आरयू इंटर कर्मियों को मिली बड़ी राहत, 174 परिवारों की सेवा बहाली पर बनी सहमति

#रांची #रांचीविश्वविद्यालय – चार घंटे लंबी बैठक में बनी सहमति, अब एक महीने के अंदर समायोजन प्रक्रिया होगी शुरू

चार घंटे चली मैराथन बैठक ने बदल दी 174 परिवारों की तक़दीर

लंबे संघर्ष और प्रतीक्षा के बाद रांची विश्वविद्यालय (आरयू) अंतर्गत सेवा समाप्त इंटरमीडिएट कर्मियों को आखिरकार राहत मिल गई है। दिनांक 13 मई 2025 को, रांची विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित बैठक में 15 सदस्यीय कर्मी प्रतिनिधिमंडल और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच चार घंटे की गहन वार्ता सफल रही।

बैठक में कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिंहा, वित्तीय सलाहकार अजय कुमार, कुलसचिव डॉ. गुरुचरण साहू, प्रॉक्टर डॉ. मुकुंद मेहता, तथा लीगल सेल इंचार्ज डॉ. बी.आर. झा उपस्थित रहे। वहीं सरकार की ओर से मजिस्ट्रेट भी मौजूद रहे।

एक माह में होगी बहाली, कल से शुरू होगी समायोजन प्रक्रिया

विश्वविद्यालय प्रशासन ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए निर्णय लिया कि सेवा समाप्त किए गए समस्त 174 इंटर कर्मियों का समायोजन अब किया जाएगा। कल यानी 14 मई से फॉर्म भरवाने की प्रक्रिया शुरू होगी और एक माह के भीतर समायोजन पूरा कर लिया जाएगा

कर्मियों की नियुक्ति उन महाविद्यालयों में की जाएगी जहां रिक्त पद उपलब्ध हैं, और इसके लिए कुलपति ने महाविद्यालयों के प्राचार्यों से रिक्त पदों व वित्तीय स्थिति की जानकारी पहले ही एकत्रित कर ली थी

कर्मियों का सम्मान और भावुक क्षण

कर्मियों की ओर से बैठक में आए प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिंहा, कुलसचिव डॉ. गुरुचरण साहू और अन्य अधिकारियों को झारखंडी पारंपरिक वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया और उनके सकारात्मक निर्णय के लिए आभार जताया।

यह निर्णय न केवल रोजगार से वंचित 174 कर्मियों बल्कि उनके परिवारों के लिए भी आशा की किरण बना है। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने इसे “संघर्ष की जीत” और “विश्वविद्यालय की संवेदनशीलता का प्रमाण” बताया।

16 अप्रैल की बैठक बनी थी आधार

गौरतलब है कि 16 अप्रैल 2025 को एक लंबी बैठक के बाद कुलपति ने सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों से कर्मियों की जानकारी, शिक्षकेत्तर रिक्तियों की स्थिति और समायोजन की संभावनाओं की रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद ही 13 मई की बैठक की तिथि तय की गई थी, जिसमें आज ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।

न्यूज़ देखो : शिक्षा कर्मियों की आवाज़, संघर्ष की जीत का साक्षी

रांची विश्वविद्यालय के इस निर्णय ने शिक्षा कर्मियों के लिए एक मिसाल कायम की है, जहां संवेदनशील प्रशासन और एकजुट संघर्ष मिलकर परिवर्तन ला सकते हैं।
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