- सगमा के मकरी गांव में स्थित प्रतिबंधित पौधशाला क्षेत्र में कीमती शीशम पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है।
- वन विभाग की अनदेखी के कारण पेड़ों की कटाई बढ़ रही है, जिससे वन क्षेत्र पर संकट गहरा रहा है।
- ग्रामीणों ने तत्काल कार्रवाई की मांग की है, अन्यथा वन क्षेत्र का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
- वन समिति द्वारा विभाग को सूचना देने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
सगमा प्रखण्ड के मकरी गांव स्थित प्रतिबंधित पौधशाला क्षेत्र में कीमती शीशम के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई जारी है। इस क्षेत्र में सैकड़ों शीशम के पेड़ लगे हुए थे, जिन्हें वन विभाग ने प्रतिबंधित मकरी पौधशाला के रूप में नामित किया है। यह क्षेत्र बिलासपुर धुरकी मुख्य पथ पर स्थित है, और यहाँ पर यूकेलिप्टस के साथ-साथ शीशम के पेड़ भी हैं। इन पेड़ों की सुरक्षा के लिए वन समिति का गठन किया गया था।
मुख्य उद्देश्य और योजनाएं:
ग्रामीणों का कहना है कि पहले इस क्षेत्र से इक्का दुक्का शीशम के पेड़ों की कटाई होती थी, लेकिन अब लगातार अंधाधुंध कटाई की जा रही है। वन समिति के अध्यक्ष ने बताया कि वे विभाग को लकड़ी की कटाई की सूचना देते हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। इससे पेड़ों की कटाई करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
वन रक्षी की भूमिका:
वन रक्षी अरुण कुमार पौधशाला में आकर खानापूर्ति करते हैं, लेकिन उनके द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। यदि शीघ्र ही इस पर रोक नहीं लगाई जाती तो पूरा वन क्षेत्र खोखला हो सकता है। स्थानीय ग्रामीणों ने इस पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
न्यूज़ देखो:
इस गंभीर मुद्दे पर हमें जल्द कार्रवाई की उम्मीद है ताकि क्षेत्रीय वन संपदा बचाई जा सके। न्यूज़ देखो के साथ जुड़े रहें और ताजे अपडेट्स के लिए हमें फॉलो करें।