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सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं का हाल: प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को नहीं मिला उपचार, सिविल सर्जन के जानकारी के बाद भी रेफर

गढ़वा जिले के सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा एक बार फिर से उजागर हुई है। सरकारी दावे जहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का भरोसा दिलाते हैं, वहीं असलियत कुछ और ही कहानी कहती है। बुधवार को एक ऐसी घटना घटी जिसने इन दावों की सच्चाई पर सवाल खड़ा कर दिया।

रमना थाना क्षेत्र के बाबूडीह गांव की निवासी सुधा देवी, जो प्रसव पीड़ा से जूझ रही थीं, अपने परिजनों के साथ इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचीं। सुधा देवी के पति, पारीख चंद्रवंशी ने बताया कि उन्हें अस्पताल से बेहतर सेवा मिलने की उम्मीद थी, इसलिए वे अपनी पत्नी को यहां लेकर आए। परंतु अस्पताल पहुंचने के बाद भी उन्हें प्राथमिक उपचार तक नहीं मिला, जिससे सुधा की हालत और बिगड़ती चली गई।

कई घंटों तक चला इंतजार, दर्द से तड़पती रही महिला

अस्पताल पहुंचने के बाद सुधा देवी को कई घंटों तक इंतजार करना पड़ा। प्रसव पीड़ा बढ़ती जा रही थी, पर कोई भी डॉक्टर या कर्मचारी उन्हें देखने के लिए नहीं आया। परिजनों ने बार-बार गुहार लगाई, लेकिन उन्हें इंतजार करने के लिए कहा गया। जब स्थिति बेकाबू होने लगी, तब सिविल सर्जन को सूचना दी गई, पर इसके बाद भी सुधा देवी को उपचार नहीं मिला।

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रेफर करने का निर्णय, इलाज का अधिकार छीना

जब दर्द असहनीय हो गया और परिवार की चिंता बढ़ती चली गई, तो अस्पताल प्रबंधन ने सुधा देवी को दूसरे अस्पताल में रेफर करने का निर्णय लिया। परिजनों का कहना है कि इतनी उम्मीदों के साथ वे यहां आए थे, लेकिन सुधा देवी को इलाज से वंचित रहना पड़ा। रेफर करने का फैसला उनके लिए झटका साबित हुआ, क्योंकि उनके पास आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अन्य जगह इलाज कराना बेहद कठिन है।

गरीब परिवार की पीड़ा और अस्पताल की उदासीनता

परिवार ने अपनी आर्थिक हालत का हवाला देते हुए बताया कि वे बहुत मुश्किल से गढ़वा सदर अस्पताल तक पहुंचे थे। गरीब परिवार के लिए दूसरे अस्पताल में इलाज कराना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों पर भरोसा इसलिए करते हैं ताकि कम खर्च में इलाज हो सके, लेकिन जब उन्हें यहां भी इलाज नहीं मिला, तो उनकी मुश्किलें और बढ़ गईं।

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प्रशासन से गुहार, सरकार से सवाल

परिजनों ने प्रशासन से इस मामले की जांच की मांग की है और इस तरह की लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होंने सरकार से सवाल किया है कि क्या सरकारी अस्पतालों में गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का वादा सिर्फ कागजों पर ही रहेगा।इस संबंध में सिविल सर्जन डॉक्टर अशोक कुमार ने कहा कि उक्त प्रसव पीड़ा से पीड़ित महिला को जो उपचार चाहिए था वह सदर अस्पताल में पूर्ण रूप से नहीं है। जिसके कारण उसे रेफर किया गया। निहायत गरीब होने के कारण उसे स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एंबुलेंस मुहैया करा कर पलामू रेफर किया गया है।

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