#गढ़वा #विजयादशमी : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शताब्दी वर्ष के अवसर पर डंडई खंड के सोनेहरा में अनुशासित और भव्य शस्त्र पूजन का आयोजन किया
- सोनेहरा, डंडई खंड में आरएसएस का विजयादशमी उत्सव आयोजित।
- पारंपरिक शस्त्र पूजन मुख्य आकर्षण, तलवार और फरसा सहित विभिन्न अस्त्रों की पूजा।
- स्वयंसेवक सफेद शर्ट और भूरे पैंट के गणवेश में अनुशासन का परिचय देते दिखे।
- मंच पर डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार, गुरुजी गोलवलकर और भारत माता की तस्वीरें सजाई गईं।
- इस बार आयोजन में संघ शताब्दी वर्ष पर विशेष जोर दिया गया।
गढ़वा जिले के सोनेहरा (डंडई खंड) में मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा विजयादशमी उत्सव और शस्त्र पूजन समारोह का आयोजन किया गया। विजयादशमी, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व माना जाता है, संघ के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन इसकी स्थापना हुई थी। इस वर्ष यह आयोजन और भी खास रहा क्योंकि संघ अपने शताब्दी वर्ष का उत्सव मना रहा है।
कार्यक्रम की झलक
एक सुसज्जित पंडाल में आयोजित इस समारोह में बड़ी संख्या में स्वयंसेवक और स्थानीय लोग शामिल हुए। पूरा माहौल धार्मिक और अनुशासित था। विजयादशमी उत्सव के तहत पारंपरिक रस्मों के साथ शस्त्र पूजन किया गया। तलवार, फरसा सहित कई प्रकार के पारंपरिक अस्त्रों को फूलों और कुमकुम से सजाकर मंच पर रखा गया और विधिविधान से पूजन किया गया।
अनुशासन और संगठन की झलक
इस अवसर पर स्वयंसेवक संघ गणवेश में कतारबद्ध होकर खड़े रहे। उनका अनुशासन संघ के संगठनात्मक ढांचे की स्पष्ट झलक देता है। मंच पर संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार, द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) और भारत माता की तस्वीरें रखी गईं, जो कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं।
शताब्दी वर्ष का संकल्प
समारोह में “संघ शताब्दी वर्ष” का विशेष उल्लेख किया गया। वक्ताओं ने इस अवसर पर कहा कि यह उत्सव केवल धार्मिक रस्म नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण और समाज सेवा के संकल्प का प्रतीक है। वक्ताओं ने संघ के सौ वर्षों की यात्रा को रेखांकित करते हुए कहा कि आने वाले समय में संगठन और अधिक जनकल्याणकारी गतिविधियों पर ध्यान देगा।
समाज में सकारात्मक संदेश
इस उत्सव ने केवल परंपरा का निर्वहन ही नहीं किया बल्कि समाज में संगठन, सेवा और शौर्य के मूल्यों को भी पुनर्जीवित किया। स्थानीय लोगों ने भी इस आयोजन की सराहना की और इसे सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने वाला बताया।

न्यूज़ देखो: परंपरा और अनुशासन का संगम
सोनेहरा में आयोजित यह विजयादशमी उत्सव साफ दिखाता है कि कैसे धार्मिक परंपराएं समाजिक संगठन और अनुशासन को बढ़ावा देती हैं। आरएसएस के शस्त्र पूजन जैसे आयोजनों से युवाओं में देशभक्ति और समाज सेवा की भावना मजबूत होती है।
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विजयादशमी से मिले प्रेरणा के संदेश
यह उत्सव हम सबको सिखाता है कि अच्छाई और सत्य की जीत सदैव सुनिश्चित है। समाज में अनुशासन और संगठन के साथ आगे बढ़ना ही वास्तविक शक्ति है। अब समय है कि हम सभी नागरिक सेवा, सहयोग और राष्ट्रहित के संकल्प को जीवन में उतारें। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को दोस्तों तक साझा करें ताकि अधिक लोग इस संदेश से जुड़ सकें।