्थानीय युवा समाजसेवी आशीष प्रसाद यादव के नेतृत्व में गांव के लोगों ने जनसहयोग और अपने निजी खर्चे पर जेसीबी और ट्रैक्टर मंगवाकर मिट्टी-मोरम गिराया। इससे अब ग्रामीणों को थोड़ी राहत तो मिली है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है।
“हमने विधायक और कई जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई, मगर हर बार सिर्फ आश्वासन मिला। आज भी हमारी सड़क आज़ादी के समय जैसी ही है।”
— आशीष प्रसाद यादव, युवा समाजसेवी
जनप्रतिनिधियों से नाराज हैं ग्रामीण
जमुना यादव, विनय यादव, अरविंद यादव, मनोज यादव, राजेंद्र यादव, सुधीर यादव, सोनू यादव, बबलू यादव, वीरेंद्र सिंह और सुदामा यादव जैसे कई ग्रामीणों ने साफ कहा कि —
“अब बहुत हो गया, यदि जल्द हमारी सड़क नहीं बनी तो हम उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।”

न्यूज़ देखो — जनता की आवाज़ बनकर
न्यूज़ देखो ग्रामीणों की इस पहल को सलाम करता है, जहां सरकारी तंत्र की निष्क्रियता के बावजूद लोग खुद आगे आकर अपने गांव को बेहतर बना रहे हैं।
यह खबर सिर्फ सड़क की नहीं, सरकार से जवाबदेही और आम जनता के अधिकारों की है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अब जनता नहीं रुकेगी
रबदी गांव के लोगों ने सरकार और प्रशासन को यह साफ संदेश दे दिया है कि अब वे सिर्फ आश्वासनों से संतुष्ट नहीं होंगे।
अगर सड़क नहीं बनी, तो आंदोलन होगा — और इस बार आवाज़ इतनी बुलंद होगी कि हर मंच तक पहुंचेगी।