
#गिरिडीह #महिला_सशक्तिकरण : करणपुरा पंचायत में आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं ग्रामीण महिलाएं — विधायक कल्पना सोरेन ने कहा, “सरकार की योजनाओं से बदल रही हैं गांव की तस्वीरें”
- गांडेय विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन ने करणपुरा पंचायत में सखी मंडल द्वारा संचालित आटा उत्पादन केंद्र का किया निरीक्षण।
- उन्होंने कहा, हेमंत सोरेन सरकार की योजनाएं ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं।
- केंद्र में महिलाएं खुद गेहूं पीसने, पैकिंग और बिक्री जैसे कार्य कर रही हैं।
- झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) के सहयोग से केंद्र हो रहा संचालित।
- विधायक ने महिलाओं को ब्रांडिंग और विपणन में सहयोग देने का दिया आश्वासन।
महिलाओं की मेहनत को मिला प्रतिनिधित्व का संबल
गिरिडीह जिले के गांडेय विधानसभा क्षेत्र के करणपुरा पंचायत में मंगलवार को गांडेय विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन ने एक महत्वपूर्ण महिला सशक्तिकरण पहल का अवलोकन किया। यह पहल एक आटा उत्पादन केंद्र है, जिसे स्थानीय सखी मंडल की महिलाएं संचालित कर रही हैं। इस केंद्र में महिलाएं गेहूं की ग्राइंडिंग, पैकिंग और बिक्री तक का कार्य खुद कर रही हैं।
विधायक कल्पना सोरेन ने कहा:
“यह सिर्फ आटा उत्पादन केंद्र नहीं, बल्कि महिला आत्मनिर्भरता का केंद्र है। हेमंत सरकार की कोशिश है कि हर महिला आर्थिक रूप से मज़बूत हो और गांव की रीढ़ बने।”
केंद्र बना आत्मनिर्भरता का उदाहरण
यह केंद्र झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) की मदद से शुरू किया गया है। यहां कार्यरत महिलाएं खुद के घरों और परिवारों को आर्थिक रूप से सहयोग देने के साथ-साथ गांव में एक नई पहचान बना रही हैं। उन्होंने बताया कि कैसे इस पहल से न केवल रोज़गार मिला है, बल्कि सामाजिक सम्मान भी बढ़ा है।
विधायक ने केंद्र की कार्यप्रणाली को करीब से देखा और महिलाओं से सीधा संवाद भी किया। उन्होंने उनके साहस, परिश्रम और लगन की सराहना करते हुए प्रशासन को निर्देश दिया कि इन इकाइयों को बाज़ार तक पहुंचाने और ब्रांडिंग में हर संभव मदद दी जाए।
कल्पना सोरेन ने जताया विश्वास: “हर पंचायत में बनें ऐसे केंद्र”
विधायक ने कहा कि यह मॉडल अन्य पंचायतों में भी लागू किया जा सकता है। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीण विकास विभाग से आग्रह किया कि इस तरह की इकाइयों की पहचान कर उन्हें प्रशिक्षित व सहयोग प्रदान किया जाए। इससे गांव की महिलाएं सिर्फ घरेलू कामों तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि गांव की आर्थिक व्यवस्था में उनका सशक्त योगदान रहेगा।
ग्रामीण महिलाएं बनीं प्रेरणा का स्रोत
सखी मंडल की महिलाओं ने बताया कि शुरुआत में कई लोगों ने संदेह जताया, लेकिन अब उनके उत्पादों की मांग गांव के बाहर भी होने लगी है। उन्होंने यह भी साझा किया कि वे अब बिजनेस विस्तार और नए उत्पादों पर भी विचार कर रही हैं। इससे यह साफ जाहिर होता है कि सरकारी योजनाएं जब ज़मीन पर उतरती हैं, तो बदलाव संभव है।

न्यूज़ देखो: ग्रामीण विकास की नायिकाएं
‘न्यूज़ देखो’ का मानना है कि झारखंड के ग्रामीण इलाकों में जब महिलाएं स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं, तो यह सिर्फ आर्थिक बदलाव नहीं, सामाजिक चेतना की क्रांति है। सखी मंडलों को समर्थन देना, उनकी पहचान को मज़बूती देना और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करना प्रशासन की ज़िम्मेदारी है।
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सकारात्मक सोच ही असली ताकत है
अगर आप अपने आस-पास ऐसी कोई महिला इकाई देखते हैं, तो उन्हें प्रोत्साहित करें। इस खबर को अपने मित्रों, रिश्तेदारों और सोशल मीडिया ग्रुप में साझा करें ताकि और भी महिलाएं इससे प्रेरित होकर आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ सकें।
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