Garhwa

रूस में प्रवासी मजदूर रवि चौधरी की मौत, गढ़वा भाजपा प्रतिनिधि मंडल ने परिजनों से की मुलाकात

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  • रूस में मजदूरी कर रहे रवि चौधरी की अचानक बीमारी से मौत।
  • सांसद-विधायक के प्रयास से विदेश मंत्रालय ने शव लाने की व्यवस्था की।
  • भाजपा प्रतिनिधि मंडल ने पहुंचकर परिजनों को दिया भरोसा।
  • झामुमो सरकार पर स्थानीय रोजगार न देने का आरोप।
  • पीड़ित परिवार को मुआवजा और नौकरी देने की मांग उठी।

रूस में हुई मौत, शव पहुंचाया जा रहा है गांव

गढ़वा जिले के मेराल प्रखंड अंतर्गत खोरीडीह पंचायत स्थित औरैया के लिखनीया टोला निवासी भाजपा कार्यकर्ता सुंदरी देवी के नाती रवि चौधरी की मौत रूस में हो गई। रवि वहां मजदूरी का कार्य कर रहे थे, लेकिन अचानक तबीयत बिगड़ने से उनका निधन हो गया। गढ़वा विधायक सत्येन्द्र नाथ तिवारी और स्थानीय सांसद के प्रयास से विदेश मंत्रालय के माध्यम से रवि का शव भारत लाने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और अब शव उनके गांव पहुंचाया जा रहा है।

भाजपा प्रतिनिधि मंडल ने जताया दुख

विधायक के निर्देश पर भाजपा प्रतिनिधि मंडल लिखनीया टोला पहुंचा और शोकाकुल परिवार से मुलाकात की। मौके पर भाजपा जिला मीडिया प्रभारी रितेश चौबे ने झामुमो सरकार पर हमला बोलते हुए कहा:

“झारखंड में झामुमो सरकार युवाओं को रोजगार देने में पूरी तरह विफल है, जिससे मजबूरी में स्थानीय युवा विदेश तक जाने को विवश हो रहे हैं। अगर रवि चौधरी को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलता, तो उन्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती।”

उन्होंने कहा कि झारखंड में कोई फैक्ट्री नहीं खुली, बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है और गढ़वा-पलामू सहित पूरे राज्य में हालात बेहद गंभीर हैं।

मृतक परिवार को मुआवजा और नौकरी की मांग

विधायक प्रतिनिधि डॉ. लाल मोहन ने मौके पर पहुंचकर कहा:

“मृतक के परिजनों के साथ पूरा भाजपा परिवार खड़ा है। प्रखंड स्तर के अधिकारियों से बात हुई है कि जल्द से जल्द सरकारी सहायता दिलाई जाए। झामुमो सरकार से मांग है कि मृतक के परिवार को तुरंत मुआवजा और नौकरी उपलब्ध कराई जाए। विधायक सत्येन्द्र नाथ तिवारी इस दुख की घड़ी में परिवार के साथ हैं।”

प्रतिनिधि मंडल में कौन-कौन रहे मौजूद

प्रतिनिधिमंडल में भाजपा नेता कुंदन चंद्रवंशी, मनोज जायसवाल, कंचन पाण्डेय, अशोक केशरी, खुर्शीद आलम, राम उनय तिवारी, रंजन चौधरी, प्रमोद चौधरी, रुपू महतो, मनोज चौधरी, धनंजय चौधरी, केदार चौधरी, रामानंद चौधरी समेत कई अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।

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झारखंड के युवाओं को मजबूरी में बाहर जाकर जान गंवानी पड़ रही है, यह गंभीर सवाल है। आखिर कब तक युवाओं को रोजगार के लिए विदेश जाना पड़ेगा? क्या झारखंड में सरकार स्थानीय स्तर पर रोजगार के ठोस कदम उठाएगी? जुड़े रहिए — हर खबर पर रहेगी हमारी नज़र — ‘न्यूज़ देखो’।

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